"विराम चिह्न" के अवतरणों में अंतर

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#रोको मत, जाने दो।
 
#रोको मत, जाने दो।
 
उपर्युक्त उदाहरणों में पहले वाक्य में अर्थ स्पष्ट नहीं होता, जबकि दूसरे और तीसरे वाक्य में अर्थ तो स्पष्ट हो जाता है लेकिन एक दूसरे का उल्टा अर्थ मिलता है जबकि तीनों वाक्यों में वही शब्द हैं। दूसरे वाक्य में 'रोको' के बाद अल्पविराम लगाने से रोकने के लिए कहा गया है जबकि तीसरे वाक्य में 'रोको मत' के बाद अल्पविराम लगाने से किसी को न रोक कर जाने के लिए कहा गया है। इस प्रकार विराम-चिह्न लगाने से दूसरे और तीसरे वाक्य को पढ़ने में तथा अर्थ स्पष्ट करने में जितनी सुविधा होती है उतनी पहले वाक्य में नहीं होती।  
 
उपर्युक्त उदाहरणों में पहले वाक्य में अर्थ स्पष्ट नहीं होता, जबकि दूसरे और तीसरे वाक्य में अर्थ तो स्पष्ट हो जाता है लेकिन एक दूसरे का उल्टा अर्थ मिलता है जबकि तीनों वाक्यों में वही शब्द हैं। दूसरे वाक्य में 'रोको' के बाद अल्पविराम लगाने से रोकने के लिए कहा गया है जबकि तीसरे वाक्य में 'रोको मत' के बाद अल्पविराम लगाने से किसी को न रोक कर जाने के लिए कहा गया है। इस प्रकार विराम-चिह्न लगाने से दूसरे और तीसरे वाक्य को पढ़ने में तथा अर्थ स्पष्ट करने में जितनी सुविधा होती है उतनी पहले वाक्य में नहीं होती।  
*अतएव विराम-चिन्हों के विषय में पूरा ज्ञान होना आवश्यक है।
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*अतएव विराम-चिह्नों के विषय में पूरा ज्ञान होना आवश्यक है।
*[[हिन्दी]] में निम्नलिखित विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।
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*[[हिन्दी]] में मुख्यत: तीन तरह के विराम चिह्नों का प्रयोग किये जाते हैं-
{| class="bharattable" border="1" style="margin:5px; float:right"  
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|+[[हिन्दी]] में विराम चिह्नों का प्रयोग
 
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| उद्धरण चिह्न
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| कोष्ठक
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| हंसपद (त्रुटिबोधक)
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| [[त्रुटिबोधक चिह्न|हंसपद (त्रुटिबोधक)]]
 
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| रेखांकन
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| [[रेखांकन चिह्न|रेखांकन]]
 
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| लाघव चिह्न
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| लोप-चिह्न  
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====पूर्ण विराम (।)====
==पूर्ण विराम (।)==  
 
 
इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक और विस्मयसूचक वाक्यों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है; जैसे राम स्कूल से आ रहा है। वह उसकी सौंदर्यता पर मुग्ध हो गया। वह छत से गिर गया। दोहा, श्लोक, [[चौपाई]] आदि की पहली पंक्ति के अंत में एक पूर्ण विराम (।) तथा दूसरी पंक्ति के अंत में दो पूर्ण विराम (॥) लगाने की प्रथा है; जैसे:-
 
इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक और विस्मयसूचक वाक्यों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है; जैसे राम स्कूल से आ रहा है। वह उसकी सौंदर्यता पर मुग्ध हो गया। वह छत से गिर गया। दोहा, श्लोक, [[चौपाई]] आदि की पहली पंक्ति के अंत में एक पूर्ण विराम (।) तथा दूसरी पंक्ति के अंत में दो पूर्ण विराम (॥) लगाने की प्रथा है; जैसे:-
 
