"परंपरा -रामधारी सिंह दिनकर" के अवतरणों में अंतर
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|चित्र का नाम=रामधारी सिंह दिनकर | |चित्र का नाम=रामधारी सिंह दिनकर | ||
|कवि=[[रामधारी सिंह दिनकर]] | |कवि=[[रामधारी सिंह दिनकर]] | ||
− | |जन्म=[[23 सितंबर]], | + | |जन्म=[[23 सितंबर]], सन् 1908 |
|जन्म स्थान=सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]]) | |जन्म स्थान=सिमरिया, ज़िला मुंगेर ([[बिहार]]) | ||
− | |मृत्यु= [[24 अप्रैल]], | + | |मृत्यु= [[24 अप्रैल]], सन् 1974 |
|मृत्यु स्थान= [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]] | |मृत्यु स्थान= [[चेन्नई]], [[तमिलनाडु]] | ||
|मुख्य रचनाएँ= | |मुख्य रचनाएँ= | ||
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परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो। | परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो। | ||
− | + | उसमें बहुत कुछ है, | |
जो जीवित है, | जो जीवित है, | ||
− | + | जीवनदायक है, | |
जैसे भी हो, | जैसे भी हो, | ||
− | ध्वसं से बचा रखने | + | ध्वसं से बचा रखने लायक़ है। |
पानी का छिछला होकर | पानी का छिछला होकर | ||
− | समतल | + | समतल में दौड़ना, |
− | यह | + | यह क्रांति का नाम है। |
− | लेकिन घाट | + | लेकिन घाट बाँधकर |
− | + | पानी को गहरा बनाना | |
− | यह | + | यह परंपरा का नाम है। |
− | पंरपरा और | + | पंरपरा और क्रांति में |
− | + | संघर्ष चलने दो। | |
− | आग | + | आग लगी है, तो |
− | + | सूखी डालो को जलने दो। | |
मगर जो डालें | मगर जो डालें | ||
− | आज भी | + | आज भी हरी है, |
− | + | उन पर तो तरस खाओ। | |
− | + | मेरी एक बात तुम मान लो। | |
− | + | लोगों की आस्था के आधार | |
− | + | टूट जाते हैं, | |
− | + | उखड़े हुए पेड़ो के समान | |
− | वे | + | वे अपनी ज़डो से छूट जाते हैं। |
− | + | परंपरा जब लुप्त होती है | |
− | + | सभ्यता अकेलेपन के | |
− | दर्द | + | दर्द में मरती है। |
− | + | कलमें लगना जानते हो, | |
तो जरुर लगाओ, | तो जरुर लगाओ, | ||
− | मगर ऐसी कि | + | मगर ऐसी कि फलों में |
− | + | अपनी मिट्टी का स्वाद रहे। | |
और ये बात याद रहे | और ये बात याद रहे | ||
− | + | परंपरा चीनी नहीं मधु है। | |
− | वह न तो हिन्दू है, ना | + | वह न तो हिन्दू है, ना मुस्लिम.... |
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14:01, 6 मार्च 2012 के समय का अवतरण
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परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो। |
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