दिल्ली आलेख

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दिल्ली आलेख
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विवरण दिल्ली देश के उत्तरी मध्य भाग में गंगा की एक प्रमुख सहायक यमुना नदी के दोनों तरफ बसी है। दिल्ली भारत का तीसरा बड़ा शहर है। यह एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली है।
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 28°36′36, पूर्व- 77°13′48
मार्ग स्थिति दिल्ली, राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और आगरा के रास्ते कोलकता से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से सूरत, अहमदाबाद, उदयपुर, अजमेर और जयपुर के रास्ते मुंबई से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जालंधर, लुधियाना और अंबाला होते हुए अमृतसर और राष्ट्रीय राजमार्ग 24 से रामपुर और मुरादाबाद के रास्ते लखनऊ से जुड़ी है।
हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली, हज़रत निज़ामुद्दीन
बस अड्डा आई.एस.बी.टी, सराय काले ख़ाँ, आनंद विहार
यातायात साईकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टैक्सी, लोकल रेल, मेट्रो रेल, बस
क्या देखें दिल्ली पर्यटन
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या खायें पंजाबी खाना, चाट, पराठें वाली गली के 'पराठें'
एस.टी.डी. कोड 011
सावधानी आतंकवादी गतिविधियों से सावधान, लावारिस वस्तुओं को ना छुएं, शीत ऋतु में कोहरे से और ग्रीष्म ऋतु में लू से बचाव करें।
Map-icon.gif गूगल मानचित्र, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
संबंधित लेख लाल क़िला, इण्डिया गेट, जामा मस्जिद, राष्ट्रपति भवन उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सैना
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल
अन्य जानकारी दिल्ली राज्य का राजकीय पक्षी घरेलू गौरैया (House Sparrow) है।
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

दिल्ली भारत की राजधानी एवं महानगरीय क्षेत्र है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो कि ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के बाद बसी थी। महान् ऐतिहासिक महत्त्व वाला यह महानगरीय क्षेत्र महत्त्वपूर्ण व्यापारिक, परिवहन एवं सांस्कृतिक हलचलों से भरा है।

  • दिल्ली देश के उत्तरी मध्य भाग में गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी यमुना के दोनों तरफ बसी है। दिल्ली देश का तीसरा बड़ा शहर है। यहाँ के ऐतिहासिक स्थल तथा रमणीय स्थल अपने आप में विशेष हैं। पर्यटन विकास के उद्वेश्य से यह आगरा और जयपुर से जुड़ा है।
  • दिल्ली तो है दिल वालों की। दिल्ली के इतिहास में सम्पूर्ण भारत की झलक सदैव मौजूद रही है। अमीर ख़ुसरो और ग़ालिब की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली नादिरशाह की लूट की चीखों से सहम भी जाती है। चाँदनी चौक-जामा मस्जिद की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर 26 जनवरी की परेड को निहारती हुई दिल्ली 30 जनवरी को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सीने में धँस गयी थी। दिल्ली ने दौलताबाद जाने के तुग़लकी फ़रमानों को भी सुना और लाल क़िले से प्रधानमंत्री के अभिभाषणों पर तालियाँ भी बजायी। कभी रघुराय ने दिल्ली की रायसीना पहाड़ी को अपने कैमरे में क़ैद कर लिया तो कभी हुसैन के रंगों ने दिल्ली को रंग दिया। दिल्ली कभी कुतुबमीनार की मंज़िलों को चढ़ाने में पसीना बहाती रही तो कभी हुमायूँ के मक़बरे में पत्थरों को तराशती रही। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है।[1]

नामकरण

  • अनुश्रुति है कि इसका वर्तमान नाम राजा ढीलू के नाम पर पड़ा जिसका आधिपत्य ई.पू. पहली शताब्दी में इस क्षेत्र पर था। बहरहाल बिजोला अभिलेखों (1170ई.) में उल्लेखित ढिल्ली या ढिल्लिका सबसे पहला लिखित उद्धरण है। महाभारत काल में पाण्डवों द्वारा बसाया गया इन्द्रप्रस्थ नगर, दिल्ली आज हमारे देश का हृदय कहलाता है।
  • एक मत के अनुसार दिल्ली का नामकरण फ़ारसी शब्द 'दहलीज़' पर पड़ा है। जिसका अर्थ है 'प्रवेश द्वार'।
  • कुछ अन्य लोगों के मतानुसार आठवीं सदी में कन्नौज के राजा दिल्लू के नाम पर इसका नामांकन हुआ है। कई मुग़ल साम्राज्यों ने भी दिल्ली पर अपनी प्रभावी छाप छोड़ी है। कई अवसरों पर दिल्ली ने कई साम्राज्यों के पतन में अपनी छाप छोड़ी है। ऐसे बहुरूपदर्शी भूतकाल में न केवल दिल्ली बल्कि विश्व के महानतम लोकतंत्र की खोज की जा सकती है।

इतिहास

महाभारत काल से ही दिल्ली का विशेष उल्लेख रहा है। दिल्ली का शासन एक वंश से दूसरे वंश को हस्तांतरित होता गया। यह मौर्यों से आरंभ होकर पल्लवों तथा मध्य भारत के गुप्तों से होता हुआ 13 वीं से 15 वीं सदी तक तुर्क और अफ़ग़ान और अंत में 16 वीं सदी में मुग़लों के हाथों में पहुँचा। 18 वीं सदी के उत्तरार्ध और 19 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेज़ी शासन की स्थापना हुई।

लाल क़िला, दिल्ली
Red Fort, Delhi

1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया। 1956 में केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ। दिल्ली के इतिहास में 69 वां संविधान संशोधन विधेयक एक महत्त्वपूर्ण घटना है, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 में लागू हो जाने से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ। दिल्ली का पुरातात्विक परिदृश्य अत्यंत दिलचस्प है व सहस्राब्दियों पुराने स्मारक क़दम-क़दम पर खड़े नज़र आते हैं। नए या पुराने क़िलेबंद स्थान पर निर्मित 13 शहरों ने दिल्ली–अरावली त्रिकोण के लगभग 180 वर्ग किलोमीटर के एक सीमित क्षेत्र में अपनी मौजूदगी के निशान छोड़े हैं। दिल्ली के बारे में यह किंवदंती प्रचलित है कि जिसने भी यहाँ नया शहर बनाया, उसे इसे खोना पड़ा। सबसे पुराना नगर इंद्रप्रस्थ, क़रीब 1400 ई.पू निर्मित किया गया था और वेदव्यास रचित महाकाव्य महाभारत में इसका वर्णन पांडवो की राजधानी के रूप में मिलता है। इस त्रिकोण में निर्मित दिल्ली का दूसरा शहर है अनंगपुर या आनंदपुर, जिसकी स्थापना लगभग 1020 ई. में तोमर राजपूत नरेश अनंग पाल ने राजनिवास के रूप में की थी। यह शहर अर्द्धवृत्ताकार निर्मित तालाब सूरजकुंड के आसपास बसा था। अनंग पाल ने बाद में इसे 10 किलोमीटर पश्चिम की ओर लालकोट पर स्थापित एक दुर्ग में स्थानांतरित किया।

भौगोलिक संरचना

दिल्ली एक जलसंभर पर स्थित है। जो गंगा तथा सिंधु नदी प्रणालियों को विभाजित करता है। दिल्ली की सबसे महत्त्वपूर्ण स्थालाकृति विशेषता पर्वत स्कंध (रिज) है, जो राजस्थान प्रांत की प्राचीन अरावली पर्वत श्रेणियों का चरम बिंदु है। अरावली संभवत: दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत माला है, लेकिन अब यह पूरी तरह वृक्ष विहीन हो चुकी है। पश्चिमोत्तर पश्चिम तथा दक्षिण में फैला और तिकोने परकोट की दो भुजाओं जैसा लगने वाला यह स्कंध क्षेत्र 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। कछारी मिट्टी के मैदान को आकृति की विविधता देता है तथा दिल्ली को कुछ उत्कृष्ट जीव व वनस्पतियाँ उपलब्ध कराता है। यमुना नदी त्रिभुजाकार परकोटे का तीसरा किनारा बताती है। इसी त्रिकोण के भीतर दिल्ली के प्रसिद्ध सात शहरों की उत्पत्ति ई.पू. 1000 से 17 वीं शताब्दी के बीच हुई।

दिल्ली(शाहजहाँबाद) का एक दृश्य, वर्ष 1858

जलवायु

दिल्ली की जलवायु उपोष्ण है। दिल्ली में गर्मी के महीने मई तथा जून बेहद शुष्क और झुलसाने वाले होते हैं। दिन का तापमान कभी-कभी 40-45 सेल्सियस तक पहुँच जाता है। मानसून जुलाई में आता है। और तापमान को कम करता है। लेकिन सितंबर के अंत तक मौसम गर्म, उमस भरा और कष्टप्रद रहता है। यहाँ की वार्षिक औसत वर्षा लगभग 660 मिमी है। अक्टूबर से मार्च के बीच का मौसम काफ़ी सुहावना रहता है। हालांकि दिसंबर तथा जनवरी के महीने खूब ठंडे व कोहरे से भरे होते हैं। और कभी-कभी वर्षा भी हो जाती है।

दिल्ली का मानचित्र

शीतकाल में प्रतिदिन का औसत न्यूनतम तापमान 7 डिग्री से. के आसपास रहता है, लेकिन कुछ रातें अधिक सर्द होती है।

वनस्पति

दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते हैं। वर्षा की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक वनस्पति का प्रर्याप्त विकास नहीं हो पाता। फूलों के क़रीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है। यह यहाँ के वातावरण के अनुरुप ढल चुकी हैं, और दिल्ली शहर तथा आसपास के वातावरण में फलफूल रहे हैं। पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है। स्कंध क्षेत्र में पाई जाने वाली पर्वतीय वनस्पतियों में बबूल, जंगली खजूर तथा सघन झाड़ियाँ हैं। जिनमें कुछ फूलदार प्रजातियाँ भी शामिल हैं। यहाँ घास, बेले तथा लिपटने वाली अल्पायु लताएँ भी होती हैं, जो केवल बरसात के मौसम में पनपती हैं। दूसरी ओर नदी के तट के रेतीले एव क्षारीय भूभाग में विशेषकर मानसून व ठंड के महीने में वनस्पतियाँ समृद्ध एवं भिन्न हैं।

बिजली

दिल्‍ली के लिए इसकी अपनी उत्‍पादन इकाइयों- राजघाट बिजली घर, इंद्रप्रस्‍थ स्‍टेशन और बदरपुर ताप बिजलीघर सहित गैस टरबाइन पर आधारित इकाई से 850-900 मेगावाट बिजली प्राप्‍त होती है। शेष बिजली उत्तर क्षेत्रीय ग्रिड से प्राप्‍त की जाती है। दिल्‍ली में कई बिजली उत्‍पादन इकाइयां शुरू करने की योजना है। इंद्रप्रस्‍थ एस्‍टेट में प्रगति कंबाइंड पावर प्रोजेक्‍ट स्‍थापित किया जा चुका है। 330 मेगावाट प्रगति पावर परियोजना निर्माणाधीन है और जल्‍दी ही चालू होने वाली है। इसके 100 मेगावाट वाले प्रथम चरण को परीक्षण के लिए शुरू कर दिया गया है। बिजली वितरण को सुचारू बनाने के लिए दिल्‍ली विद्युत बोर्ड का निजीकरण कर दिया गया है और दिल्‍ली की बिजली व्‍यवस्‍था अब देश की दो जानी मानी-संस्‍थाओं- बी.एस.ई.एस. तथा टाटा पावर (एन.डी.पी.एल) द्वारा देखी जा रही है।[2]

प्राणी जीवन

दिल्ली में प्राणी जीवन ख़ासा विपुल, विविध तथा देशज है। मांसाहारी जीव प्रमुख रूप से देशी स्तनपायी हैं। लकड़बग्घे, भेड़िऐ, लोमड़ी, सियार तथा तेंदुए, जो पहले निचले जंगलों में विचरण करते थे, अब दर्रों तथा शहर की सीमांत पहाड़ी चोटियों पर पाए जाते हैं।

हिरण तथा वराह खुरदार प्राणियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये अब अपनी प्राकृतिक पर्यावास में कम ही मिलते हैं। साही, खरगोश, चूहे व गिलहरियां शहर के कृतंक जीव हैं तथा चमगादड़ कांटाचूहा और छछूंदर दिल्ली के कीट-भक्षी प्राणी हैं। जो अक्सर मंदिरों तथा ऐतिहासिक खंडहरों के आसपास पाए जाते हैं। दिल्ली का पक्षी जीवन भी समृद्ध एवं विविध है। घरेलू कबूतर, गौरैया, चीलें, कौवे, तोते, जंगली बटेर, तीतर, पूरे साल पाए जाते हैं। दिल्ली के आसपास की झीलें शीतकाल में कई प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है। यमुना नदी में मछलियों की 65 प्रजातियाँ पायी जाती थीं। प्रदूषण के कारण अब स्थिति अस्पष्ट है।

दिल्ली भवन सूची

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  • कम्युनिटी हाऊस
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निर्माण भवन

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  • विक्रम टॉवर
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  • पश्चिमी न्यायालय
  • व्हाइट हाऊस
  • विश्व बाज़ार केन्द्र
  • विश्व बाज़ार टॉवर
  • योजना भवन
थाना डिफेन्स कॉलोनी, दिल्ली

प्रशासन एवं नियोजन

प्रशासनिक व्यवस्था

  • दिल्ली ने प्रशासनिक व्यवस्था में कई फेरबदल देखे हैं।
  • 2 अगस्त, 1858 को ब्रिटिश संसद ने भारत सरकार अधिनियम पारित किया, जिसने भारत की अंग्रेज़ी सत्ता को ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश राज में स्थानांतरित कर दिया।
  • 1876 में महारानी विक्टोरिया के शासनाधिकार में 'भारत की सम्राज्ञी' पदवी शामिल हो गई।

