थोरी किए बड़ेन की -रहीम
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थोरी किए बड़ेन की, बड़ी बड़ाई होय ।
ज्यों ‘रहीम’ हनुमंत को, गिरधर कहत न कोय ॥
- अर्थ
अगर बड़ा आदमी थोड़ा सा भी काम कुछ कर दे, तो उसकी बड़ी प्रशंसा की जाती है। हनुमान इतना बड़ा द्रोणाचल उठाकर लंका ले आये, तो भी उनको कोई ‘गिरिधर’ नहीं कहता।[1]
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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