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*[[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] तथा [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के ये प्रमुख सहयोगी रहे थे।
 
*[[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] तथा [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के ये प्रमुख सहयोगी रहे थे।
 
*लाला भगवानदीन [[गया]] से प्रकाशित होने वाली [[पत्रिका]] के सम्पादक भी रहे।
 
*लाला भगवानदीन [[गया]] से प्रकाशित होने वाली [[पत्रिका]] के सम्पादक भी रहे।
*धर्म और विज्ञान, वीर प्रताप, वीर बालक इनकी प्रारम्भिक रचनाएँ थीं। '[[रामचन्द्रिका]]', '[[कविप्रिया]]', 'रसिकप्रिया कवितावली', '[[बिहारी सतसई]]' की प्रामाणिक [[टीका|टीकाएँ]] भी इन्होंने लिखीं।
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*धर्म और विज्ञान, वीर प्रताप, वीर बालक इनकी प्रारम्भिक रचनाएँ थीं। '[[रामचन्द्रिका]]', '[[कविप्रिया]]', '[[रसिकप्रिया]], [[कवितावली -तुलसीदास|कवितावली]]', '[[बिहारी सतसई]]' की प्रामाणिक [[टीका|टीकाएँ]] भी इन्होंने लिखीं।
 
*‘अलंकार मंजूषा’, 'व्यंगार्थ मंजूषा’ हिन्दी काव्यशास्त्र की महत्वपूर्ण पुस्तक रही।
 
*‘अलंकार मंजूषा’, 'व्यंगार्थ मंजूषा’ हिन्दी काव्यशास्त्र की महत्वपूर्ण पुस्तक रही।
 
*‘नवीन बीन’ तथा ‘नदी में दीन’ लाला भगवानदीन के काव्य रचना संग्रह है। ‘वीर पंचरत्न’ वीरतापूर्ण काव्य संग्रह है।
 
*‘नवीन बीन’ तथा ‘नदी में दीन’ लाला भगवानदीन के काव्य रचना संग्रह है। ‘वीर पंचरत्न’ वीरतापूर्ण काव्य संग्रह है।

13:14, 5 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

लाला भगवानदीन (जन्म- सन 1866, फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1930) प्रसिद्ध साहित्य सेवी और हिन्दी के विद्वान थे। इन्होंने हिन्दी शब्दसागर के निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिया था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काशी के साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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