स्तरों का समूह

दिल्ली राज्य प्रशासनिक एवं नियोजन क्षेत्रों के कई स्तरों का समूह है। इसका दायरा 1,483 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें शहरी संकेंद्रण तथा 209 गाँव आते हैं। जो दिल्ली महरौली तहसीलों में बटे हैं। वृहद स्तर पर यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) का ही भाग है।

जो नगर एव ग्रामीण संगठन (टी.सी.पी.ओ.) द्वारा 1971 में एक नियोजन क्षेत्र के रूप में अलग किया गया, ताकि दिल्ली के इर्द-गिर्द भावी विकास को दिशा दी जा सके। एन. सी. आर के अंतर्गत दिल्ली राज्य तथा हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के सीमावर्ती ज़िले या तहसीलें आती हैं। यह क्षेत्र दिल्ली महानगर के आसपास लगभग 100 किलोमीटर अर्द्धव्यास में फैला है। तथा इसमे 30,242,वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है। क्षेत्र के भावी संतुलित विकास के लिए एक समंवित (मास्टर प्लान) तैयार करने हेतु 1985 में महायोजना एन.सी.आर.बोर्ड का गठन किया गया। दिल्ली महानगर क्षेत्र उपवृहद स्तर पर है। जिनमें दिल्ली तथा निकटवर्ती राज्यों के सटे हुए शहरी भाग आते हैं। जो 3,182 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं। लघु स्तर पर दिल्ली का शहरी समूह आता है, जिसका क्षेत्रफल 446 वर्ग किलोमीटर है। इसमें तीन नगरीय क्षेत्र आते हैं। नई दिल्ली नगर पालिका समिति (एन.डी.एम.सी.), नगर निगम दिल्ली (शहर), एम.सी.डी. (यू) तथा दिल्ली छावनी के साथ-साथ जनगणना (सेंसस) द्वारा वर्गीकृत 23 उपनगर।

महानगरीय अधिशासन

दिल्ली का महानगरीय अधिशासन मुख्य रूप से नई दिल्ली नगर पालिका, दिल्ली नगर निगम तथा छावनी परिषद के अधीन है। दिल्ली नगर निगम निर्वाचित निकाय है। नई दिल्ली नगरपालिका (एन.डी.एम.सी.) के सदस्य शासन द्वारा मनोनीत होते हैं। नगर निगम के दायरे में अनिवार्य नागरिक एवं उचित कल्याणकारी कार्य आते हैं। गंदी बस्तियों को हटाना एवं सुधार इसके मुख्य कार्य हैं यह अपना काम क्षेत्रीय समितियों के माध्यम से करती है। जो स्थानीय पार्षदों तथा एक या अधिक पौर–मुख्य से गठित होती है, नई दिल्ली नगर पालिका का गठन 1933 में हुआ यह केवल नई दिल्ली (इसे यह स्वरूप वास्तुविद् एडविन लूटियंस ने दिया था) तथा इससे लगे हुए क्षेत्रो के प्रति उत्तरदायी हैं। छावनी क्षेत्र के स्थानीय कार्य रक्षा मंत्रालय के प्रशासन में आते हैं।

योजना

महानगरीय दिल्ली की योजना की ज़िम्मेदारी दिल्ली विकास प्राधिकरण (डी.डी.ए.) के अधीन है, जिसका गठन 1957 के एक संसदीय अधिनियम के तहत हुआ। शहर के प्रथम 20 वर्षों की नगर योजना (मास्टर प्लान) टी.सी.पी.ओ. द्वारा तैयार की गई तथा इसे दिल्ली की बेतरतीब वृद्धि को नियंत्रित करने तथा आम लोगों की क्रय–क्षमता योग्य एवं उपयुक्त आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वीकृत आधारों पर डी.डी.ए. द्वारा 1962 में लागू किया गया। शासन द्वारा 24 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र का अधिकरण करके शहरी विकास के लिए डी.डी.ए. को सौंपा गया। इस तरह डी. डी.ए साम्यवादी विश्व से बाहर राष्ट्रीयकृत भूमि का सबसे बड़ा विकासक बन गया। विलम्बित दूसरी नगर योजना 1986 में प्रभाव में आई तथा यह उद्योगीकरण को धीमा करने, विकेंद्रीकरण, अनेक स्थानोंको जोड़ते लोक परिवहन के प्रावधान तथा कम ऊँचाई वाली किंतु घनी आवासीय व्यवस्था पर केंद्रित थी।

पानी की समस्या

  • दिल्ली को प्रतिदिन कोई 3 अरब 60 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है। लेकिन केवल 2 अरब 90 करोड़ लीटर आपूर्ति ही हो पाती है।
  • आलोचकों का कहना है कि पानी की आपूर्ति में भी खूब भेदभाव बरता जा रहा है।
  • उदाहरण के लिए लुटियन वाली दिल्ली को प्रतिदिन कोई 30 करोड़ लीटर पानी मिलता है लेकिन महरौली जैसे स्थानों में यह 4 करोड़ से भी कम है।

जनजीवन

अन्य राजधानियों की तरह दिल्ली महानगर की गतिविधियाँ भी अत्यंत सक्रिय हैं। 19 वीं सदी के अंत मुग़ल शासन काल का वैभव समाप्त हो चुका था, दिल्ली की आबादी मुश्किल से पाँच लाख थी, लेकिन धीरे-धीरे यह किसी दानव की तरह बढ़ती गई। वर्ष 2001 में दिल्ली की शहरी आबादी 1 करोड़ 28 लाख के लगभग पहुँच चुकी है और दिल्ली राज्य की कुल आबादी 1 करोड़ 37 लाख के लगभग पहुँच गई है। जनसांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार 90 प्रतिशत आबादी शहरी है। इनमें भी 85 प्रतिशत लोग तीन स्थायी नगरो में बसते हैं।

2001 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली की आबादी में लिंग अनुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएँ) शहरी क्षेत्र में 821 है, जिसमें 1991 के 827 के मुक़ाबले कमी आई है। यह इस बात का सूचक है कि पुरुषों का शहरों की तरफ पलायन अधिक है। दिल्ली में साक्षरता का प्रतिशत 81.82 है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। अगर हम दिल्ली के जनसांख्यिकी इतिहास पर नज़र डालें, तो 1947 का कालखंड एक संक्रांति काल की तरह हमारे सामने खड़ा दिखाई देता है।

नारियल बेचता एक लड़का

इस काल में हज़ारों शरणार्थी पाकिस्तान से दिल्ली आए। इनकी वजह से न केवल यहाँ का जनसांख्यिकी ढांचा बदला, बल्कि दिल्ली के सामाजिक– सांस्कृतिक और आर्थिक स्वरूप में भी परिर्वतन आया। तब से शहर प्रवासियों की वजह से फैलता गया। हाल के दशकों में यहाँ जन्म-दर गिरी है, लेकिन प्रवासियों की आबादी का एक–तिहाई से अधिक हिस्सा प्रवासियों का है।

शहर के मुख्य धार्मिक समूहों में (1991 की जनगणना के अनुसार) हिन्दू (लगभग 83 प्रतिशत), सिक्ख (लगभग नौ प्रतिशत) हैं। जनसंख्या के शेष चार प्रतिशत का निर्माण जैन, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध और अन्य लोग करते हैं। अधिकांश लोग हिन्दी या उसका परिवर्तित रूप हिंदुस्तानी बोलते हैं। पंजाबी भाषा पंजाबियों द्वारा बोली जाती है। तथा उर्दू मुसलमानों द्वारा बोली जाती है। विभिन्न प्रांतों से आए आप्रवासी अपनी-अपनी भाषा बोलते हैं, लेकिन कामचलाऊ हिन्दी सीखने की कोशिश करते हैं। शिक्षित वर्ग द्वारा अंग्रेज़ी समझी व बोली जाती है।


अर्थव्यवस्था

किसी भी ऐतिहासिक राजधानी की तरह दिल्ली भी वैविध्यपूर्ण केंद्र है, जिसमे प्रशासन, सेवाएं और निर्माण अच्छी तरह मिले–जुले हैं। दिल्ली कला एव हस्तकौशल की प्रचुर विविधता का केंद्र रहा है। मुग़ल काल में दिल्ली रत्न और आभूषण, धातु पच्चीकारी, क़सीदाकारी, सोने की पच्चीकारी, रेशम और ज़री का काम, मीनाकारी और शिल्प, मूर्तिकला और चित्रकला के लिए विख्यात थी। दिल्ली का वर्तमान प्रशासकीय महत्त्व उस समय से है, जब भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया और ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी, वाणिज्यिक और सेवा केन्द के रूप में विकसित हो गई। यहाँ की लगभग तीन–चौथाई आबादी व्यापार लोक प्रशासन, सामुदायिक, सामाजिक और निजी सेवाओं में संलग्न है।

कृषि और खनिज

गेहूँ, बाजरा, ज्‍वार, चना और मक्‍का की प्रमुख फ़सलें हैं, लेकिन अब किसान अनाज वाली फ़सलों की बजाय फलों और सब्जियों, दुग्‍ध उत्‍पादन, मुर्गी पालन, फूलों की खेती को ज्‍यादा महत्‍व दे रहे हैं।

ये गतिविधियाँ खाद्यान्‍नों, फ़सलों के मुक़ाबले अधिक लाभदायक साबित हुई हैं।

सिंचाई

दिल्‍ली के गाँवों का तेज़ी से शहरीकरण होने की वजह से सिंचाई के अंतर्गत आने वाली खेती योग्‍य भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। राज्‍य में ‘केशोपुर प्रवाह सिंचाई योजना चरण तृतीय’ तथा ‘जल संशोधन संयंत्र से सुधार एवं प्रवाह विस्‍तार सिंचाई प्रणाली’ नामक दो योजनाएं चलाई जा रही है। राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्‍ली के ग्रामीण क्षेत्र में 350 हेक्‍टेयर की सिंचाई राज्‍य नलकूपों द्वारा और 1,376 हेक्‍टेयर की सिंचाई अतिरिक्‍त पानी द्वारा की जा रही है।

Irrigation-India.JPG

इसके अलावा 4,900 हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई हरियाणा सरकार के अधीन पश्चिमी यमुना नहर द्वारा की जा रही है।

उद्योग

दिल्‍ली न केवल उत्तर भारत का सबसे बड़ा व्‍यावसायिक केंद्र है, बल्कि यह लघु उद्योगों का भी सबसे बड़ा केंद्र है। इनमें टेलीविज़न, टेपरिकार्डर, हल्‍का इंजीनियरिंग साज-सामान, मशीनें, मोटरगाडियों के हिस्‍से पुर्ज़े, खेलकूद का सामान, साइकिलें, पी.वी.सी. से बनी वस्‍तुएं जूते-चप्‍पल, कपड़ा, उर्वरक, दवाएं, हौजरी का सामान, चमड़े की वस्‍तुएं, सॉफ्टवेयर आदि विभिन्‍न वस्‍तुएं बनाई जाती हैं।

20 वीं सदी के प्रारंभ में यहाँ आधुनिक उद्योगों का प्रवेश हुआ। यहाँ के बड़े उद्योगों में कपास की ओटाई, कताई और बुनाई; आटा एव मैदा की मिलें पैकिंग; गन्ने व तेल का प्रसंस्करण प्रमुख थे।

बाज़ार का एक दृश्य, दिल्ली

लघु उद्योगों में मुद्रण, जूता निर्माण, क़सीदाकारी, बेकरी, शराब निर्माण लोहा तथा पीतल का काम होता है। 1980 के दशक से औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि शुरू हुई। 1981 में 50 हज़ार पंजीकृत औद्योगिक इकाइयों की संख्या बढकर 1990 में 81 हज़ार हो गई। इस कालखंड में औद्योगिक निवेश, उत्पादन और रोज़गार में भी लगभग दुगुनी वृद्धि हुई। 1990 के दशक में इस शहर के आर्थिक स्वरूप में महत्त्वपूर्ण स्थान बन गया और पुरानी दिल्ली ने उत्तर भारत के थोक वाणिज्यिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान को और अधिक सुद्ढ़ बना लिया। दिल्‍ली की नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, टेलीकम्‍यूनि‍केशन, सॉफ्टवेयर उद्योग तथा सूचना प्रौद्योगिकी को समर्थ सेवा बनाने वाले उद्योग लगाने पर बल दिया गया है। दिल्‍ली में ऐसी औद्योगिक इकाइयां लगाने को प्रोत्‍साहन दिया जा रहा है, जिनसे प्रदूषण नहीं फैलता और जिनमें कम कामगारों की आवश्‍यकता होती है। दिल्‍ली राज्‍य औद्योगिक विकास निगम ओखला स्थित व्‍यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र के भवन में रत्न, आभूषण और परख तथा मीनाकारी का एक प्रशिक्षण संस्‍थान खोल रहा है।

दिल्ली में बाज़ार के विभिन्न दृश्य


दिल्ली के बाज़ार का एक दृश्य हलवाई की दुकान, दिल्ली मसाले की दुकान, दिल्ली सरोजिनी नगर, दिल्ली दिल्ली के बाज़ार का एक दृश्य कपड़ो की दुकान, दिल्ली कपड़ो की दुकान, दिल्ली फूलो का बाज़ार, दिल्ली दिल्ली के बाज़ार का एक दृश्य

