सहकार (सूक्तियाँ)

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(1) बिना सहकार, नहीं उद्धार । उतिष्ठ, जाग्रत्, प्राप्य वरान् अनुबोधयत् । (उठो, जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ।)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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