धार

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धार
धार का दृश्य
विवरण 'धार' मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। बेरन पहाड़ियों से घिरे इस शहर को झीलों और हरे-भरे वृक्षों ने आच्छादित कर रखा है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला धार
भौगोलिक स्थिति धार ज़िला तीन भौगोलिक खंडों में फैला हुआ है, जो क्रमशः उत्तर में मालवा, विंध्याचल श्रेणी मध्य क्षेत्र में तथा दक्षिण में नर्मदा घाटी।
हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा इंदौर में हैं।
रेलवे स्टेशन रतलाम और इंदौर यहाँ के नज़दीकी रेलवे स्टेशन हैं।
क्या देखें धार क़िला, भोजशाला मस्जिद, मोहनखेडा, अमझेरा तथा बाघ की गुफ़ाएं आदि।
जनसंख्या 93,917 (2011)
अन्य जानकारी धार में कमाल मौलाना की भव्य समाधि और 14वीं या 15वीं शताब्दी में निर्मित एक मस्जिद भी है, जो 'भोजनशाला' के नाम से विख्यात है। इसके नाम की उत्पत्ति यहाँ लगे हुए संस्कृत व्याकरण के नियम संबंधी उत्कीर्णित पत्थरों से हुई थी।

धार ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से मध्य प्रदेश का महत्त्वपूर्ण शहर है। यह मध्यकालीन नगर, पश्चिमी मध्य प्रदेश राज्य के मालवा क्षेत्र में स्थित है। पहाड़ियों और अनेक झीलों से घिरा यह नगर विंध्याचल की उत्तरी ढलानों पर स्थित है। धार नर्मदा नदी की घाटी के निकट के दर्रे में स्थित है।

इतिहास

धार शहर की स्थापना परमार राजा भोज ने की थी। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से धार मध्य प्रदेश का एक महत्त्वपूर्ण शहर है। बेरन पहाड़ियों से घिरे इस शहर को झीलों और हरे-भरे वृक्षों ने आच्छादित कर रखा है। इस शहर में अनेक हिन्दू और मुस्लिम स्मारकों के अवशेष देखे जा सकते हैं। एक जमाने में मालवा की राजधानी रहा यह शहर 'धार क़िला' और 'भोजशाला मस्जिद' की वजह से पर्याप्त संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में सफल रहता है।[1]

धार एक प्राचीन नगर है, जिसकी उत्पत्ति राजा मुंज वाक्पति से जुड़ी है। दसवीं और तेरहवीं सदी के भारतीय इतिहास में धार का महत्त्वपूर्ण स्थान था। नौवीं से चौदहवीं सदी में यह परमार राजपूतों के अधीन मालवा की राजधानी था। प्रसिद्ध राजा भोज (लगभग 1010-55) के शासनकाल में यह अध्ययन का विशिष्ट केंद्र था। उन्होंने इसे अत्यधिक प्रसिद्धि दिलाई। 14वीं सदी में इसे मुग़लों ने जीत लिया और 1730 में यह मराठों के क़ब्ज़े में चला गया, इसके बाद 1742 में यह मराठा सामंत आनंदराव पवार द्वारा स्थापित धार रियासत की राजधानी बना। धार की 'लाट मस्जिद' या 'मीनार मस्जिद' (1405) जैन मंदिरों के खंडहर पर निर्मित है। इसके नाम की उत्पत्ति एक विध्वंसित लौह स्तंभ (13बीं सदी ) के आधार पर हुई। इस स्तंभ पर एक अभिलेख है, जिसमें यहाँ 1598 में अकबर के आगमन का वर्णन है।

धार में कमाल मौलाना की भव्य समाधि और 14वीं या 15वीं शताब्दी में निर्मित एक मस्जिद भी है, जो भोजनशाला के नाम से विख्यात है। इसके नाम की उत्पत्ति यहाँ लगे हुए संस्कृत व्याकरण के नियम संबंधी उत्कीर्णित पत्थरों से हुई। इसके ठीक उत्तर में एक 14वीं सदी का क़िला है। कहा जाता है कि इसे मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने बनवाया था। इसमें राजा का महल भी था। 'मालवा की रानी' के रूप में वर्णित धार महलों, मंदिरों , महाविद्यालयों, रंगशालाओं और बगीचों के लिये प्रसिद्ध है। शहर में एक पुस्तकालय, अस्पताल, संगीत अकादमी और विक्रम विश्वविद्यालय (वर्तमान 'देवी अहिल्या विश्वविद्यालय') से संबंध एक शासकीय महाविद्यालय भी है।