शिक्षा

शैक्षणिक,अनुसंधान एवं अन्य संस्थान

  • कृषि अर्थव्यवस्था अनुसंधान केन्द्र
  • अली फतेह अरेबिया विद्यालय
  • अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
  • अमेरिकन विद्यालय
  • अंध महिला महाविद्यालय
  • अंध महाविद्यालय
  • आंध्र उच्च माध्यमिक विद्यालय
  • आर्य भट्ट पोलिटेक्निक कॉलेज
  • आर्य पब्लिक स्कूल
  • आत्माराम सनातन धर्म महाविद्यालय
  • अरबिंदो महाविद्यालय
  • ऑक्सिलियम पब्लिक स्कूल
  • बाल भारती विद्यालय
  • बलवंत राय मेहता विद्या भवन
  • भगतसिंह महाविद्यालय
  • भारत स्काउट एवं गाइड प्रशिक्षण केन्द्र
  • भारती महिला महाविद्यालय
  • भारतीय विद्या भवन
  • बिड़ला प्रबंधक तकनीक संस्थान
  • बिड़ला विद्या निकेतन
  • अंध सहायता विद्यालय
  • ब्रिटिश स्कूल
  • केम्ब्रिज स्कूल
  • केन्द्रीय परिवार कल्याण संस्थान
  • केन्द्रीय विद्या संस्थान
  • केन्द्रीय जन स्वास्थ्य इंजीनियरिंग
  • अनुसंधान संस्थान
  • केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान
  • योग अनुसंधान
  • केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान
  • कला महाविद्यालय
  • फार्मेसी महाविद्यालय
  • ग्रामीण तकनीक कौसिल
  • वैज्ञानिक एवं औद्योगिक
  • अनुसंधान केन्द्र
  • डी.ए.वी. स्नाकोत्तर महाविद्यालय
  • डी.ए.वी पब्लिक स्कूल
  • डी.ए.वी. स्कूल
  • दौलतराम महाविद्यालय
  • दयाल सिंह महाविद्यालय
  • दयानंद मॉडल स्कूल
  • दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज
  • दिल्ली पब्लिक स्कूल
  • दिल्ली अर्थशास्त्र विद्यालय
  • दिल्ली सामाजिक कार्य विद्यालय
  • दिल्ली विश्वविद्यालय (दक्षिणी केंपस)
  • देशबंधु महाविद्यालय
  • डॉन बॉस्को स्कूल
  • डी.टी.इ.ए. सीनियर सैकंडरी स्कूल
  • एजुकेशनल मॉडल सैकंडरी स्कूल
  • पर्यावरण विज्ञान संस्थान
  • फैथ अकादमी
  • गांधर्व महाविद्यालय
  • जर्मन स्कूल
  • जनरल राजा शंकरन स्कूल
  • महिला सीनियर सैकंडरी स्कूल
  • गोविंद बल्लभ पंत पोलिटेक्निक
  • राजकीय बाल सी. सै. स्कूल
  • राजकीय बाल सी. सै. स्कूल सरकारी
  • राजकीय मोटर चालन प्रशिक्षण केन्द्र
  • राजकीय सीनियर सैकंडरी विद्यालय
  • गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल
  • गुरु तेग बहादुर खालसा
  • गुरु तेग बहादुर पोलिटेक्निक
  • ज्ञान भारती विद्यालय
  • हंसराज कॉलेज
  • हरकोर्ट बटलर सीनियर सैकंडरी स्कूल
  • हिंदू महाविद्यालय
  • उच्च तकनीक वोकेशनल प्रशिक्षण केन्द्र
  • महिला आई.टी.आई
  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा आई.सी.ए.आर.
  • भारतीय विदेश व्यापार संस्थान
  • भारतीय इस्लामिक शिक्षा संस्थान
  • भारतीय मॉस कम्युनिकेशन संस्थान
  • भारतीय विज्ञान अकादमी
  • भारतीय जन प्रबंधन संस्थान
  • भारतीय तकनीक संस्थान
  • भारतीय क़ानून संस्था
  • भारतीय पर्वतारोही संस्थान
  • भारतीय स्काउट गाइड प्रशिक्षण केन्द्र
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय
  • इंद्रप्रस्थ महाविद्यालय
  • औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान
  • एप्लाइड मेनपावर संस्थान
  • एप्लाइड अनुसंधान संस्थान
  • पुरातत्त्व संस्थान
  • अंध संस्थान
  • कंपनी सचिवालय संस्थान
  • आर्थिक विकास संस्थान
  • ऐतिहासिक औषधि एवं चिकित्सा अनुसंधान संस्थान
  • घरेलू अर्थव्यवस्था संस्थान
  • होटल प्रबंधक, खानपान एवं पोषण संस्थान
  • चिकित्सा संस्थान
  • स्नातकोत्तर शिक्षा संस्थान
  • इंस्टीट्यूट ऑफ रशियन स्टडीज
  • सचिवालय प्रशिक्षण एवं प्रबंधक संस्थान
  • मानक संस्थान
  • अंतर्राष्ट्रीय भारतीय संस्कृति अकादमी
  • जगजीवन राम विद्या भवन
  • जामिया मिलिका
  • जामिया ग्रामीण संस्थान
  • जामिया अध्यापक महाविद्यालय
  • जानकीदेवी महिला महाविद्यालय
  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
  • जीसस एवं मैरी महाविद्यालय
  • जगदीश टाइटलर पब्लिक स्कूल
  • कालिंदी महाविद्यालय
  • कमला नेहरू महिला महाविद्यालय
  • केन्द्रीय विद्यालय
  • केन्द्रीय विद्यालय
  • केरला सीनियर सैकंडरी स्कूल
  • खालसा स्कूल एवं महाविद्यालय
  • खालसा महाविद्यालय
  • किरोड़ीमल महाविद्यालय
  • लेडी हारडिंग आयुर्विज्ञान महाविद्यालय
  • लेडी इरविन महाविद्यालय
  • लेडी इरविन सी.सै, महाविद्यालय
  • लेडी नोयस सीनियर सैकंडरी स्कूल
  • लेडी श्रीराम महिला महाविद्यालय
  • लक्ष्मी बाई महाविद्यालय
  • लक्ष्मी महाविद्यालय
  • लालबहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ
  • लायंस विद्या मन्दिर
  • लोरेटो कॉंवेंट
  • माता सुंदरी महिला महाविद्यालय
  • माते दी महाविद्यालय
  • मत्तड़ दिल्ली स्कूल
  • मौलाना आज़ाद आयुर्विज्ञान महाविद्यालय
  • मॉडर्न स्कूल
  • मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय
  • माउंट सेंट मैरी स्कूल
  • राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्
  • नेशनल इंस्ट्रीट्यूट ऑफ एंटरप्रीन्यूरशिप राष्ट्रीय
    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान
  • नेशनल इंस्ट्रीट्यूट ऑफ इम्युनोलॉजी
    राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला
  • राष्ट्रीय दूषित पदार्थ अनुसंधान केन्द्र
  • नवयुग विद्यालय
  • नेहरू होम्योपैथिक
  • न्यू ग्रीन फील्ड स्कूल
  • एन.डी.एम.सी. स्कूल
  • एन.पी. बाल सीनियर सैकंडरी स्कूल
  • नर्सिंग महाविद्यालय
  • नूतन मराठी उच्च माध्यमिक विद्यालया
  • पी.एंड टी स्कूल
  • पीजीडीएवी महाविद्यालय
  • पिटमान आशुलिपि विद्यालय
  • पोलिटैक्निक पूसा संस्थान
  • रायसैना बंगाली स्कूल
  • रामजस महाविद्यालय
  • रामजस उच्च माध्यमिक विद्यालय
  • रामजस सीनियर सैकंडरी विद्यालय
  • राम जूनियर विंग स्कूल
  • रामजस खेल एवं पर्वतारोहण संस्थान
  • राव तुलाराम महाविद्यालय
  • तकनीक एवं विकास अनुसंधान
  • चिकित्सा शिक्षा साधन केन्द्र
  • आर. जी. पोलिटैक्निक
  • रॉकफेलर फाउंडेशन
  • रूफैदा नर्सिंग स्कूल
  • सालवन पब्लिक स्कूल
  • सत्यवती महाविद्यालय
  • योजना एवं साज-सज्जा प्रशिक्षण विद्यालय
  • शिवाजी डिग्री महाविद्यालय
  • श्री सत्य सांई विद्या विहार विद्यालय
  • श्यामलाल महाविद्यालय
  • श्री राम वाणिज्य महाविद्यालय
  • सेंट जॉन विद्यालय
  • सेंट माइकल सीनियर सैकंडरी स्कूल
  • सेंट स्टीफन महाविद्यालय
  • सेंट थॉमस विद्यालय
  • स्प्रिंगडलेस विद्यालय
  • सेंट मार्टिन विद्यालय
  • टेलीक्युनिकेशन प्रशिक्षण संस्थान
  • तिब्बिया महाविद्यालय
  • व्यापार आदान-प्रदान प्रशिक्षण संस्थान
  • टाइटलर उच्च माध्यमिक विद्यालय
  • आयुर्विज्ञान विश्व विद्यालय
  • यूनाइटेड स्टेट अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय
  • वेंकटेश्वरा महाविद्यालय
  • वृजानंद अंध कन्या विद्यालय
  • महिला महाविद्यालय तीमारपुर
  • महिला पोलिटैक्निक रोहिणी
  • महिला पोलिटैक्निक

दिल्ली, भारत में शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। दिल्ली के विकास के साथ-साथ यहाँ शिक्षा का भी तेज़ी से विकास हुआ है। प्राथमिक शिक्षा तो प्रायः सार्वजनिक या नि:शुल्क है। एक बहुत बड़े अनुपात में बच्चे माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्त्री शिक्षा का विकास हर स्तर पर पुरुषों से अधिक हुआ है। यहाँ की शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थी भारत के सभी भागों से आते हैं। दिल्ली में उच्चतर शिक्षा एवं अनुसंधान के अनेक केन्द्र हैं। लगभग ग्यारह विश्वविद्यालय, अनेक महाविद्यालय, अनगिनत प्राथमिक अनुसंधान केन्द्र पूरी दिल्ली में फैले हैं। यहाँ कई सरकारी एवं निजी शिक्षा संस्थान हैं जो कला, वाणिज्य, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, आयुर्विज्ञान, विधि और प्रबंधन में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं।

उच्च शिक्षा के संस्थानों में सबसे महत्त्वपूर्ण दिल्ली विश्वविद्यालय है जिसके अन्तर्गत कई कॉलेज एवं शोध संस्थान हैं। गुरु गोबिन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, टेरी - ऊर्जा और संसाधन संस्थान एवं जामिया मिलिया इस्लामिया उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थान हैं।

यातायात और परिवहन

भारत सरकार ने दिल्‍ली शहर में बढ़ते वाहन प्रदूषण और यातायात की अस्‍त-व्‍यस्‍त स्थिति को देखते हुए मास रैपिड ट्रांज़िट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। यह परियोजना कार्यान्वित की जा रही है और इसमें अति आधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। दिल्‍ली में मेट्रो रेल परियोजना आ गई है। अब दिल्‍ली मेट्रो के प्रथम चरण में तीन मेट्रो कॉरीडोर हैं जो रिकार्ड समय में पूरे होकर काम भी करने लगे हैं।

मेट्रो रेल, दिल्ली<

शाहदरा से रिठाला और दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से कें‍द्रीय सचिवालय के बीच लाइनें बिछ गई हैं और इन पर गाडियाँ भी चलने लगी हैं। बाराखंभा और द्वारका के बीच तीसरी लाइन भी चालू हो गई है। दिल्‍ली मेट्रो के द्वितीय चरण को भी स्‍वीकृत मिल गई है जिससे राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के यात्रियों को बेहतर संपर्क सुविधा प्राप्‍त हो सकेगी। दिल्‍ली सडकों, रेल लाइनों और विमान सेवाओं के ज़रिये भारत के सभी भागों से भलीभांति जुड़ी हुई है। यहाँ तीन हवाई अड्डे हैं। इंदिरा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डा अंतर्राष्‍ट्रीय उड़ानों के लिए पालम हवाई अड्डा घरेलू उड़ानों के लिए तथा सफदरजंग हवाई अडडा प्रशिक्षण उड़ानों के लिए इस्‍तेमाल किया जा रहा है। दिल्‍ली में तीन महत्‍वपूर्ण रेलवे स्‍टेशन भी हैं। ये दिल्‍ली जंक्‍शन, नई दिल्ली रेलवे स्‍टेशन और निज़ामुद्दीन रेलवे स्‍टेशन के नाम से जाने जाते हैं।[3]तीन अंतर्राष्‍ट्रीय बस अड्डे- कश्‍मीरी गेट, सराय काले ख़ाँ और आनंद विहार में हैं।

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली
Indira Gandhi International Airport, Delhi
वायु मार्ग

पर्यटकों के लिए भारत का व्यस्ततम प्रवेश बिन्दु इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह दिल्ली से अन्य देशों और शहरों को जोड़ता है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से सात किलोमीटर और कनॉट प्लेस से 12 किलोमीटर की दूरी पर दूसरा हवाई अड्डा स्थित है। जहाँ से घरेलू उड़ानें संचालित होती हैं। सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अंतर्राष्ट्रीय आवागमन रहता है। हवाई अड्डे से शहर में आने-जाने के लिए तीन तरह की टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। पीली व काली धारियों वाली टैक्सी शहर में घूमने के लिए हैं। दिल्ली टैक्सी पूरे भारत में भ्रमण के लिए हैं। आगमन क्षेत्र में प्री-पेड (हवाई अड्डे पर ही मूल्य चुकाया जाता है) टैक्सी व्यवस्था का काउंटर भी स्थापित है। टर्मिनल एक व दो से कोच सुविधा भी प्राप्त की जा सकती है। प्रत्येक घण्टे से छूटने वाले ये कोच, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन एवं कश्मीरी गेट अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डे तक जाते हैं। मार्ग में आने वाले प्रमुख होटलों पर इनका ठहराव निश्चित है।

