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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
*सर्वाप्ति व्रत [[चतुमूर्ति व्रत है।  
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*सर्वाप्ति व्रत चतुमूर्ति व्रत है।  
 
*एक वर्ष तक चार मासों की तीन अवधियों में सर्वाप्ति व्रत किया जाता है।
 
*एक वर्ष तक चार मासों की तीन अवधियों में सर्वाप्ति व्रत किया जाता है।
 
*[[विष्णु]] के चार रूप है–[[बल]], [[ज्ञान]], [[ऐश्वर्य]] एवं [[शक्ति]], [[वासुदेव]] संकर्षण, [[रुद्र]] एवं [[अनिरुद्ध]] [[पूर्व]], [[पश्चिम]] एवं [[उत्तर]] की चार [[दिशा|दिशाओं]] के चार मुख हैं, जो बल, ज्ञान आदि रूपों के प्रतिनिधि हैं।
 
*[[विष्णु]] के चार रूप है–[[बल]], [[ज्ञान]], [[ऐश्वर्य]] एवं [[शक्ति]], [[वासुदेव]] संकर्षण, [[रुद्र]] एवं [[अनिरुद्ध]] [[पूर्व]], [[पश्चिम]] एवं [[उत्तर]] की चार [[दिशा|दिशाओं]] के चार मुख हैं, जो बल, ज्ञान आदि रूपों के प्रतिनिधि हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 502-503, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|140|1-13 से उद्धरण)

सम्बंधित लिंक

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