भौगोलिक दशा

धार ज़िला तीन भौगोलिक खंडों में फैला हुआ है, जो क्रमशः उत्तर में मालवा, विंध्यांचल श्रेणी मध्य क्षेत्र में तथा दक्षिण में नर्मदा घाटी। हालांकि घाटी पुनः दक्षिण-पश्चिम की पहाड़ियों द्वारा बंद होती है। धार ज़िला भारत के सांस्कृतिक मानचित्र में प्रारंभ से ही रहा है। लोगों ने अपने आपको ललित कला, चित्रकारी, नक्काशी, संगीतनृत्य इत्यादि में संलिप्त रखा था। इस संपूर्ण ज़िले में बहुत-से धार्मिक स्थल हैं, जहां वार्षिक मेलों के आयोजन में हज़ारों लोग एकत्र होते हैं।

कृषि और खनिज

धार एक प्रमुख कृषि केंद्र है। ज्वार-बाजरा, मक्का, दालें और कपास यहाँ की प्रमुख फ़सलें है। माही, नर्मदाचंबल नदी प्रणाली से सिंचाई की जाती है।

व्यापार और उद्योग

यहाँ के प्रमुख उद्योगों में कपास ओटाई व धुनाई, हस्तकौशल और हस्तकरघा उद्यम शामिल हैं।

यातायात और परिवहन

यह सड़क और रेलमार्ग से इंदौर, मउ, खंडवा और क्षेत्र के अन्य महत्त्वपूर्ण नगरों से जुड़ा हुआ है।

वायु मार्ग

धार का निकटतम हवाई अड्डा इंदौर में है। यह हवाई अड्डा दिल्ली, मुम्बई, भोपाल और ग्वालियर आदि शहरों से नियमित विमानों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

रतलाम और इंदौर यहाँ का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। देश के प्रमुख शहरों से यह रेलवे स्टेशन अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से नियमित रूप से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

धार मध्य प्रदेश के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इंदौर, मांडू, मऊ, रतलाम, उज्जैन और भोपाल से मध्य प्रदेश परिवहन निगम की नियमित बसें धार के लिए चलती हैं।

जनसंख्या

धार की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 93,917 है।

पर्यटन स्थल

धार क़िला

धार मध्यकालीन नगर है,जो पश्चिमी मध्य प्रदेश राज्य के मालवा क्षेत्र में स्थित है। धार का यह प्रसिद्ध क़िला नगर के उत्तर में स्थित एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है। यह विशाल क़िला लाल बलुआ पत्थर से बना है, और समृद्ध इतिहास के आइने का झरोखा है।

भोजशाला मस्जिद

भोजशाला मस्जिद मूल रूप से एक मंदिर के तौर पर स्थापित था, जिसे राजा भोज ने बनवाया था। लेकिन जब अलाउद्दीन ख़िलज़ी दिल्ली का सुल्तान बना तो यह क्षेत्र उसके साम्राज्य में मिल गया।[1]

फाडके स्टूडियो

1933 में मुम्बई से प्रसिद्ध मूर्तिकार रघुनाथ कृष्ण फाडके धार आए थे। उन्हें धार के महाराजा ने मूर्तियाँ बनाने के लिए बुलवाया था। फाडके ने खांडेराव टेकरी में अपना स्टूडिया स्थापित किया जिसे बाद में 'फाडके स्टूडियो' के नाम से जाना गया।[1]

मोहनखेडा

मोहनखेडा एक पवित्र जैन तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है जो धार से लगभग 47 किलोमीटर की दूरी पर है। इंदौर-अहमदाबाद हाइवे पर स्थित इस तीर्थस्थल की स्थापना पूज्य गुरुदेव श्री राजेन्द्र सुरीशस्वामी महाराज साहब ने 1940 के आसपास की थी।[1]

अमझेरा

धार से लगभग 40 किलोमीटर दूर सरदारपुर तहसील में अमझेरा गाँव स्थित है। इस गाँव में शैव और वैष्णव संप्रदाय के अनेक प्राचीन मंदिर बने हुए हैं।[1]

बाघ गुफ़ाएं

इन गुफ़ाओं का संबंध बौद्ध मत से है। यहाँ अनेक बौद्ध मठ और मंदिर देखे जा सकते हैं। अजंता और एलोरा गुफ़ाओं की तर्ज पर ही बाघ गुफ़ाएं बनी हुई हैं। इन गुफ़ाओं में बनी प्राचीन चित्रकारी मनुष्य को हैरत में डाल देती है। इन गुफ़ाओं की खोज 1818 में की गई थी। बाघ गुफ़ा के कारण ही यहाँ बसे गाँव को बाघ गाँव और यहाँ से बहने वाली नदी को बाघ नदी के नाम से जाना जाता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 धार (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 28 अक्टूबर, 2010

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