<poem>रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
 
<poem>रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
 
पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चून॥</poem>
 
पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चून॥</poem>
==अर्द्धविराम (;)==  
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====अर्द्धविराम (;)====  
 
जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर रुकना हो और अल्पविराम की अपेक्षा कुछ देर तक रुकना हो तब अर्द्धविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे- फलों में आम को सर्वश्रेष्ठ फल माना गया है; किंतु श्रीनगर में और ही किस्म के फल विशेष रूप से पैदा होते हैं।
 
जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर रुकना हो और अल्पविराम की अपेक्षा कुछ देर तक रुकना हो तब अर्द्धविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे- फलों में आम को सर्वश्रेष्ठ फल माना गया है; किंतु श्रीनगर में और ही किस्म के फल विशेष रूप से पैदा होते हैं।
==अल्पविराम (,)==  
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====अल्पविराम (,)====  
 
जहाँ पर अर्द्धविराम की तुलना में और कम देर रुकना हो तो अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है-
 
जहाँ पर अर्द्धविराम की तुलना में और कम देर रुकना हो तो अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है-
 
#एक ही प्रकार कई शब्दों का प्रयोग होने पर प्रत्येक शब्द के बाद अल्पविराम लगाया जाता है। लेकिन अंतिम शब्द के पहले 'और' का प्रयोग होता है; जैसे रघु अपनी संपत्ति, भूमि प्रतिष्ठा और मान-मर्यादा सब खो बैठा।
 
#एक ही प्रकार कई शब्दों का प्रयोग होने पर प्रत्येक शब्द के बाद अल्पविराम लगाया जाता है। लेकिन अंतिम शब्द के पहले 'और' का प्रयोग होता है; जैसे रघु अपनी संपत्ति, भूमि प्रतिष्ठा और मान-मर्यादा सब खो बैठा।
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#अंकों को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे-5, 6, 7, 8, 9, 10, 15, 20, 60, 70, 100 आदि।
 
#अंकों को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे-5, 6, 7, 8, 9, 10, 15, 20, 60, 70, 100 आदि।
 
#एक ही शब्द या वाक्यांश की पुनरावृत्ति होने पर अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे -भागो, भागो, आग लग गई है।
 
#एक ही शब्द या वाक्यांश की पुनरावृत्ति होने पर अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे -भागो, भागो, आग लग गई है।
==प्रश्नवाचक चिह्न (?)==
 
प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे तुम कहाँ जा रहे हो?
 
==विस्मयसूचक चिह्न (!)== 
 
विस्मय, आश्चर्य, हर्ष, घृणा आदि का बोध कराने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे-वाह आप यहाँ कैसे पधारे? हाय बेचारा व्यर्थ में मारा गया।
 
==उद्धरण चिह्न (" ")==
 
किसी और के वाक्य या शब्दों को ज्यों-का-त्यों रखने में इसका प्रयोग किया जाता है; जैसे [[तुलसीदास]] ने कहा-
 
"रघुकुल रीति सदा चली आई। प्राण जाय पर वचन न जाई॥"
 
'''(")'''
 
वाक्य में किसी शब्द पर बल देने के लिए इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग करते हैं; जैसे-[[तुलसीदास]] कृत 'रामचरितमानस' एक अनुपम कृति है।
 
==योजक चिह्न (-)==
 
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है-
 
#सामाजिक पदों या पुनरुक्त और युग्म शब्दों के मध्य किया जाता है; जैसे-जय पराजय, लाभ-हानि, दो-दो, राष्ट्र-भक्ति।
 
#तुलनावाचक 'सा', 'सी', 'से', के पहले; जैसे=चाँद सा चेहरा, फूल सी मुस्कान।
 
#द्वित्व और शब्द युग्म जैसे- कभी-कभी खाते-पीते।
 
 
==निर्देशक चिह्न (--)==
 
इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों मे किया जाता है-
 
#संवादों को लिखने के लिए--रमेश--तुम कहाँ रहते हो?
 