रेल मार्ग
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन

दिल्ली देश के सभी भागों से रेलमार्ग से जुड़ा है। रेलवे स्टेशनों पर प्री-पेड टैक्सी व्यवस्था उपलब्ध है। तीनों प्रमुख रेलवे स्टेशनों से ऑटो-रिक्शा एवं बसों की सुविधा अनवरत उपलब्ध है। सुपरफ़ास्ट राजधानी एक्सप्रैस दिल्ली से कलकत्ता, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर और हैदराबाद महानगरों के बीच चलती हैं। शताब्दी एक्सप्रैस दिल्ली को प्रमुख राज्यों की राजधानियों भोपाल, अमृतसर और लखनऊ से जोड़ती है।

सड़क मार्ग

उत्तरी भारत के सभी बड़े शहरों के लिए दिल्ली से सीधी बस सेवा उपलब्ध है। पुरानी दिल्ली के पास स्थित कश्मीरी गेट पर मुख्य बस स्टेंण्ड है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डा कहा जाता है। यहाँ से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश आदि के लिए बसें उपलब्ध हैं। निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन के समीप आया हुआ सराय काले ख़ाँ बस स्टेण्ड से आगरा, मथुरा, वृन्दावन, ग्वालियर एवं भरतपुर आदि के लिए बसें मिलती हैं।

बस, दिल्ली
Bus, Delhi

दिल्ली, राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से वर्धमान, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और आगरा के रास्ते कोलकता से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से सूरत, अहमदाबाद, उदयपुर, अजमेर और जयपुर के रास्ते मुंबई से जुड़ी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जालंधर, लुधियाना और अंबाला होते हुए अमृतसर और राष्ट्रीय राजमार्ग 24 से रामपुर और मुरादाबाद के रास्ते लखनऊ से जुड़ी है।

स्थानीय परिवहन

ऑटो रिक्शा

दिल्ली में मीटर से चलने वाले तिपहिया ऑटो रिक्शा सर्वत्र उपलब्ध हैं।

लोकल रेल, दिल्ली
बसें

दिल्ली भ्रमण हेतु बसें सबसे सस्ता व सुलभ साधन हैं। दिल्ली राज्य परिवहन सेवा की हरी धारियों वाली बसें दिल्ली परिवहन निगम की हैं। जबकि नीली धारियों वाली बसें निजी क्षेत्र की हैं। कुछ अतिरिक्त भुगतान पर आरामदेह सफ़ेद धारियों वाली बसों में सफर किया जा सकता है।[4]

रिंग रेल

पाँच प्रमुख बाज़ारों चाँदनी चौक, सदर बाज़ार, कनॉट प्लेस, प्रगति मैदान एवं आईटीओ को जोड़ती हुई रिंग रेल की सुविधा भी उपलब्ध है।

गाइड टूर

प्रशिक्षित गाइडों के साथ आरामदेह गाड़ियों में पूरे दिन या आधे दिन के गाइड टूर भी संचालित किए जाते हैं। ये टूर शहर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सैर कराते हैं। इसके अलावा हर क्षेत्र में टैक्सी स्टेण्ड हैं, जहाँ से टैक्सी मिल जाती है। पुरानी दिल्ली क्षेत्र में साइकिल रिक्शा भी मिल जाते हैं। प्रमुख होटलों एवं टैक्सी स्टेण्डों पर भारतीय एवं विदेशी कम्पनियाँ कार किराए पर उपलब्ध कराती हैं।[5]

कला

वास्तुकला

महात्मा गांधी, गांधी स्मृति संग्रहालय, दिल्ली

दिल्ली के वैविध्यपूर्ण इतिहास ने विरासत में इसे समृद्ध वास्तुकला दी है। शहर के सबसे प्राचीन भवन सल्तनत काल के हैं और अपनी संरचना व अलंकरण में भिन्नता लिए हुए हैं। प्राकृतिक रुपाकंनों, सर्पाकार बेलों और क़ुरान के अक्षरों के घुमाव में हिन्दू राजपूत कारीगरों का प्रभाव स्पष्ट नज़र आता है। मध्य एशिया से आए कुछ कारीगर कवि और वास्तुकला की सेल्जुक शैली की विशेषताएं मेहराब की निचली कोर पर कमल- कलियों की पंक्ति, उत्कीर्ण अलंकरण और बारी-बारी से आड़ी और खड़ी ईटों की चिनाई है। ख़िलज़ी शासन काल तक इस्लामी वास्तुकला में प्रयोग तथा सुधार का दौर समाप्त हो चुका था और इस्लामी वास्तुकला में एक विशेष पद्धति और उपशैली स्थापित हो चुकी थी जिसे पख़्तून शैली के नाम से जाना जाता है। इस शैली की अपनी लाक्षणिक विशेषताएं हैं। जैसे घोड़े के नाल की आकृति वाली मेहराबें, जालीदार खिड़कियां, अलंकृत किनारे बेल बूटों का काम (बारीक विस्तृत रूप रेखाओं में) और प्रेरणादायी, आध्यात्मिक शब्दांकन बाहर की ओर अधिकांशत: लाल पत्थरों का तथा भीतर सफ़ेद संगमरमर का उपयोग मिलता है।

वास्तुकला की परंपरा में बदलाव

तुग़लक़ों ने वास्तुकला की परंपरा में बदलाव कर अलंकरण का तत्त्व समाप्त कर दिया इस काल में स्लेटी पत्थरों वाले सीधे सपाट निर्माण को प्राथमिकता दी गई उनकी इमारतों में एक दूसरे पर आधारित छतों वाली सादी मेहराबों क़ुरान की आयत से खुदे किनारों और भट्टी में रंगी टाइलों को प्रभावशाली ढंग से शामिल किया गया। तुग़लक़ों ने अपने भवनों में सजावट पर कम, और उनकी आकृति की भव्यता पर अधिक ज़ोर दिया। सैयद और लोदी काल में गुंबदीय ढांचे की दो जटिल शैलियां प्रचलित हुईं। निम्न अष्टभुजाकार आकृति वाली शैली जिसका ज़मीनी क्षेत्रफल काफ़ी विशाल होता था। और ऊँची वर्गाकार शैली जिसमें भवन का अग्रभाग चारो ओर से गुजरने वाली पट्टी और फलक श्रृंखला रूपी सजावटी तत्त्व से विभाजित होता था, जो इन्हें दो या तीन मंज़िल जैसे होने का रूप देती प्रतीत होती थी। लोदी काल में बगीचे वाले मकबरों का निर्माण भी हुआ। इस काल की मस्जिदों में मीनारें नहीं होती थी।

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, दिल्ली
National Railway Museum, Delhi

वास्तविक गौरव

कला एवं सांस्कृतिक संस्थान और केन्द्र

  • ऑल इंडिया फ़ाइन आर्टस एंड क्राफ़्ट सोसाइटी (ए.आई.एफ.ए.सी.एस.)
  • इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र
  • ललित कला अकादमी
  • भारतीय नाट्य कला स्कूल
  • नाट्य बैले सेंटर
  • साहित्य कला परिषद
  • श्री राम कला एवं संस्कृति परिषद
  • त्रिवेणी कला संगम
  • अमरीका सेंटर/यू.एस.आई.एस.
  • अरब सांस्कृतिक केन्द्र
  • फ़्रांस सांस्कृतिक केन्द्र
  • हंगरी सांस्कृतिक केन्द्र
  • भारतीय हेबिटेट केन्द्र
  • इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र
  • ईरान सांस्कृतिक केन्द्र
  • इज़रायल सांस्कृतिक केन्द्र
  • जापान सांस्कृतिक केन्द्र
  • कत्थक केन्द्र, भावलपुर भवन
  • मैक्स मूलर भवन
  • राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
  • नाट्य बैले केन्द्र
  • राजीव गाँधी फ़ाउंडेशन
  • साहित्य कला परिषद
  • श्री राम भारतीय कला केन्द्र
  • त्रिवेणी कला संगम

दिल्ली की वास्तुकला का वास्तविक गौरव मुग़ल कालीन है। दिल्ली में हुमायूँ का मक़बरा मुग़ल वास्तुकला का प्रथम महत्त्वपूर्ण नमूना है। हुमायूं के मकबरे को 1565 ई. में उसकी बेगम हमीदा बानो ने बनवाया था। इसमें हमीदा की क़ब्र भी हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न कालों में बनी दारा शिकोह फ़ुरुख़सियर तथा आलमगीर द्वितीय आदि की भी क़ब्रें यहीं स्थित हैं। कहा जाता है कि मुग़ल परिवार के तथा उससे संबंधित 90 से अधिक व्यक्तियों की क़ब्रें यहाँ हैं। 1857 की राज्यकांति में अंतिम मुग़ल सम्राट बहादुरशाह को मुग़लों ने यहीं क़ैद किया था। ताजमहल का अग्रगामी यह निर्माण भारत का पहला पूर्ण विकसित बग़ीचे वाला मक़बरा भी है। इसने भारतीय वास्तुकला में ऊँची मेहराबों और दोहरे गुंबदों की शुरुआत की जो मुग़ल वास्तुकला के प्रतिनिधि नमूने लाल क़िले में दिखाई देते हैं। इसमें निर्मित नक़्क़ारख़ाने, दीवार-ए-आम और दीवार-ए-ख़ास, महल तथा मनोरंजन कक्ष, छज्जे, हमाम, आंतरिक नहरें और ज्यामितीय सौंदर्यबोध के साथ निर्मित बगीचे तथा एक अलंकृत मस्जिद देखते ही बनते हैं। जामा मस्जिद मुग़लकालीन मस्जिदों की वास्तविक प्रतिनिधि है। यह पहली मस्जिद है, जिनमें मीनारें भी हैं। अधिकांश भवनों में संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है। जिनमें नक़्क़ाशी तथा बहुरंगी पत्थरों की सजावट के नायाब नमूने हैं।

आंग्ल वास्तुकला

दिल्ली की आंग्ल वास्तुकला औपनिवेशिक तथा मुग़लकालीन कला का प्रतीक है। यह वाइसरॉय के आवास संसद भवन और सचिवालय के विशाल भवनों से लेकर आवासीय बंगलों और दफ़्तरों जैसी उपयोगी इमारतों तक वैविध्यपूर्ण है। स्वतंत्र भारत में वास्तुकला ने अपनी अलग उपशैली विकसित करने का प्रयास किया है। देशज तथा पश्चिमी शैली के मिश्रित स्वरूप में स्थानीय उपशैलीयों की छटा दिखाई देती है। सर्वोच्च न्यायालय भवन, विज्ञान भवन विभिन्न मंत्रालयों के कार्यालय कनॉट प्लेस के आसपास की इमारतें इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं। हाल ही में दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कुछ वास्तुकार हुए जिन्होंने दिल्ली के परिदृश्य में कुछ आकर्षण भवन जोड़े हैं। जिन्हें उत्तर-आधुनिक कहा जाता है। टीकाकरण संस्थान, भारतीय जीवन बीमा निगम का मुख्यालय और बहाई मंदिर इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं।

संग्रहालय

संग्रहालय एवं स्मृति भवन

  • पुरातत्त्व संग्रहालय
  • उद्योग संग्रहालय
  • गुड़िया संग्रहालय
  • इंजीनियरिंग संग्रहालय
  • गाँधी भवन
  • गाँधी दर्शन
  • राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय
  • गाँधी सदन (बिड़ला भवन)
  • जवाहरलाल नेहरू स्मृति संग्रहालय
  • पुरातत्त्व संग्रहालय
  • राष्ट्रीय संग्रहालय
  • राष्ट्रीय बाल संग्रहालय
  • राष्ट्रीय संग्रहालय
  • राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय
  • राष्ट्रीय डाकटिकट संग्रहालय
  • नेहरू प्लेनेटेरियल
  • भारतीय युद्ध स्मृति संग्रहालय
  • इंदिरा गाँधी स्मृति संग्रहालय
  • रेल परिवहन संग्रहालय
  • तीन मूर्ति भवन
  • वायुसेना एवं युद्ध संग्रहालय

पालम के नज़दीक स्थित इस संग्रहालय में भारतीय वायुसेना की ऐतिहासिक वस्तुओं का अवलोकन किया जा सकता है। प्रथम विश्वयुद्ध के समय के हवाई जहाज़, चित्र एवं साहसिक दुस्साहसिक प्रदर्शन के फ़ोटोग्राफ़्स का यहाँ दुर्लभ संग्रह है। राष्ट्र के सम्मान में अपना सर्वस्त्र न्यौछावर करने वाले वासुसेना के पायलटों को श्रद्धाजंली देता युद्ध संग्रहालय भी यहीं पर स्थित है।

  • हस्तशिल्प संग्रहालय
  • ग्रामीण जनजीवन की झाँकी प्रस्तुत करता लोक एवं आदिवासी कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रहालय है। यह संग्रहालय प्रगति मैदान के अदिती पवैलियन में स्थित है। इस संग्रहालय में भारत की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रदर्शित किया गया है।
    गुड़िया संग्रहालय

लगभग 6,000 गुड़ियों से भरा यह संग्रहालय बाल पुस्तक ट्रस्ट का ही एक हिस्सा है। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय संग्रह की अधिकांश गुड़िया अपनी पारम्परिक वेशभूषा में प्रदर्शित हैं। प्रख्यात पत्रकार शंकर द्वारा स्थापित यह संग्रहालय बहादुर शाह जफ़र मार्ग के पूर्व में स्थित है। यहाँ विश्व भर के खिलौना निर्माताओं का आगमन रहता है। यहीं स्थित बी.सी. रॉय बाल पुस्तकालय है, जिसमें बच्चों के लिए उत्तम पुस्तकों का संग्रह है। छोटे बच्चों के लिए यहाँ खेलघर भी बना है।

  • भू-संग्रहालय (फ़ील्ड म्यूज़ियम)

