प्लूटार्क

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प्लूटार्क

प्लूटार्क एक यूनानी इतिहासकार था। उसका मूल नाम 'प्लूटार्कोस' था। एक इतिहासकार होने के साथ-साथ उसने दार्शनिक, लेखक तथा निबंधकार के रूप में भी ख्याति प्राप्त की थी। उसकी 'लाइव्स' (जीवनियाँ) नामक रचना के 57वें से 67वें अध्यायों तक सिकन्दर की जीवनी दी गई है। उन अध्यायों में भारत का भी विवरण मिलता है।

  • प्लूटार्क का काल 46 ईसवी से 120 ईसवी के मध्य रहा था।
  • डेल्फी के लगभग बीस मील पूर्व में एक प्रभावशाली परिवार में प्लूटार्क का जन्म हुआ था।
  • प्लूटार्क के अनुसार सिकन्दर जब भारत आया था तो यहाँ पहले से ही कुछ यूनानी बस्तियाँ स्थापित थीं।
  • ग्रीक दार्शनिक प्लूटार्क ने सदियों पहले 'शिप ऑफ़ थीसस' का सिद्धांत गढ़ा था, जिसमें एक ऐसे जहाज़ का ज़िक्र था, जिसके हिस्से को वक्त के साथ बदल दिया गया और एक वक्त में उस जहाज़ में कुछ भी पुराना नहीं बचा।
  • प्लूटार्क ने अनेक प्रसिद्ध ग्रीक तथा रोम निवासियों के जीवन-चरित्र लिखे थे।
  • चंद्रगुप्त मौर्य सिकन्दर का समकालीन था और स्वंय सिकन्दर से मिला भी था। यह बात प्लूटार्क की रचनाओं से मालूम होती है, जिसने लिखा है- "ऐंड्रोकोट्टोस (चन्द्रगुप्त), जो उस समय नवयुवक ही था, स्वंय सिकन्दर से मिला था।"
  • प्लूटार्क ने लिखा है कि "चंद्रगुप्त ने 6 लाख सेना लेकर समूचे भारत पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।" उसके अनुसार चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए थे।
  • 'पैरेलेल लाइव्स' और 'मोरालिया' प्लूटार्क की प्रसिद्ध कृतियाँ हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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