मोहन--मैं नेहरु नगर में रहता हूँ।
 
#कहना, लिखना, बोलना, बताना, शब्दों के बाद; जैसे-गाँधी जी ने कहा--हिंसा मत करो। महेश ने लिखा--सत्यम्,  शिवम्, सुंदरम्।
 
==कोष्ठक [()]==
 
कोष्ठक के भीतर मुख्यत: उस सामग्री को रखते है; जैसे-क्रिया के भेदों (सकर्मक और अकर्मक) के उदाहरण दीजिए।
 
*किसी कठिन शब्द को स्पष्ट करने के लिए; जैसे-आप की सामर्थ्य (शक्ति) को मैं जानता हूँ।
 
*नाटक में अभिनय आदि प्रकट करने हेतु; जैसे-मेघनाद- (कुछ आगे बढ़ कर) लक्ष्मण यदि सामर्थ्य है तो सामने आओ।
 
*विषय, विभाग सूचक अंकों अथवा अक्षरों को प्रकट करने के लिए; जैसे:- [[संज्ञा]] के तीन भेद हैं-
 
#व्यक्तिवाचक
 
#जातिवाचक और
 
#भाववाचक संज्ञा।
 
==हंसपद/त्रुटिबोधक (^)==
 
जब किसी वाक्य अथवा वाक्यांश में कोई शब्द अथवा [[अक्षर]] लिखने मे छूट जाता है तो छूटे हुए वाक्य के नीचे हंसपद चिह्न का प्रयोग कर छूटे हुए शब्द को ऊपर लिख देते हैं। जैसे- स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
 
==रेखांकन चिह्न (_)==
 
वाक्य में महत्त्वपूर्ण शब्द, पद, वाक्य रेखांकित कर दिया जाता है; जैसे- गोदान उपन्यास, [[प्रेमचंद]] द्वारा लिखित सर्वश्रेष्ठ कृति है।
 
==लाघव चिह्न (0)==
 
संक्षिप्त रूप लिखने के लिए लाघव चिह्न का प्रयोग किया जाता हैं; जैसे-
 
  
<poem>कृ.प.उ.=कृपया पृष्ठ उलटिए
 
प.न.नि.=पटना नगर निगम</poem>
 
==लोप चिह्न (...)==
 
जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो तो लोप चिह्न का प्रयोग किया जाता है, जैसे:-
 
[[महात्मा गाँधी|गाँधी जी]] ने कहा- "परीक्षा की घड़ी आ गई है... हम करेंगे या मरेंगे"।
 
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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[[Category:व्याकरण]]
 
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[[Category:हिन्दी भाषा]][[Category:भाषा कोश]]
 
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11:01, 1 मार्च 2012 के समय का अवतरण

  • विराम का अर्थ है- 'रुकना' या 'ठहरना'। वाक्य को लिखते अथवा बोलते समय बीच में कहीं थोड़ा-बहुत रुकना पड़ता है जिससे भाषा स्पष्ट, अर्थवान एवं भावपूर्ण हो जाती है। लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिह्नों का प्रयोग करते हैं। इन्हें ही विराम चिह्न कहा जाता है।
  • भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग वाक्य के बीच या अंत में किया जाता है, उन्हें विराम चिह्न कहते हैं; जैसे
  1. रोको मत जाने दो।
  2. रोको, मत जाने दो।
  3. रोको मत, जाने दो।

उपर्युक्त उदाहरणों में पहले वाक्य में अर्थ स्पष्ट नहीं होता, जबकि दूसरे और तीसरे वाक्य में अर्थ तो स्पष्ट हो जाता है लेकिन एक दूसरे का उल्टा अर्थ मिलता है जबकि तीनों वाक्यों में वही शब्द हैं। दूसरे वाक्य में 'रोको' के बाद अल्पविराम लगाने से रोकने के लिए कहा गया है जबकि तीसरे वाक्य में 'रोको मत' के बाद अल्पविराम लगाने से किसी को न रोक कर जाने के लिए कहा गया है। इस प्रकार विराम-चिह्न लगाने से दूसरे और तीसरे वाक्य को पढ़ने में तथा अर्थ स्पष्ट करने में जितनी सुविधा होती है उतनी पहले वाक्य में नहीं होती।