पुराने क़िले में स्थित इस संग्रहालय में पुरातत्त्व खुदाई से प्राप्त पत्थर, सिक्के और अवशेष देखे जा सकते हैं। यहाँ 200 से 100 ईसा पूर्व के सिक्के, मौर्यकालीन अवशेष, गुप्तकालीन सिक्के, मानव अवशेष, 1266-86 काल के बलबन एवं 1325-57 कालीन मुहम्मद बिन तुग़लक़ के शासन में चलने वाले सिक्के भी यहाँ प्रदर्शित हैं।

गांधी स्मृति संग्रहालय
  • गांधी राष्ट्रीय संग्रहालय

राजघाट के सामने सड़क के उस पार स्थित इस संग्रहालय में गांधी जी की लाठी, चरखा, चश्मा, चप्पल, छड़ी और कुछ पेन संग्रहित हैं। यहाँ गांधीजी द्वारा कारागृह में प्रयुक्त खाना बनाने के बर्तन एवं गांधी के सीने को छलनी करने वाली नाथूराम गौडसे के रिवॉल्वर की गोली भी प्रदर्शित है।

  • भारतीय युद्ध स्मृति संग्रहालय

लाल क़िले में नौबतख़ाने के ठीक ऊपरी भाग में स्थित इस संग्रहालय में प्रमुख विश्वयुद्ध से मुग़लकालीन युद्धों में प्रयुक्त अस्त्र-शस्त्र आदि संग्रहित हैं।

  • इंदिरा गांधी संग्रहालय
इंदिरा गांधी संग्रहालय

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का राजकीय निवास 1, सफ़दरजंग रोड को अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। यहाँ श्रीमती इंदिरा गांधी की व्यक्तिगत यादें संजाई गई हैं। राष्ट्रीय आन्दोलनों में नेहरू-गांधी परिवार के सहयोग से सम्बन्धित कई छायाचित्र भी यहाँ दर्शनीय हैं। यहाँ 1984 में हुई इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के स्थल को भी दर्शाया गया है।

  • राष्ट्रीय संग्रहालय

1960 तक राष्ट्रपति भवन में चल रहे इस संग्रहालय को 1960 में वर्तमान जगह पर स्थानान्तरित किया गया। यह भारत के ऐतिहासिक एवं महत्त्वपूर्ण संग्रहालयों में से एक है। यहाँ देखने के लिए एक पूरे दिन की आवश्यकता होती है। भारत में कहीं पर भी प्राप्त कलाकृतियों का यह अनूठा संग्रह है। तीन विभिन्न मंज़िलों में बंटे इस संग्रहालय में ऐतिहासिक मानव सभ्यता के अवशेष, मौर्यकालीन, गांधार, गुप्त एवं अन्य राजवंशों के समय के भित्तिचित्र, प्रस्तर खण्ड, ताम्र पत्रादि एवं अनगिनत दुर्लभ कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं। यहीं पर हस्तशिल्प वीथिका में कपड़ा एवं सजावटी वस्तुएँ प्रदर्शित हैं। यहीं पर दिल्ली की खुदाई के अवशेष हैं। यहीं पास में पुराने काग़ज़ात एवं अभिलेख संग्रहित हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित पुस्तकें यहीं प्रवेशद्वार से ख़रीदी जा सकती हैं।

  • राष्ट्रीय रेल संग्रहालय

अपनी तरह का यह भारत का पहला संग्रहालय है। दस एकड़ क्षेत्र में फैले आठ कोण वाले इस भवन की स्थापना 1 फ़रवरी 1977 को हुई थी। यहाँ भारत की दुर्लभ पुरानी रेलगाड़ियाँ संग्रहित हैं। सूचनापरक आन्तरिक संग्रहालय में पुरानी 26 चलायमान गाड़ियाँ, 17 अनूठे मालवाहक डिब्बे एवं कई सैलून हैं। यहाँ बच्चों के लिए एक छोटी खिलौना रेल भी चलती है, जो बच्चों को संग्रहालय में घुमाती है।

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय
  • प्राकृतिक ऐतिहासिक राष्ट्रीय संग्रहालय

तानसेन मार्ग पर फ़ैडरेशन हाउस में स्थित इस संग्रहालय पर मृत जानवरों एवं पक्षियों के नमूने दर्शाये गए हैं। यहाँ बच्चों के लिए अक्सर वन्य जीवन से सम्बन्धित चलचित्र प्रदर्शन इत्यादि भी आयोजित किए जाते हैं।

  • राष्ट्रीय डाक-तार (फ़िलटैलिक) संग्रहालय

डाक-तार भवन में स्थित इस संग्रहालय में भारत के प्रथम डाक टिकट, जो सिन्ध डाक द्वारा 1854 में जारी किया गया था, सहित अब तक जारी डाकटिकटों का विशाल एवं दुर्लभ संग्रह है। स्वतंत्रता से पहले डाकटिकट तत्कालीन राजा द्वारा किसी विशेष अवसर पर जारी किए जाते थे, लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार द्वारा विशेष अवसरों, महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों आदि पर जारी किए जाते हैं। इन सभी डाकटिकटों का यहाँ पर संग्रह है।

  • नेहरू स्मृति संग्रहालय (तीन मूर्ति भवन)

यह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू का 16 वर्षों तक निवास स्थान रहा है तथा अब इसे उनकी याद में संग्रहालय एवं शोध पुस्तकालय में बदल दिया गया है। इसका स्वरूप नेहरूकालीन ही रखा गया है। इसके पिछवाड़े में लगा गुलाब के फूलों का बगीचा दर्शनीय है। पर्यटकों के लिए यहाँ 'ट्रस्ट विद डेस्टिनी' नामक दृश्य श्रव्य प्रदर्शन (साउंड एण्ड लाइट शो) आयोजित किया जाता है, जिसमें भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन एवं श्री जवाहर लाल नहेरू के जीवन की झलक दिखाई जाती है।

  • लाल क़िला संग्रहालय

यह लाल क़िले के अन्दर मुमताज़ महल में स्थित है। इस संग्रहालय में मुग़लकालीन तलवारें, हुक़्क़ा, शतरंज, ग़लीचे, कपड़े, आइने एवं सिक्के आदि संग्रहित हैं। इसके एक भाग में, जो अन्तिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र को समर्पित हैं, में उनसे सम्बन्धित चाँदी का हुक़्क़ा एवं पहनने के कपड़े आदि संग्रहित हैं। यहाँ दिल्ली का पुराना मानचित्र एवं 1857 की क्रान्ति से सम्बन्धित विशेष सामग्री भी प्रदर्शित है।

नेहरू स्मृति संग्रहालय (तीन मूर्ति भवन)
  • स्वतंत्रता संग्रहालय

लाल क़िले में स्थित इस संग्रहालय में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से सम्बन्धित यादें संजोई गई हैं। 1846-47 का दिल्ली का राजपत्र (गजट) भी यहाँ भली प्रकार से सुरक्षित रखा गया है। यहाँ भारतीय स्वतंत्रता सैनानियों के प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बने आदमक़द पुतले भी दर्शाये गए हैं।

  • तिब्बती संग्रहालय

लोदी रोड पर स्थित यह एक छोटा संग्रहालय है, जहाँ तिब्बती कला एवं संस्कृति की झलक देखी जा सकती है। यहाँ 15वीं सदी के तिब्बती जीवन की तंगखास सहित बहुमूल्य संगह है। यहाँ बुद्ध की तांबे से बनी प्रतिमा दर्शनीय है।

दिल्ली के अन्य संग्रहालय हैं

कोटला रोड पर स्थित बच्चों का संग्रहालय एवं एक्वेरियम, संगीत नाटक अकादमी में स्थित वाद्य यंत्र वीथिका (गैलरी), राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र एवं श्रीनिवास मल्लाह समागार हस्तशिल्प संग्रहालय (थिएटर क्राफ़्ट्स म्यूज़ियम)।

कला दीर्घाएँ

  • राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली

यह देश की एक प्रमुख एवं प्रतिष्ठित दीर्घा है। जयपुर के तत्कालीन महाराजा के निवास स्थान जयपुर हाउस में 1954 में शुरू हुई इस दीर्घा में 19वीं एवं 20वीं शताब्दी की लगभग 15,000 दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। यहाँ का मुख्य आकर्षण है नंदलाल बोस, राजा रवि वर्मा, अमृता शेरगिल एवं जामिनी रॉय द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट कलाकृतियाँ। भारत के कुछ प्रसिद्ध मूर्तिकारों के कार्य को भी इस दीर्घा में प्रदर्शित किया गया है। यहीं पर एक पुस्तकालय एवं विक्रय केन्द्र भी है, जहाँ से पोस्टर, चित्रमय पोस्टकार्ड, कैटलाग आदि ख़रीदे जा सकते हैं। बच्चों में कला के प्रति अभिरुचि पैदा करने के लिए यहाँ समय-समय पर स्कूली बच्चों के लिए विशेष भ्रमण, सभा, फ़िल्म प्रदर्शन इत्यादि भी आयोजित किए जाते हैं।

  • ललित कला अकादमी-

यह अलाभकर संस्था देश की प्रतिभाओं को तराशने का कार्य करती है। यहाँ एक विशेष वीथिका (गैलेरी) फ़िरोजशाह रोड पर रवीन्द्र भवन में स्थित है।

  • गढ़ी स्टूडियो

ललित कला अकादमी द्वारा दिल्ली विकास प्राधिकरण की सहायता से कला कुटीर में स्थापित यह स्टूडियो कलाकारों के लिए स्वर्ग है। यह फ़्राँस की राजधानी पेरिस से प्रेरित है, जहाँ कलाकारों को स्टूडियो और लॉजिंग की सुविधा दी जाती है। यहाँ विश्व के ख्यातिप्राप्त कलाकारों के व्याख्यान व प्रदर्शन इत्यादि आयोजित किए जाते हैं।

  • त्रिवेणी कला संगम

तानसेन मार्ग पर स्थित इस सांस्कृतिक केन्द्र में चार गैलेरियाँ आई हुई हैं। ज़मीन तल में स्थापित वीथिका में पुरानी दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं, जबकि सबसे बड़ी वीथिका है श्रीराधारानी वीथिका, जहाँ स्थापित एवं नए कलाकारों के शो आयोजित किए जाते हैं। त्रिवेणी वीथिका में कलाकारों के लघु कार्य प्रदर्शित किए जाते हैं।

दिल्ली में कला के विभिन्न दृश्य


कुबेर, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली हस्त शिल्पकला संग्रहालय, दिल्ली हस्त शिल्पकला संग्रहालय, दिल्ली अंतरराष्ट्रीय कला महोत्सव राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, दिल्ली लोक गीत कलाकार, दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली मेरी, यूसुफ, और ईसा मसीह, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली

पर्यटन

दिल्‍ली एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। दिल्‍ली में मंदिरों से लेकर मॉल तक, क़िलों से लेकर उद्यान और अनेक ऐतिहासिक इमारतें और क़िले हैं जो इतिहास की जीवंत निशानियाँ हैं। प्रतिवर्ष लाखों सैलानी दिल्‍ली आते हैं और यहाँ की मिश्रित संस्‍कृति को जानने की कोशिश करते हैं। दिल्‍ली राज्‍य पर्यटन और परिवहन विकास निगम पर्यटकों को यहाँ के विभिन्‍न स्‍थानों की सैर कराने के लिए विशेष बस सेवाएं चलाता है। निगम ने पैरा सेलिंग, पर्वतारोहण और नौकायन जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए सुविधाएं विकसित की हैं। निगम ने दिल्‍ली हाट का विकास किया है, जहाँ काफ़ी और विभिन्‍न राज्‍यों की खाद्य वस्‍तुएँ एक जगह उपलब्‍ध हैं। दिल्‍ली के विभिन्‍न भागों में ऐसी ही 'हाट' बनाने की योजना है।

दिल्ली के मुख्य पर्यटन स्थल
नाम संक्षिप्त विवरण चित्र मानचित्र लिंक
लाल क़िला दिल्ली का लाल क़िला दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली भव्‍य महलों में से एक है। लाल क़िला का यह नाम इसलिए पड़ा क्‍योंकि यह लाल पत्‍थरों से बना हुआ है। दिल्ली में स्थित यह ऐतिहासिक क़िला मुग़लकालीन वास्तुकला की नायाब धरोहर है। भारत का इतिहास भी इस क़िले के साथ काफ़ी नज़दीकी से जुड़ा हुआ है। ... और पढ़ें लाल क़िला, दिल्ली गूगल मानचित्र
हुमायूँ का मक़बरा हुमायूँ एक महान मुग़ल बादशाह था जिसकी मृत्यु शेर मंडल पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर कर हुई थी। हुमायूँ का मक़बरा उनकी पत्नी हाजी बेगम ने हुमायूँ की याद में हुमायूँ की मृत्यु के आठ साल बाद बनवाया था। 1562-1572 के बीच बना यह मक़बरा आज दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक है। ... और पढ़ें हुमायूँ का मक़बरा, दिल्ली गूगल मानचित्र
जन्तर मन्तर जंतर मंतर का निर्माण 1724 में सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद की वेधशाला से प्रेरित है। ... और पढ़ें जन्तर मन्तर, दिल्ली गूगल मानचित्र
लोटस टैंपल लोटस टैंपल यानी बहाई मंदिर-दक्षिण दिल्ली के कालका जी में 26 एकड़ में बना बहाई मंदिर जिसे लोटस टैंपल भी कहा जाता है, दिसम्बर 1986 में बनकर तैयार हुआ, लोटस टैंपल भारत के राष्ट्रीय पुष्प कमल और भारतीय सौन्दर्य का न केवल प्रतीक है बल्कि सर्वधर्म की एकता और शान्ति का प्रतीक है। ... और पढ़ें लोटस टैंपल गूगल मानचित्र
जामा मस्जिद जामा मस्जिद लाल क़िले से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। सन 1650 ई. में शाहजहाँ ने इस मस्जिद का निर्माण शुरू करवाया था। जामा मस्जिद को बनने में 6 वर्ष का समय और 10 लाख रुपए लगे थे। ... और पढ़ें जामा मस्जिद, दिल्ली गूगल मानचित्र
इंडिया गेट इंडिया गेट दिल्ली के राजपथ पर स्थित है। इंडिया गेट को 80,000 से अधिक भारतीय सैनिकों की याद में निर्मित किया गया था जिन्‍होंने प्रथम विश्‍वयुद्ध में वीरगति पाई थी। यह इमारत लाल पत्‍थर से बनी हैं जो एक विशाल ढांचे के मंच पर खड़ी है। इसके मेहराब (आर्च) के ऊपर दोनों ओर 'इंडिया' लिखा है। ... और पढ़ें इंडिया गेट गूगल मानचित्र
अक्षरधाम मंदिर दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर बाकी इमारतों की तरह प्राचीन नहीं है लेकिन जिस अंदाज में इसकी लोकप्रियता फैली है उसने इसे दिल्ली के अहम दर्शनीय स्थलों में शुमार करा दिया है। स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ है। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामिनारायण की याद में बनवाया गया है। यह परिसर 100 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। ... और पढ़ें अक्षरधाम मंदिर गूगल मानचित्र
क़ुतुब मीनार लालकोट स्मारक के ऊपर बहुत ऊँची यह मीनार दिल्ली के सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 में क़ुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था और उसके दामाद एवं उत्तराधिकारी शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने 1368 में इसे पूरा कराया। इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया। ... और पढ़ें क़ुतुब मीनार गूगल मानचित्र

