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*इस व्रत में [[वायु देवता|वायु]], [[सूर्य देवता|सूर्य]] एवं [[चंद्र देवता|चन्द्र]] की पूजा क्रनी चाहिए।  
 
*इस व्रत में [[वायु देवता|वायु]], [[सूर्य देवता|सूर्य]] एवं [[चंद्र देवता|चन्द्र]] की पूजा क्रनी चाहिए।  
 
*प्रात:काल किसी पवित्र स्थान पर वायु पूजा, मध्याह्न में अग्नि में सूर्य पूजा तथा सूर्यास्त पर जल में चन्द्र पूजा, एक वर्ष तक करनी चाहिए।  
 
*प्रात:काल किसी पवित्र स्थान पर वायु पूजा, मध्याह्न में अग्नि में सूर्य पूजा तथा सूर्यास्त पर जल में चन्द्र पूजा, एक वर्ष तक करनी चाहिए।  
*इसके करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, और तीन वर्षों तक करने से कर्ता 5 सहस्र वर्षों तक स्वर्ग में रहता है, यदि 12 वर्षों तक यह व्रत किया जाए तो लाख वर्षों तक स्वर्ग की प्राप्ति होती है। <ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 457-579, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>  
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*इसके करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, और तीन वर्षों तक करने से कर्ता 5 सहस्र वर्षों तक स्वर्ग में रहता है, यदि 12 वर्षों तक यह व्रत किया जाए तो लाख वर्षों तक स्वर्ग की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 457-579, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>  
  
 
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08:42, 10 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया को करना चाहिए।
  • इस व्रत में वायु, सूर्य एवं चन्द्र की पूजा क्रनी चाहिए।
  • प्रात:काल किसी पवित्र स्थान पर वायु पूजा, मध्याह्न में अग्नि में सूर्य पूजा तथा सूर्यास्त पर जल में चन्द्र पूजा, एक वर्ष तक करनी चाहिए।
  • इसके करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, और तीन वर्षों तक करने से कर्ता 5 सहस्र वर्षों तक स्वर्ग में रहता है, यदि 12 वर्षों तक यह व्रत किया जाए तो लाख वर्षों तक स्वर्ग की प्राप्ति होती है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 457-579, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।

संबंधित लिंक

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