  • अतएव विराम-चिह्नों के विषय में पूरा ज्ञान होना आवश्यक है।
  • हिन्दी में मुख्यत: तीन तरह के विराम चिह्नों का प्रयोग किये जाते हैं-
हिन्दी में विराम चिह्नों का प्रयोग
क्रम नाम विराम चिह्न
1 पूर्ण विराम या विराम (।)
2 अर्द्धविराम (;)
3 अल्पविराम (,)
4 प्रश्नवाचक (?)
5 विस्मयसूचक (!)
6 उद्धरण ("") (' ')
7 योजक (-)
9 कोष्ठक [()]
10 हंसपद (त्रुटिबोधक) (^)
11 रेखांकन (_)
12 लाघव चिह्न (·)
13 लोप चिह्न (...)

पूर्ण विराम (।)

इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक और विस्मयसूचक वाक्यों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है; जैसे राम स्कूल से आ रहा है। वह उसकी सौंदर्यता पर मुग्ध हो गया। वह छत से गिर गया। दोहा, श्लोक, चौपाई आदि की पहली पंक्ति के अंत में एक पूर्ण विराम (।) तथा दूसरी पंक्ति के अंत में दो पूर्ण विराम (॥) लगाने की प्रथा है; जैसे:-

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चून॥

अर्द्धविराम (;)

जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर रुकना हो और अल्पविराम की अपेक्षा कुछ देर तक रुकना हो तब अर्द्धविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे- फलों में आम को सर्वश्रेष्ठ फल माना गया है; किंतु श्रीनगर में और ही किस्म के फल विशेष रूप से पैदा होते हैं।

अल्पविराम (,)

जहाँ पर अर्द्धविराम की तुलना में और कम देर रुकना हो तो अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है-

  1. एक ही प्रकार कई शब्दों का प्रयोग होने पर प्रत्येक शब्द के बाद अल्पविराम लगाया जाता है। लेकिन अंतिम शब्द के पहले 'और' का प्रयोग होता है; जैसे रघु अपनी संपत्ति, भूमि प्रतिष्ठा और मान-मर्यादा सब खो बैठा।
  2. 'हाँ' और 'नहीं' के पश्चात; जैसे हाँ, लिख सकता हूँ। नहीं यह काम नहीं हो सकता।
  3. वाक्यांश या उपवाक्य को अलग करने के लिए; जैसे विज्ञान का पाठ्यक्रम बदल जाने से, मैं समझता हूँ, परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा।
  4. कभी-कभी संबोधन-सूचक शब्द के बाद अल्पविराम भी लगाया जाता है; जैसे-रवि तुम इधर आओ।
  5. शब्द युग्मों में अलगाव दिखाने के लिए जैसे- पाप और पुण्य, सच और झूठ, कल और आज।
  6. पत्र में अभिवादन और समापन में; जैसे- पूज्य पिताजी, भवदीय मान्यवर आदि।
  7. तारीख के साथ महीने का नाम लिखने के बाद तथा सन्, संवत के पहले अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे- 2 अक्टूबर, सन् 1869 ई. को गाँधी का जन्म हुआ।
  8. उद्धरण से पूर्ण अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे- नेता जी ने कहा, "दिल्ली चलो"।
  9. अंकों को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे-5, 6, 7, 8, 9, 10, 15, 20, 60, 70, 100 आदि।
  10. एक ही शब्द या वाक्यांश की पुनरावृत्ति होने पर अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे -भागो, भागो, आग लग गई है।



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