दर्शनीय स्थल

दिल्ली दर्शनीय स्थल सूची

  1. आदमख़ान का मक़बरा
  2. अहिंसा स्थल
  3. अजमेरी गेट
  4. अला-ए-दरवाज़ा
  5. अला-ए-मीनार
  6. अला-उ-दीन का मक़बरा
  7. अप्पूघर
  8. अशोक शिलालेख
  9. बहाई मंदिर
  10. बकीबिल्लाह का मक़बरा
  11. बाल भवन
  12. बेगमपुर मस्जिद
  13. भागीरथ पैलेस
  14. भूली भटियारी
  15. भूल भुलैया
  16. भूली भटियारी का महल
  17. बिजय मंडल
  18. चोर मीनार
  19. डांडी यात्रा मूर्ति
  20. दिल्ली गेट
  21. फ़्लैग टॉवर
  22. गाँधी बलिदान स्थल
  23. गाँधी सदन
  24. गाँधी स्मारक निधि
  25. ग़ाज़ियुद्दीन का मक़बरा
  26. ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा
  27. हौज़ ख़ास
  28. हुमायूँ का मक़बरा
  29. ईदगाह
  30. इल्तुमिश का मक़बरा
  31. इंडिया गेट
  32. इंदिरा गाँधी मेमोरियल
  33. जहाँपनाह
  34. जामा मस्जिद
  35. जंतर-मंतर
  36. कामराज स्टेच्यु
  37. कश्मीरी गेट
  38. ख़ानख़ाना का मक़बरा
  39. खिड़की मस्जिद
  40. ख़ूनी दरवाजा
  41. कोस मीनार
  42. फ़िरोजाबाद कोटला
  43. कृष्णा मेनन स्टेच्यु
  44. लाहोरी गेट
  45. लाल बहादुर शास्त्री स्मृति
  46. लाल गुम्बद
  47. मजनूं का टीला
  48. मेटकाल्फ भवन
  49. मौलाना आज़ाद का मक़बरा
  50. मिर्जा ग़ालिब का मक़बरा
  51. मोहम्मद शाह का मक़बरा
  52. मोठ मस्जिद
  53. मुबारक़ शाह का मक़बरा
  54. मुग़ल कोस मीनार
  55. मुरादाबाद पहाड़ी
  56. म्युटिनी स्मृति
  57. नजफ़ ख़ान का मक़बरा
  58. नीला गुम्बद
  59. पुराना क़िला
  60. कुतुब मीनार
  61. राज घाट
  62. राजीव गाँधी स्मृति वन
  63. राष्ट्रपति भवन
  64. लाल क़िला
  65. रौशनाआरा का मक़बरा
  66. सफदर जंग का मक़बरा
  67. सलीमगढ़ क़िला
  68. समता स्थल
  69. संजय गाँधी स्मृति
  70. शाह आलम का मक़बरा
  71. शक्ति स्थल
  72. शांति वन
  73. शेर शाह दरवाजा
  74. सिकंदर शाह लोदी का मक़बरा
  75. सिरी क़िला
  76. सुल्तान गौरी का मक़बरा
  77. तुग़लकाबाद क़िला
  78. तुर्क़मान दरवाजा
  79. विजयघाट
  80. वीर भूमि
  • अशोक के शिलालेख
अशोक के शिलालेख

कालका जी मन्दिर के पास स्थित बहाईपुर गाँव में हाल में ही अशोक महान के चट्टानों पर खुदे शिलालेख मिले हैं। ये सभी लघु-शिलालेख अशोक ने अपने राजकर्मचारियों को संबोधित करके लिखवाए हैं। अशोक ने सबसे पहले लघु-शिलालेख ही खुदवाए थे, इसलिए इनकी शैली उसके अन्य लेखों से कुछ भिन्न है।

  • गांधी स्मृति
गांधी स्मृति,बिड़ला भवन

बिड़ला भवन के बरामदे में स्थापित यह वह जगह है, जहाँ 30 जनवरी, 1948 को प्रार्थना सभा में जाते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। इसे बाद में स्मारक का रूप दे दिया गया।

  • हौज़ ख़ास

अलाउद्दीन खिलजी द्वारा सन् 1305 में सिरी के निवासियों के लिए बनाया यह ऐसा पिकनिक स्थल है, जो गर्मियों में ठण्डा और सर्दियों में गरम रहता है।

  • पुराना सचिवालय

ई. माटुंग थॉमस द्वारा 1912 में यह भवन कुछ ही महीनों में बनकर तैयार हुआ था। अब यहाँ दिल्ली विधानसभा चलती है।

  • संसद भवन

नई दिल्ली स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है । राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं । 144 खम्बों की यह विशाल इमारत 171 मीटर के व्यास में फैली है। हर खम्बे की ऊँचाई 8.3 मीटर है। अदभुत लकड़ी का चौखटा अपनी तरह की कला में एक उत्तम स्थान रखता है।

  • बेगम सामरू का महल

यह इलेक्ट्रानिक सामान के थोक एवं फुटकर व्यापार का केन्द्र है। आजकल इसे भागीरथ बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है। इसे बेगम सामरू (1753-1836) के रहने के लिए बनाया गया था, जिसने एक लालची सैनिक वाल्टर रेनहर्ड से निकाह कर लिया था।

  • कोतवाली

1857 की क्रान्ति के असफल हो जाने के बाद अंग्रेज़ों ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा करने के लिए इसकी स्थापना की थी। कुछ स्वतंत्रता सैनानियों को यहाँ बन्दी बनाकर रखा गया था। कैप्टन हेडसन द्वारा काटे गए मुग़ल राजकुमारों के सिरों का जुलूस भी यहीं पर लाया गया था।

ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा, तुग़लकाबाद
  • तुग़लकाबाद

दिल्ली का तीसरा हिस्सा, ग़यासुद्दीन तुग़लक़ द्वारा 1321 से 1325 के बीच बसाया हुआ ऊँची पहाड़ी पर बनाया गया क़िला है। अन्दर घुसते ही संगमरमर का बना ग़यासुद्दीन का मक़बरा नज़र आता है। यह क़िला दक्षिण से पूर्व तक मुहम्मद तुग़लक द्वारा बनाए अदिलाबाद क़िले तक फैला है।

दिल्ली के पर्यटन स्थल


लोटस टैंपल, दिल्ली इंडिया गेट, दिल्ली अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली जामा मस्जिद, दिल्ली राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, दिल्ली गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली हुमायूँ का मक़बरा, दिल्ली जन्तर मन्तर, दिल्ली पुराना क़िला, दिल्ली गांधी स्मृति संग्रहालय, दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली मेरी, यूसुफ, और ईसा मसीह, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली


धार्मिक स्थल

हिन्दू धार्मिक स्थल

  • भैरव मन्दिर

महाभारत काल में निर्मित यह मन्दिर पुराना क़िला के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यहाँ निर्मित गाय के विशाल थन किसी टब के समान प्रतीत होते हैं। यहाँ भैरव के दो मन्दिर हैं, जहाँ एक जगह दूध से बने पदार्थ चढ़ाये जाते हैं।

  • लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर)
लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर)

यह शहर का सबसे विख्यात हिन्दू मन्दिर है। कनॉट प्लेस के पश्चिम में स्थित यह मन्दिर 1938 में उद्योगपति राजा बल्देव बिड़ला द्वारा बनवाया गया था और महात्मा गांधी ने इसका उदघाटन किया था। यहाँ हिन्दू धर्म की सभी शाखाओं के दर्शन किये जा सकते हैं। मन्दिर के पिछले हिस्से में यज्ञशाला के साथ कृत्रिम पहाड़ी, गुफ़ाएँ, झरने आदि बनाए गए हैं। मन्दिर के साथ ही गीता भवन स्थित है, जहाँ भगवान श्री कृष्ण की विशाल प्रतिमा एवं महाभारतकालीन चित्र हैं। एक तरफ़ भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन की झाँकी देखी जा सकती है।

  • झंडेवाला देवी मन्दिर

झंडेवाला देवी मन्दिर हज़ारों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है। झंडेवाला देवी मन्दिर का एक प्राचीन इतिहास है, जिसकी मनमोहनी पौराणिक गाथा एक विशेष भक्त श्री बद्रीदास जी से आंरभ होती है। बद्री भगत जी इस पावन स्थान पर साधना और ध्यान मग्न होकर प्रार्थना किया करते थे। एक संध्या जब एक स्वास्थ्यवर्धक झरने के पास वह साधना में रत थे, तब उनको अनुभूति हुई कि उसी स्थान पर एक प्राचीन मन्दिर दबा हुआ है। उन्होंने निश्चित किया कि वह इस प्राचीन धरोहर का पुनरोद्धार अवश्य करेंगे। उस दिन से बद्री भगत जी ने अपना तन, मन, धन इस मन्दिर की खोज में लगा दिया। उन्होंने इस क्षेत्र की भूमि ख़रीदनी आरंभ कर दी। अंत में बहुत प्रयत्न के बाद एक स्वास्थ्यदायी झरने के पास उन्हें इस प्राचीन मन्दिर के अवशेष मिले, जिसमें माता की सदियों पुरानी चमत्कारी मूर्ति विराजमान थी। इस मन्दिर की महिमा व ख्याति सारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में फैलने लगी। आज इस मन्दिर में आने वाले हर भगत को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बद्री भगत जी के सपनों को साकार करने में चार पीढ़ियों से उनका परिवार प्रयासरत है। उनकी इस धरोहर का उनके वंशज बद्री भगत झंडेवाला टैंपल सोसाइटी के सदस्यों के सहयोग से प्रबंधन कर रहे हैं।

  • आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर

श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर छत्तरपुर की मान्यता एवं विश्वास की बात नवरात्रों के प्रतिदिन तीन से चार लाख श्रद्धालुओं का आने से लगायी जा सकती है। संत शिरोमणिपरमपूज्य श्री दुर्गाचरणनुरागी बाबा संत नागपाल जी इस मन्दिर के संस्थापक थे, जो ब्रह्मलीन हैं। मन्दिर में एक विशाल बरगद के पेड़ के तने से लाखों धागे बधें हैं। ये सब मनौतियाँ हैं, जब ये पूरी हो जाती हैं तो इन्हें खोलना होता है। यह सिलसिला अनंत है।

  • कालकाजी मन्दिर

चिराग दिल्ली फ़्लाई ओवर से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालका जी के इस मन्दिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। हालाँकि मन्दिर का विस्तार पिछले 50 सालों का ही है,

कालका जी मन्दिर

लेकिन मन्दिर का सबसे पुराना हिस्सा अठारहवीं शताब्दी का है। दिल्ली के व्यापारियों द्वारा यहाँ निकट ही धर्मशाला भी बनवाई गई है। अक्टूबर-नवम्बर में आयोजित वार्षिक नवरात्र महोत्सव के समय देश-विदेश से हज़ारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।

  • मां संतोषी मन्दिर

दो से तीन किलोमीटर लम्बी पंक्तियों में श्रद्धालुओं की कतारें लगी हुई हों और मन्दिर दूधिया रोशनी के साथ जयमाता दी के जयकारों से गूंज रहा हो तो समझ लीजिए कि आप हरी नगर स्थित जेल रोड पर माँ संतोषी के प्राचीन मन्दिर के आस-पास हैं। वर्ष में दो बार नवरात्रों का आगमन जब होता है तो हर तरफ श्रद्धा की हवा बहने लगती है। इस मन्दिर में पूजा अर्चना करने वालों का मानना है कि अगर सच्चे मन से माँ संतोषी के मंन्दिर में आकर कुछ भी मांगा जाए तो वह अवश्य मिलता है।

  • चांदनी चौक का शिव-गौरी मन्दिर

यह मन्दिर चांदनी चौक की धरोहर है। चांदनी चौक इलाके में सर्वधर्म सद्भाव की गंगा सारा साल बहती है। शिव-गौरी मन्दिर में माँ पार्वती और जगदम्बा जी के दर्शन कर पुण्य कमाने की होड़ लगी होती है। ख़ूबसूरत संगमरमरी पत्थरों से बना गौरी शंकर मन्दिर हिन्दुओं के लिए आस्था एवं उपासना का महान् केन्द्र है।

  • संकट हरणी मंगल करणी शक्तिपीठ

भक्तों द्वारा नवरात्रों में शक्तिपीठों व मंदिर में जाकर जो फ़रियाद की जाती है, वह माँ भगवती शीघ्र पूरा कराती है, इसी विश्वास का प्रतीक है शाहदरा गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मन्दिर। ब्रह्मलीन संत शिरोमणि श्री राजमाता जी महाराज के पश्चात् संत राजेश्वरानंद राज गुरु जी महाराज स्वयं को श्री राजमाता जी का नुमाइंदा मानकर शब्दों द्वारा, स्पर्श द्वारा, उचित मार्गदर्शन द्वारा दुखियों के दुखों का नाश करने हेतु मानव सेवा में तत्पर रहते हैं। श्री अष्टभुजी माँ की विशाल प्रतिज्ञा के ठीक नीचे मन्दिर गर्भगृह स्थित पवित्र गुफा में श्री राजमाता जी को समाधि पर भक्त, फूल, वस्त्र, नारियल चुन्नी चढ़ाते हुए बताते हैं कि किसी को विवाह के वर्षों बाद माँ की कृपा से संतान प्राप्ति हुई, तो किसी को भीषण रोग के बाद जीवनदान मिला है। किसी को कोर्ट केस से मुक्ति, तो किसी को दरिद्रता के बाद धन-धान्य एवं किसी को अविरल भक्ति प्राप्त हुई। पूर्ण नवरात्रे जनकल्याण व विश्व शांति हेतु संत श्री राज गुरु जी महाराज गुफा में मौन साधना करते हैं। पूर्ण नवरात्रे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान के साथ फलाहारी भंडारा चलता रहता है एवं दुर्गाष्टमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकाली जाती है, जो शुक्र बाज़ार चौक पवित्र राज राजेश्वरी जागरण में जाकर संपन्न होती है, जहाँ महाराज जी द्वारा जयकारों की गूंज के साथ मौन व्रत संपन्न होता है। ऐसा मानना है कि जो भी नि:संतान दंपत्ति इस दिन गोद भरवा कर ले जाते हैं, माँ की कृपा से उनकी झोली शीघ्र भरती है।

दिल्ली में हिन्दुओं के अन्य मन्दिर हैं-

सफ़ेद संगमरमर का छतरपुर का दुर्गा मन्दिर, माँ सात मंजिला मन्दिर, 1724 में जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वारा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित हनुमान मन्दिर, काली बेरी का मन्दिर और जोगमाया का मन्दिर।

जैन धार्मिक स्थल

  • अहिंसा स्थल

कुतुबमीनार के पास तीन एकड़ क्षेत्र में फैला यह स्थल भव्य बगीचे के बीच भगवान महावीर की कमल में स्थित आदमकद प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। 1980 में स्थापित यह प्रतिमा 17 फ़ीट ऊँची एवं 50 टन वज़नी है।

  • दिगम्बर जैन मन्दिर

शाहजहाँबाद में 1656 में निर्मित यह मन्दिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। यह मन्दिर चेरिटी पक्षी अस्पताल के लिए भी मशहूर है।

ईसाई धार्मिक स्थल

  • सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च
सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च , दिल्ली

गुरुद्वारा बंगला साहिब मार्ग के पास दिल्ली की दो प्रमुख कान्वेण्ट स्कूलों सेंट कोलम्बिया एवं कान्वेण्ट ऑफ़ जीसस एवं मैरी के मध्य में स्थित सेक्रेड हार्ट कैथड्रल चर्च है।

  • सेण्ट जेम्स चर्च

1836 में जेम्स स्कीनर द्वारा बनाई गई सेण्ट जेम्स चर्च दिल्ली का सबसे पुराना चर्च है। पश्चिमी शैली में निर्मित यह चर्च केवल रविवार के दिन ही खुलता है।

  • सेण्ट थॉमस चर्च

दिल्ली में तीसरा चर्च सेण्ट थॉमस चर्च है। जो 1930-32 में उन ईसाईयों के लिए बनाई गई थी, जो धर्म परिवर्तन करके ईसाई बने हैं। वॉल्टर जॉर्ज नामक वास्तुशिल्पी द्वारा लाल ईटों से निर्मित यह चर्च पंचकुइयाँ मार्ग पर स्थित है।

सिक्खों के धार्मिक स्थल

  • गुरुद्वारा बंगला साहिब

यह गुरुद्वारा गुरु हरकिशन साहिबजी की याद में बनाया गया है, जो होशियारपुर से दिल्ली छोटी माता के प्रकोप से दिल्ली वासियों को बचाने आए थे। इस परिसर में गुरु ने निवास किया था

एवं यहाँ पर एक झील भी स्थित है। कहा जाता है कि इसका पानी औषधीय गुण लिए हुए है।

  • अन्य गुरुद्वारे हैं-

दमदमा साहिब गुरुद्वारा, रकाबगंज गुरुद्वारा, सीसगंज गुरुद्वारा, मजनूं का टीला गुरुद्वारा इत्यादि।

मुस्लिम धार्मिक स्थल

  • चिराग देहलवी दरगाह

नसीरूद्दीन मोहम्मद की याद में निर्मित इसे रौशन चिराग़ देहलवी के नाम से भी जाना जाता है।

  • फ़तेहपुर मस्जिद

सन 1650 में इसे शाहजहाँ की बीवी फ़तेहपुरी बेगम ने बनवाया था।

  • हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया

चिश्ती संतों में चौथे नम्बर के शेख़ निज़ामुद्दीन चिश्ती को समर्पित यह दरगाह मुस्लिम समाज के लिए अत्यन्त पाक स्थल है। हर गुरुवार शाम को देश के नामी क़व्वाल यहाँ अपना हुनर दिखाते हैं तथा अमीर खुसरो की गज़लें गाते हैं। यहीं मुसलमानों का उर्स भी आयोजित किया जाता है।

  • जामा मस्जिद

लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद मुग़ल काल में विश्व की उम्दा मस्जिदों में से एक है। 1644 में इस मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ द्वारा शुरू करवाया गया था और 1650 में यह बनकर तैयार हुई। इस पर तत्कालीन 10 लाख रुपया लागत आई। इसके बीच में एक चबूतरा है, जहाँ पर पूर्व, उत्तर एवं दक्षिण में बनी सीढ़ियों से जाया जा सकता है।

  • अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थल

खिड़की मस्जिद, मोठ की मस्जिद, सुनहरी मस्जिद, क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार ख़ाँ की दरगाह आदि।

दिल्ली के धार्मिक स्थलों की सूची
हिन्दू धार्मिक स्थल मुस्लिम धार्मिक स्थल गुरुद्वारे ईसाई धार्मिक स्थल अन्य
  • बाल्मीकि मंदिर
  • भैरव मंदिर
  • छत्तरपुर मंदिर
  • देवी मंदिर
  • गौरीशंकर मंदिर
  • हनुमान मंदिर
  • जोगमाया मंदिर
  • कालकाजी देवी
  • काली मंदिर
  • काली बेरी मंदिर
  • बिड़ला मंदिर
  • मलेचा मंदिर
  • प्राचीन राष्ट्रीय शक्तिपीठ
  • सत्यनारायण मंदिर
  • अक्षरधाम मंदिर
  • बेगमपुरी मस्जिद
  • फ़कीर-उल-मस्जिद
  • फ़तेहपुरी मस्जिद
  • जामा मस्जिद
  • ईदगाह मस्जिद
  • कलान मस्जिद
  • ख़ैरूल मंजिल मस्जिद
  • खिलड़ी मस्जिद
  • क़ुवैत-उल-इस्लाम मस्जिद
  • मोठ की मस्जिद
  • मोती मस्जिद
  • सुनहरी मस्जिद
  • दरगाह पीर वांवाशी
  • हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह
  • बाला साहिब गुरुद्वारा
  • बंगला साहिब गुरुद्वारा
  • दमदमा साहिब गुरुद्वारा
  • मजनूं का टीला गुरुद्वारा
  • माता सुंदरी गुरुद्वारा
  • नानक पिआओ गुरुद्वारा
  • नानकसर गुरुद्वारा
  • रकाबगंज गुरुद्वारा
  • सीसगंज गुरुद्वारा
  • सेंटेनरी मेथोडिस्ट चर्च
  • क्रिस्ट चर्च
  • उत्तरी भारत का चर्च
  • चर्च ऑफ़ रीडम्पशन
  • फ़्री चर्च
  • सेवंथ डे एडवेंटिस्ट
  • सेंट एंथोनी चर्च
  • सेंट जेम्स चर्च
  • सेंट मेरी चर्च
  • सेंट मेरी ऑर्थोडोक्स सीरियन
  • सेंट स्टीफ़न चर्च
  • सेंट थॉमस चर्च
  • अहिंसा स्थल
  • लड़ख बुद्ध विहार
  • निरंकारी सत्संग भवन
  • राधा स्वामी सत्संग भवन
  • रामकृष्ण मिशन
  • संत निरंकारी आश्रम
  • श्री अरबिंदो आश्रम
  • थियोसोफिकल सोसायटी
  • योगेश्वर आश्रम
  • जैन मंदिर एवं दादाबाड़ी
  • आर्य समाज मंदिर
  • अयप्पा मंदिर
  • बहाई मंदिर (लोटस टैंपल)
  • पारसी अग्नि मंदिर

प्रदर्शनी स्थल

प्रगति मैदान

149 एकड़ क्षेत्र में फैला यह मैदान एशिया के सर्वोत्तम प्रदर्शनी स्थलों में से एक है। मथुरा रोड पर पुराने क़िले से आगे स्थित देश के इस सर्वोत्तम मैदान में 54,685 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले 15 विशाल प्रदर्शनी स्थल हैं। इसके अलावा यहाँ 10,000 वर्ग मीटर का खुला क्षेत्र है। जहाँ समय-समय पर व्यापारिक प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं। इस मैदान में कई दर्शनीय स्थल भी हैं। जैसे- राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र (नेशनल साइंस सेंटर), द हॉल ऑफ़ नेशनल, अदभुत हस्तशिल्प संग्रहालय एवं स्टेट्स पवैलियन (नेशनल हेण्डीक्राफ़्ट्स एंड हेण्डलूम म्यूज़ियम)। इसके अलावा नेहरू पवैलियन एवं डिफ़ैन्स पवैलियन भी दर्शनीय हैं।

दिल्ली हाट

दिल्ली हाट, दिल्ली

'लिटिल इण्डिया' के दर्शन कराने वाला यह साप्ताहिक बाज़ार हस्तशिल्प, व्यंजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के उत्तर में अरबिन्दो मार्ग पर एक एकड़ क्षेत्र में फैला यह बाज़ार दिल्ली पर्यटन, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), डीसी (हस्तशिल्प) एवं हैण्डलूम का संयुक्त प्रयास है। स्थायी स्थल पर लगने वाला यह बाज़ार किसी ग्रामीण मेले सा प्रतीत होता है। यहाँ हस्तशिल्पी एवं भाग लेने वाले बदलते रहते हैं। प्रत्येक हस्तशिल्पी को दो सप्ताह तक के लिए दी जाने वाली यहाँ कुल 62 स्टॉल हैं, जो क्रमिक रूप से बदलती रहती हैं, ताकि देश-विदेश के अधिकतम हस्तशिल्पों को यहाँ भागीदारी और अपने प्रदर्शित करने का अवसर मिल सके। देश के लगभग सभी प्रान्तों के हस्तशिल्पों को यहाँ पर एक साथ देखा जा सकता है। किसी पर्यटक के लिए पूरे भारत का भ्रमण कठिन हो सकता है, लेकिन वह यहाँ पूरे भारत के हर प्रान्त के खान-पान, हस्तशिल्प एवं संस्कृति की झलक देख सकता है। उचित मूल्य पर आधिकाधिक उत्पाद भी यहाँ से ख़रीदे जा सकते हैं।

खानपान

दिल्‍ली में खाने पीने की बहुत सी दुकानें और भोजनालय हैं। देश के विभिन्‍न प्रांतों के व्‍यंजनों का स्‍वाद लेने के लिए दिल्‍ली हाट का रुख़ कर सकते हैं। यहां देश के लगभग हर भाग का भोजन मिलता है। कुल मिलाकर दिल्‍ली में हर तरह के भोजन का ज़ायक़ा लिया जा सकता है। दिल्‍ली में चाँदनी चौक एक जगह है जो फ़्रूट चाट, गोल गप्‍पों, पकौड़ों और बहुत सी चीज़ों के लिए मशहूर है।

परांठे बनाता आदमी, पराठें वाली गली
पराठें वाली गली

दिल्‍ली की पराठें वाली गली के पराठे वर्षों लोगों की पसंद रहे हैं।

मिठाई

चाँदनी चौक के पास ही दिल्‍ली में मिठाइयों की सबसे पुरानी दुकान घंटेवाला है।

चिकन करी

अशोका रोड पर बने आंध्र भवन की चिकन करी (मुर्ग़ तरी वाला) बहुत की पसंद की जाती है।

दिल्ली में खानपान के दृश्य


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ख़रीददारी

कनॉट प्लेस, दिल्ली
Connaught Place, Delhi

दिल्ली में ख़रीददारी के लिए कई स्थल हैं। प्रमुख स्थल हैं-

अंबावता कॉम्पलेक्स

यह कॉम्पलेक्स बाबा खड़कसिंह मार्ग पर स्थित है। इस कॉम्पलेक्स में विभिन्न राज्यों के एम्पोरियम खुले हैं, जहाँ सरकारी दरों पर राज्यों के उत्पाद मिलते हैं। चाँदनी चौक, कनॉट प्लेस, दिल्ली हॉट से पुरानी कलात्मक वस्तुएँ एवं कालीन तथा चाँदी की वस्तुएँ हौज़ ख़ास गाँव से ख़रीदी जा सकती हैं। वहीं आई.एन.ए. (भारतीय राष्ट्रीय सेना) बाज़ार में खाने से सम्बन्धित वस्तुएँ जैसे सब्ज़ी, फल, मीट आदि मिलते हैं।

