कश्कोल -अबुल फ़ज़ल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:22, 6 जुलाई 2017 का अवतरण (Text replacement - "विद्वान " to "विद्वान् ")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

कश्कोल मुग़ल बादशाह अकबर के दरबारी विद्वान् अबुल फ़ज़ल की कृति है। इस कृति की रचना अबुल फ़ज़ल ने फ़ारसी में की थी।

  • साधुओं-फकीरों के भिक्षापात्र या दरियाई नारियल के खप्पर को 'कश्कोल' कहा जाता है। रोटी, दाल, सूखा-बासी, मीठा-नमकीन जो भी खाने की चीज भिक्षा में मिलती है, उसे वह अपने कश्कोल में डाल लेते हैं।
  • अबुल फ़ज़ल की यह कृति भी कश्कोल की तरह ही है। इसमें उन्होंने किताबों के पढ़ते वक्त जो-जो बातें पसन्द आईं, उन्हें जमा कर लिया।
  • फ़ारसी में इस तरह के कश्कोल पहले भी लिखे जा चुके थे, उन्हीं की तरह अबुल फ़ज़ल ने अपने कश्कोल को तैयार किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख