श्रेणी:हिन्दी कविता
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
"हिन्दी कविता" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी में निम्नलिखित 200 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 1,080
(पिछला पृष्ठ) (अगला पृष्ठ)क
- काट फंद हे गोविन्द ! -शिवदीन राम जोशी
- कान्ह हेरल छल मन बड़ साध -विद्यापति
- कान्हा! राधा से क्यों रूठे? -कैलाश शर्मा
- काम की जगहों पर कुछ हादसे -अजेय
- कामना -अशोक चक्रधर
- कामवालियाँ -किरण मिश्रा
- कामिनि करम सनाने -विद्यापति
- कामी का अंग -कबीर
- कार के करिश्मे -काका हाथरसी
- कारवां गुज़र गया -गोपालदास नीरज
- कालिज स्टूडैंट -काका हाथरसी
- काले बादल -सुमित्रानंदन पंत
- काहे को ब्याहे बिदेस -अमीर ख़ुसरो
- काहे ते हरि मोहिं बिसारो -तुलसीदास
- काहे री नलिनी तू कुमिलानी -कबीर
- कि कहब हे सखि रातुक -विद्यापति
- कितनी अतृप्ति है -गोपालदास नीरज
- कितनी रोटी -अशोक चक्रधर
- कितने दिन चलेगा? -गोपालदास नीरज
- किसलिए आऊं तुम्हारे द्वार? -गोपालदास नीरज
- किसी का दीप निष्ठुर हूँ -महादेवी वर्मा
- कुंज कुटीरे यमुना तीरे -माखन लाल चतुर्वेदी
- कुंज भवन सएँ निकसलि -विद्यापति
- कुंजी -रामधारी सिंह दिनकर
- कुच-जुग अंकुर उतपत् भेल -विद्यापति
- कुछ कुण्डलियाँ -त्रिलोक सिंह ठकुरेला
- कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ -काका हाथरसी
- कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें -भगवतीचरण वर्मा
- कुत्ता भौंकने लगा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- कुरुक्षेत्र-कर्ण-कृष्ण और सार -रश्मि प्रभा
- कू कू करती काली कोयल -दिनेश सिंह
- कृष्ण के आने की बारी है -रश्मि प्रभा
- कृष्ण को गुहार -कैलाश शर्मा
- कृष्ण जन्म -रश्मि प्रभा
- कृष्ण बनकर रहना सरल नहीं -रश्मि प्रभा
- कृष्ण भी कृष्ण नहीं कहलाते -रश्मि प्रभा
- के पतिआ लय जायत रे -विद्यापति
- केते झाड़ फूंक भुतवा -शिवदीन राम जोशी
- केते बदमाश गुंडे -शिवदीन राम जोशी
- केलंग-1/ हरी सब्ज़ियाँ -अजेय
- केलंग-2/ पानी -अजेय
- केलंग-3/ बिजली -अजेय
- केलंग-4/ सड़कें -अजेय
- केशर की कलि की पिचकारी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- केशव,कहि न जाइ -तुलसीदास
- केसरि से बरन सुबरन -बिहारी लाल
- केहि समुझावौ सब जग अन्धा -कबीर
- कैदी और कोकिला -माखन लाल चतुर्वेदी
- कैसी है पहिचान तुम्हारी -माखन लाल चतुर्वेदी
- कोई नहीं जानता -कुलदीप शर्मा
- कोयल -सुभद्रा कुमारी चौहान
- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती -सोहन लाल द्विवेदी
- कौन क्या-क्या खाता है? -काका हाथरसी
- कौन जतन बिनती करिये -तुलसीदास
- कौन ठगवा नगरिया लूटल हो -कबीर
- कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा
- कौन धौं सीखि ’रहीम’ इहाँ -रहीम
- कौन है ये जैनी? -अशोक चक्रधर
- क्या आकाश उतर आया है -माखन लाल चतुर्वेदी
- क्या चाहते हैं? -वंदना गुप्ता
- क्या जलने की रीत -महादेवी वर्मा
- क्या पूजन -महादेवी वर्मा
- क्या है कोई जवाब तुम्हारे पास -वंदना गुप्ता
- क्यूँ कृष्ण -रश्मि प्रभा
- क्यों -किरण मिश्रा
- क्यों इन तारों को उलझाते? -महादेवी वर्मा
- क्यों, आखिर क्यों? -कन्हैयालाल नंदन
- क्षणिकाएँ -किरण मिश्रा
- क्षमा प्रार्थना -काका हाथरसी
ख
- खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज
- खटमल-मच्छर-युद्ध -काका हाथरसी
- ख़लीफ़ा की खोपड़ी -अशोक चक्रधर
- ख़ुद अपने ही ख़िलाफ़ -अजेय
- ख़ून की होली जो खेली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- खिल-खिल खिल-खिल हो रही -काका हाथरसी
- खिलौनेवाला -सुभद्रा कुमारी चौहान
- खुला आसमान -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की -गोपालदास नीरज
- खेलत फाग दुहूँ तिय कौ -बिहारी लाल
- खेलूँगी कभी न होली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
ग
- गंगा -सुमित्रानंदन पंत
- गंगा की विदाई -माखन लाल चतुर्वेदी
- गंगा-स्तुति -विद्यापति
- गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे -अदम गोंडवी
- गर्म पकौड़ी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गहन है यह अंधकार -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- ग़ज़ल को ले चलो अब -अदम गोंडवी
- गाँधी -रामधारी सिंह दिनकर
- गाँव में चक्का तलाई -अजेय
- गांधारी से संवाद (1) -कुलदीप शर्मा
- गांधारी से संवाद (2) -कुलदीप शर्मा
- गाली में गरिमा घोल-घोल -माखन लाल चतुर्वेदी
- गाहि सरोवर सौरभ लै -बिहारी लाल
- गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीर -माखन लाल चतुर्वेदी
- गीत -किरण मिश्रा
- गीत -विद्यापति
- गीत गाने दो मुझे -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गीत विहग -सुमित्रानंदन पंत
- गीत-अगीत -रामधारी सिंह दिनकर
- गुनह करेंगे -अशोक चक्रधर
- गुमशुदा की तलाश -अशोक कुमार शुक्ला
- गुरु कुम्हार की गुरुदक्षिणा -नीलम प्रभा
- गुरुदेव का अंग -कबीर
- गोपीभाव -वंदना गुप्ता
- गौरी के वर देखि बड़ दुःख -विद्यापति
- ग्राम श्री -सुमित्रानंदन पंत
घ
च
- चंचल पग दीप-शिखा-से -सुमित्रानंदन पंत
- चंदा मामा -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- चंद्रयात्रा और नेता का धंधा -काका हाथरसी
- चन्दा जनि उग आजुक -विद्यापति
- चलते समय -सुभद्रा कुमारी चौहान
- चलते-चलते थक गए पैर -गोपालदास नीरज
- चलो छिया-छी हो अन्तर में -माखन लाल चतुर्वेदी
- चलो महफ़िल सजा लूँ -वंदना गुप्ता
- चाँद का मुँह टेढ़ा है (कविता) -गजानन माधव मुक्तिबोध
- चाँद की आदतें -राजेश जोशी
- चाँद को देखो -आरसी प्रसाद सिंह
- चाँद है ज़ेरे-क़दम -अदम गोंडवी
- चाँदनी -सुमित्रानंदन पंत
- चांणक का अंग -कबीर
- चांद का कुर्ता -रामधारी सिंह दिनकर
- चांद की आदतें -राजेश जोशी
- चार दिन -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- चिंता -सुभद्रा कुमारी चौहान
- चिड़िया -आरसी प्रसाद सिंह
- चिड़िया -राजेश जोशी
- चिड़िया की उड़ान -अशोक चक्रधर
- चितावणी का अंग -कबीर
- चित्राधार -जयशंकर प्रसाद
- चींटी -सुमित्रानंदन पंत
- चील (1) -कुलदीप शर्मा
- चुटपुटकुले (कविता) -अशोक चक्रधर
- चुनरी रंग गयी तेरे रंग में -कैलाश शर्मा
- चुनाव -कन्हैयालाल नंदन
- चुम्बन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- चोरी की रपट -काका हाथरसी
- चौंको मत मेरे दोस्त -कन्हैयालाल नंदन
छ
ज
- जंगल गाथा -अशोक चक्रधर
- जखन लेल हरि कंचुअ अचोडि -विद्यापति
- जग के उर्वर आँगन में -सुमित्रानंदन पंत
- जग-जीवन में जो चिर महान -सुमित्रानंदन पंत
- जनतन्त्र का जन्म -रामधारी सिंह दिनकर
- जनम होअए जनु -विद्यापति
- जन्मभूमि -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- जब आग लगे... -रामधारी सिंह दिनकर
- जब ढाई आखर न जानो -कैलाश शर्मा
- जब दुपहरी ज़िंदगी पर -गजानन माधव मुक्तिबोध
- जब पानी सर से बहता है -आरसी प्रसाद सिंह
- जब प्रश्न चिह्न बौखला उठे -गजानन माधव मुक्तिबोध
- जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला -गोपालदास नीरज
- जब यह दीप थके -महादेवी वर्मा
- जब यार देखा नैन भर -अमीर ख़ुसरो
- जम और जमाई -काका हाथरसी
- जय अखंड भारत -आरसी प्रसाद सिंह
- जय बोल बेईमान की -काका हाथरसी
- जय बोलो बेईमान की -काका हाथरसी
- जय- जय भैरवि असुर भयाउनि -विद्यापति
- जर्णा का अंग -कबीर
- जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना -गोपालदास नीरज
- जलियाँवाला बाग में बसंत -सुभद्रा कुमारी चौहान
- जवानी -माखन लाल चतुर्वेदी
- ज़रा मुस्कुरा तो दे -अशोक चक्रधर
- ज़रा सा प्यार -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- ज़रूरत भी क्या है ! -रश्मि प्रभा
- ज़िन्दगी़ चार कविताएँ -कन्हैयालाल नंदन
- ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल -अमीर ख़ुसरो
- ज़ुल्फ़-अँगड़ाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब -अदम गोंडवी
- जाइत देखलि पथ नागरि सजनि गे -विद्यापति
- जाइत पेखलि नहायलि गोरी -विद्यापति
- जाके लिए घर आई घिघाय -बिहारी लाल
- जाग तुझको दूर जाना -महादेवी वर्मा
- जाग-जाग सुकेशिनी री! -महादेवी वर्मा
- जागना अपराध -माखन लाल चतुर्वेदी
- जागिये कृपानिधान जानराय, रामचन्द्र -तुलसीदास
- जागो प्यारे -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- जाड़े की साँझ -माखन लाल चतुर्वेदी
- जाति हुती सखी गोहन में -रहीम
- जानकी जीवन की बलि जैहों -तुलसीदास
- जानत नहिं लगि मैं -बिहारी लाल
- जाने किस जीवन की सुधि ले -महादेवी वर्मा
- जिज्ञासा -अशोक चक्रधर
- जिनका पानी उतर गया -शिवदीन राम जोशी
- जियो जियो अय हिन्दुस्तान -रामधारी सिंह दिनकर
- जिसके सम्मोहन में पागल धरती है -अदम गोंडवी
- जिस्म क्या है -अदम गोंडवी