दिल्ली के बाज़ार
दिल्ली हाट
कनॉट प्लेस
दिल्ली के बाज़ार में चूड़ियाँ
जामा मस्जिद का बाज़ार
पालिका बाज़ार
पालिका बाज़ार

संस्कृति

दिल्ली की संस्कृति यहाँ के लम्बे इतिहास और भारत की राजधानी के रूप में ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण प्रभावित रही है, यह शहर में बने कई महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से ज्ञात है।

लोक गीत कलाकार, दिल्ली

भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली शहर में लगभग 1200 धरोहर स्थल घोषित किए हैं, जो कि विश्व में किसी भी शहर से कहीं अधिक है। महानगर होने की वजह से दिल्ली में भारत के सभी प्रमुख त्‍यौहार मनाए जाते हैं। दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम कुछ वार्षिक उत्‍सवों का भी आयोजन करते हैं। ये रौशनआरा उत्‍सव, शालीमार उत्‍सव, कुतुब उत्‍सव, शीतकालीन मेला, उद्यान और पर्यटन मेला, जहाने-ख़ुसरो उत्‍सव तथा आम महोत्‍सव हैं।

बाग़-बग़ीचे

दिल्ली के बाग़-बग़ीचों की सूची

  • अजमल ख़ान पार्क
  • बुद्ध जयंती पार्क
  • सेंट्रल पार्क
  • इंडियागेट चिल्ड्रन पार्क
  • ज़िला पार्क (हिरण पार्क)
  • जहाँपनाह सिटी फोरेस्ट
  • जनक पार्क
  • कालकाजी ज़िला पार्क
  • कमला नेहरू पार्क
  • लोदी गार्डन
  • महाराजा सूरजमल पार्क
  • महावीर जयंती पार्क
  • महिला पार्क
  • मोतिया खान पार्क
  • मुग़ल गार्डन
  • नांगिया पार्क
  • राष्ट्रीय गुलाब बगीचा
  • नेहरू पार्क
  • नेताजी सुभाष पार्क
  • ओखला पार्क
  • क्यूडिशिया गार्डन
  • रोज़ गार्डन
  • रौशनाआरा गार्डन
  • सत्य पार्क
  • शास्त्री पार्क
  • शिवाजी पार्क
  • श्री नागेश पार्क
  • सुंदर नर्सरी
  • टैगोर पार्क
  • तालकटोरा गार्डन
  • तिमैया पार्क
  • यमुना नदी के सामने पार्क

दिल्ली में कई बाग़-बग़ीचे है। जिनमें जापानी शैली में बना बुद्ध जयन्ती पार्क, कनॉट प्लेस के बीच में स्थित सेंट्रल पार्क जो दुकानों में आने-जाने के लिए छोटे मार्ग के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, साथ ही ऑफ़िस आने-जाने वालों के लिए थोड़ी देर सुस्ताने की जगह है। चाणक्यपुरी में स्थित पार्क, डिस्ट्रिक्ट पार्क, लोदी गार्डन, महावीर जयन्ती पार्क, मुग़ल गार्डन, राष्ट्रीय गुलाब पार्क, एशिया का सबसे बड़ा नेशनल ज़ूलोजिकल पार्क (चिड़ियाघर), क्यूडिशा बाग़, रौशन आरा गार्डन आदि हैं। इसके अलावा दिल्ली में महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट, जवाहरलाल नेहरू के समाधि स्थल शान्तिवन एवं लालबहादुर शास्त्री के समाधि स्थल विजय घाट को भी बग़ीचों का रूप दिया गया है।

बच्चों की दिल्ली

दिल्ली में बच्चों के मनोरंजन एवं शिक्षा के लिए बहुत कुछ है। यहाँ बच्चों के लिए मनोरंजन पार्क, विज्ञान केन्द्र हैं, प्लेनेटेरियम (खगोल शिक्षा संग्रहालय) है, संग्रहालय और चिड़ियाघर है। बाल भवन-कोटला रोड पर स्थित बाल भवन में बच्चों के लिए नियमित रूप से नाटक, संगीत, चित्रकारी आदि के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राष्ट्रीय बाल संग्रहालय एवं विज्ञान सेंटर आदि भी यहीं पर स्थित हैं। बच्चों के लिए पुस्तकालय-चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट, बी.सी.राय मेमोरियल वाचनालय, नेशनल बुक ट्रस्ट, ब्रिटिश कौंसिल पुस्तकालय इत्यादि।

खेल

दिल्ली खेलों की दृष्टि से भी काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। क्रिकेट और फुटबॉल दिल्ली के मुख्य खेल हैं। यहाँ अनेक स्टेडियम मौजूद हैं जैसे- फ़िरोज़शाह कोटला स्टेडियम, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम, सिरी फोर्ट कांप्लेक्स, कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, तालकटोरा स्टेडियम, त्यागराज स्टेडियम, यमुना स्पोटर्स कांप्लेक्स, आर. के. खन्ना स्टेडियम और दिल्ली विश्वविद्यालय

दिल्ली के स्टेडियम


जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम मेजर ध्यानचन्द स्टेडियम सिरी फोर्ट स्पोटर्स कांप्लेक्स आर के खन्ना स्टेडियम श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम तालकटोरा स्टेडियम त्यागराज स्टेडियम यमुना स्पोटर्स कांप्लेक्स कर्णी सिंह शूटिंग रेंज

19वें राष्ट्रमंडल खेल

  • 14 अक्टूबर 2010 को समाप्त हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी दिल्ली ने की। विभिन्न खेलों के लिए आयोजित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन रहा।
  • भारत पूरे तीन दशकों बाद ऐसे किसी आयोजन का मेज़बान बना। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी की थी। इससे पहले भारत 1982 में एशियाई खेलों की मेज़बानी कर चुका है। एशिया में भी यह 1998 के क्वालालंपुर, मलेशिया के बाद दूसरा बड़ा आयोजन है।[6]
  • खेलों का शुभारंभ दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुआ। इसमें कुल 71 देशों ने भाग लिया। और 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड और ब्रिटेन) को सौंपी गई।


सौ वर्ष की राजधानी

ग़ुलामी के दौर में अंग्रेज़ सम्राट जॉर्ज पंचम ने 12 दिसम्बर, 1911 को कोलकाता के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाया। इसकी रूपरेखा और निर्माण कार्यों की देखरेख ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुचेंस (लुटियन) ने की थी। एक सौ पचास वर्षों तक कोलकाता के ज़रिये भारत पर शासन करने के बाद अंग्रेजों ने अपनी साम्राज्य विस्तार के मद्देनजर राजधानी को उत्तर भारत स्थानांतरित कर दिल्ली को नए स्थान के रूप में चुना था तथा यहां नयी राजधानी बनाने का महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया।[7] किंग जॉर्ज पंचम के राज्यारोहण का उत्सव मनाने और उन्हें भारत का सम्राट स्वीकारने के लिए दिल्ली में आयोजित दरबार में ब्रिटिश भारत के शासक, भारतीय राजकुमार, सामंत, सैनिक और अभिजात्य वर्ग के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे। दरबार के अंतिम चरण में एक अचरज भरी घोषणा की गई। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हॉर्डिंग ने राजा के राज्यारोहण के अवसर पर प्रदत्त उपाधियों और भेंटों की घोषणा के बाद एक दस्तावेज़ सौंपा। अंग्रेज़ राजा ने वक्तव्य पढ़ते हुए राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने, पूर्व और पश्चिम बंगाल को दोबारा एक करने सहित अन्य प्रशासनिक परिवर्तनों की घोषणा की। दिल्ली वालों के लिए यह एक हैरतअंगेज फैसला था, जबकि इस घोषणा ने एक ही झटके में एक सूबे के शहर को एक साम्राज्य की राजधानी में बदल दिया, जबकि 1772 से ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता थी।[8]

एक तरह से नई दिल्ली का अर्थ भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक साम्राज्यवादी राजधानी और एक सदी के लिए अंग्रेज़ हुक्मरानों के सपनों का साकार होना था, हालांकि इसके पूरा होने में 20 साल का व़क्त लगा। यह भी तब, जबकि राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने के साथ ही नई दिल्ली बनाने का फैसला लिया गया। इस तरह नई राजधानी केवल 16 साल के लिए अपनी भूमिका निभा सकी। नई दिल्ली में निर्माण कार्य 1931 में पूरा हुआ, जब सरकार इस नए शहर में स्थानांतरित हो गई। 13 फरवरी, 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने नई दिल्ली का औपचारिक उद्घाटन किया।

दिल्ली पर कविताएँ

(1) दिल्ली (नवनीत पाण्डे द्वारा)

दिल्ली
केवल नाम नहीं है किसी शहर का
पहचान है एक देश की
प्राण है एक देश का
यह अलग बात है-
दिल्ली में एक नहीं
कई दिल्लियां हैं-
पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली,
दिल्ली कैंट, दिल्ली सदर आदि- आदि
हर दिल्ली के अपने रंग,
अपने क़ानून - क़ायदे
आपकी दिल्ली, मेरी दिल्ली
ज़ामा मस्ज़िद वाली दिल्ली
बिड़ला मंदिर वाली दिल्ली
शीशगंज गुरुद्वारे वाली दिल्ली
चर्चगेट वाली दिल्ली
साहित्य अकादमी वाली दिल्ली
हिन्दी ग्रंथ अकादमी वाली दिल्ली
एनएसडी वाली दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय वाली दिल्ली
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय वाली दिल्ली
दिल्ली की सोच में
दिल्ली दिल वालों की है
दिल्ली से बाहर की खबर के अनुसार
दिल्ली दिल्ली वालों की है
दिल्ली किसकी है?
इस प्रश्न का सही- सही उत्तर
स्वयं दिल्ली के पास भी नहीं है
वह तो सभी को अपना मानती है
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
पहुंचता है दिल्ली का अख़बार
हर गली, गांव, शहर की दीवारें उठाए हैं
दिल्ली के इष्तहार
आँखें देखती हैं- दिल्ली
कान सुनते हैं- दिल्ली
होंठ बोलते हैं- दिल्ली
सब करते हैं-
दिल्ली का एतबार
दिल्ली का इंतज़ार
दिल्ली की जयकार
पैरों में पंख लग जाते हैं
सुनते ही दिल्ली की पुकार
दुबक जाते हैं सुनते ही
दिल्ली की फटकार
दिल्ली की ललकार
सब को जानती है दिल्ली
सब को छानती है दिल्ली
सब को पालती है दिल्ली
सब को ढालती है दिल्ली

दिल्लीः

अर्थात् प्रेयसी का दिल
दिल्लीः
अर्थात् प्रेमी की मंजिल
दिल्लीः
अर्थात् सरकार
दिल्लीः

अर्थात् दरबार।[9]
(2) दिल्ली (ग़ुलाम मोहम्मद शेख द्वारा)

टूटे टिक्कड़ जैसे किले पर
कच्ची मूली के स्वाद की-सी धूप
तुगलकाबाद के खंडहरों में घास और पत्थरों का संवनन
परछाइयों में कमान, कमान में परछाइयाँ;
खिड़की मस्जिद
आँखों को बेधकर सुई की मानिंद
आर-पार निकलती
जामा-मस्जिद की सीढ़ियों की क़तार

पेड़ की जड़ों से अन्न नली तक उठ खड़ा होता क़ुतुब
चारों ओर महक
अनाज की, माँस की, ख़ून की, जेल की, महल की
बीते हुए कल की, सदियों की

साँस इस क्षण की
आँख आज की उड़ती है इतिहास में
उतरती है दरार में ग़ालिब की मजार की
भटकती है ख़ानखानान की अधखाई हड्डी की खोज में
ओढ़ जहाँआरा की बदनसीबी को
निकल पड़ती है मक़बरा दर मक़बरा ।

अभी भी धूल, अभी भी कोहरा
अब भी नहीं आया कोई फ़र्क़ माँस ओर पत्थर में
लाल किले की पश्चिमी कमान में सोई
फ़ाख्ता की योनि की छत से होती हुई
घुपती है मेरी आँख में
किरण एक सूर्य की।


अभी तो भोर ही है
सत्य को संभोगते हैं स्वप्न

सवेरा कैसा होगा ?[10]


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वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आदित्य चौधरी (भारतकोश प्रशासक) के वक्तव्य का अंश
  2. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली (हिन्दी) (पी.एच.पी) भारत की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 1 अप्रॅल, 2011
  3. INDIAN RAILWAYS PASSENGER RESERVATION ENQUIRY
  4. दिल्ली परिवहन निगम
  5. delhitourism
  6. आधिकारिक वेबसाइट (हिन्दी) (पीएचपी)। । अभिगमन तिथि: 28 सितंबर, 2010
  7. राजधानी दिल्ली 100 बरस की हुई, पर कोई समारोह नहीं! (हिन्दी) (पी.एच.पी) सी.एन.बी.सी. आवाज़। अभिगमन तिथि: 22 दिसंबर, 2011।
  8. नई दिल्‍लीः सौ बरस का सफर (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) चौथी दुनिया। अभिगमन तिथि: 22 दिसंबर, 2011।
  9. दिल्ली / नवनीत पाण्डे (हिन्दी) (पी.एच.पी) कविता कोश। अभिगमन तिथि: 4 मार्च , 2011
  10. दिल्ली / ग़ुलाम मोहम्मद शेख (हिन्दी) (पी.एच.पी) कविता कोश। अभिगमन तिथि: 5 मार्च , 2011

बाहरी कड़ियाँ

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