"अनमोल वचन 2" के अवतरणों में अंतर
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− | + | * आवेश जीवन विकास के मार्ग का भयानक रोड़ा है, जिसको मनुष्य स्वयं ही अपने हाथ अटकाया करता है। | |
− | + | * आसक्ति संकुचित वृत्ति है। | |
− | + | * आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | |
− | + | * आय से अधिक खर्च करने वाले तिरस्कार सहते और कष्ट भोगते हैं। | |
− | + | * आरोग्य हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। | |
− | + | * आहार से मनुष्य का स्वभाव और प्रकृति तय होती है, शाकाहार से स्वभाव शांत रहता है, मांसाहार मनुष्य को उग्र बनाता है। | |
− | + | * '''आयुर्वेद''' हमारी मिट्टी हमारी संस्कृति व प्रकृती से जुड़ी हुई निरापद चिकित्सा पद्धति है। | |
− | + | * '''आयुर्वेद''' वस्तुत: जीवन जीने का ज्ञान प्रदान करता है, अत: इसे हम धर्म से अलग नहीं कर सकते। इसका उद्देश्य भी जीवन के उद्देश्य की भाँति चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति ही है। | |
− | + | * आनन्द प्राप्ति हेतु त्याग व संयम के पथ पर बढ़ना होगा। | |
− | + | * आत्मा को निर्मल बनाकर, इंद्रियों का संयम कर उसे परमात्मा के साथ मिला देने की प्रक्रिया का नाम योग है। | |
− | + | * आत्मा का परिष्कृत रूप ही परमात्मा है। - वाङ्गमय | |
− | + | * '''आत्मा''' की उत्कृष्टता संसार की सबसे बड़ी सिद्धि है। | |
− | + | * आत्मा का परिष्कृत रूप ही परमात्मा है। | |
− | + | * आत्म निर्माण का अर्थ है - भाग्य निर्माण। | |
− | + | * आत्म-विश्वास जीवन नैया का एक शक्तिशाली समर्थ मल्लाह है, जो डूबती नाव को पतवार के सहारे ही नहीं, वरन् अपने हाथों से उठाकर प्रबल लहरों से पार कर देता है। | |
− | + | * '''आत्मा''' की पुकार अनसुनी न करें। | |
− | + | * आत्मा के संतोष का ही दूसरा नाम स्वर्ग है। | |
− | + | * आत्मीयता को जीवित रखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि ग़लतियों को हम उदारतापूर्वक क्षमा करना सीखें। | |
− | + | * आत्म-निरीक्षण इस संसार का सबसे कठिन, किन्तु करने योग्य कर्म है। | |
− | + | * '''आत्मबल''' ही इस संसार का सबसे बड़ा बल है। | |
− | + | * आत्म-निर्माण का ही दूसरा नाम भाग्य निर्माण है। | |
− | + | * आत्म निर्माण ही युग निर्माण है। | |
− | + | * '''आत्मविश्वासी''' कभी हारता नहीं, कभी थकता नहीं, कभी गिरता नहीं और कभी मरता नहीं। | |
− | + | * आत्मानुभूति यह भी होनी चाहिए कि सबसे बड़ी पदवी इस संसार में मार्गदर्शक की है। | |
− | + | * आराम की जिन्गदी एक तरह से मौत का निमंत्रण है। | |
− | + | * आलस्य से आराम मिल सकता है, पर यह आराम बड़ा महँगा पड़ता है। | |
− | + | * आज के कर्मों का फल मिले इसमें देरी तो हो सकती है, किन्तु कुछ भी करते रहने और मनचाहे प्रतिफल पाने की छूट किसी को भी नहीं है। | |
− | + | * आज के काम कल पर मत टालिए। | |
− | + | * आज का मनुष्य अपने अभाव से इतना दुखी नहीं है, जितना दूसरे के प्रभाव से होता है। | |
− | + | * आदर्शों के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य के प्रति लगन का जहाँ भी उदय हो रहा है, समझना चाहिए कि वहाँ किसी देवमानव का आविर्भाव हो रहा है। | |
− | + | * आदर्शवाद की लम्बी-चौड़ी बातें बखानना किसी के लिए भी सरल है, पर जो उसे अपने जीवनक्रम में उतार सके, सच्चाई और हिम्मत का धनी वही है। | |
− | + | * आशावाद और ईश्वरवाद एक ही रहस्य के दो नाम हैं। | |
− | + | * आशावादी हर कठिनाई में अवसर देखता है, पर निराशावादी प्रत्येक अवसर में कठिनाइयाँ ही खोजता है। | |
− | + | * आप समय को नष्ट करेंगे तो समय भी आपको नष्ट कर देगा। | |
− | + | * आप बच्चों के साथ कितना समय बिताते हैं, वह इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है, जितना कैसे बिताते हैं। | |
− | + | * आस्तिकता का अर्थ है- ईश्वर विश्वास और ईश्वर विश्वास का अर्थ है एक ऐसी न्यायकारी सत्ता के अस्तित्व को स्वीकार करना जो सर्वव्यापी है और कर्मफल के अनुरूप हमें गिरने एवं उठने का अवसर प्रस्तुत करती है। | |
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18:49, 24 सितम्बर 2011 का अवतरण
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अनमोल वचन |
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