"रात नहीं कटती थी रात में -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) |
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इतना जीया सन्नाटे को, सन्नाटा भी रूठ गया | इतना जीया सन्नाटे को, सन्नाटा भी रूठ गया | ||
− | मस्त ज़िन्दगी | + | मस्त ज़िन्दगी जी लो यारो, इसमें कोई हर्ज़ नहीं |
संजीदा रिश्ते को तलाशो, तो दिन रातों चैन नहीं | संजीदा रिश्ते को तलाशो, तो दिन रातों चैन नहीं | ||
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एक ख़ाब मैंने भी देखा, जिसकी कहीं ताबीर नहीं | एक ख़ाब मैंने भी देखा, जिसकी कहीं ताबीर नहीं | ||
− | उसे भुला दूँ जिसमें बसा था पूरा ये संसार मिरा | + | उसे भुला दूँ जिसमें बसा था, पूरा ये संसार मिरा |
− | शक़ की बिनाह पर मुझको छोड़ा कोई बहस तक़रीर नहीं | + | शक़ की बिनाह पर मुझको छोड़ा, कोई बहस तक़रीर नहीं |
− | दिन जैसे जंगल बातों का सांय-सांय करता रहता | + | दिन जैसे जंगल बातों का, सांय-सांय करता रहता |
− | किसी तिलस्मी खोज में जैसे अय्यारी करता फिरता | + | किसी तिलस्मी खोज में जैसे, अय्यारी करता फिरता |
− | इसने टोका उसने पूछा क्यों किस्मत क्या खुली नहीं ? | + | इसने टोका उसने पूछा, क्यों किस्मत क्या खुली नहीं ? |
− | रात नहीं कटती थी रात में अब दिन में भी कटी नहीं | + | रात नहीं कटती थी रात में, अब दिन में भी कटी नहीं |
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13:51, 25 जून 2012 का अवतरण
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