सूर्यवर्मन प्रथम

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सूर्यवर्मन प्रथम 1006 ई. से 1050 ई. तक ख्मेर साम्राज्य के सम्राट थे। सूर्यवर्मन ने सम्राट उदयादित्यवर्मन प्रथम से सिंहासन छीनकर, उनकी सैन्य शक्ति को सन 1002 ई. में हराया। इसके पश्चात उदयादित्य के उत्तराधिकारी जयवर्मन के साथ लंबे समय तक युद्ध हुआ। उसे हराकर सन 1010 ई. में सूर्यवर्मन ने अपने आप को सम्राट घोषित कर दिया।

  • सूर्यवर्मन प्रथम तांब्रलिंग के राजा के पुत्र थे, जो थाईलैंड में राज करने वाले एक बौद्ध राजा और अंगकोर के शत्रु श्रीविजय के सामंत थे। ख्मेर साम्राज्य में वैष्णवों की संख्या अधिक थी, लेकिन सूर्यवर्मन महायान बौद्ध थे। उन्होंने थेरवाद बौद्धों को समान माना, जिनकी संख्या तब बढ़ रही थी।
  • सूर्यवर्मन प्रथम ने सन 1012 चोल राजवंश से भी राजनैतिक नाता जोड़ लिया। उसने चोल सम्राट राजराज प्रथम को एक रथ भेंट किया।
  • इतिहासकारों का मानना है कि सूर्यवर्मन प्रथम ने राजराज चोल से तांब्रलिंग राज्य के विरुद्ध सैन्य सहायता की मांग की थी। इस समाचार के पश्चात तांब्रलिंग ने श्रीविजय के राजा संग्राम विजयतुंग वर्मन के साथ गठबंधन बनाया। इस प्रकार चोल साम्राज्य का श्रीविजय साम्राज्य के साथ युद्ध आरम्भ हुआ, जिसमें तांब्रलिंग और श्रीविजय को भारी नुकसान हुआ।
  • सूर्यवर्मन प्रथम का देहांत 1050 ई. में हुआ। मरणोपरांत उसे बौद्ध धर्म के अनुसार 'निर्वाणपाद' का नाम दिया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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