प्रान वही जु रहैं रिझि वापर, रूप वही जिहिं वाहि रिझायो। सीस वही जिहिं वे परसे पग, अंग वही जिहीं वा परसायो दूध वही जु दुहायो वही सों, दही सु सही जु वहीं ढुरकायो। और कहाँ लौं कहौं 'रसखान री भाव वही जू वही मन भायो॥