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− | + | *एक विस्तृत राज्य की महत्त्वाकांक्षा के कारण राजा महापद्मनन्द ने समकालीन अनेक छोटे-बडे़ स्वतन्त्र राज्यों को विजित कर अपने शासन में शामिल किया था। | |
− | + | *इन सभी विजयों के कारण राजा महापद्मनन्द को [[पुराण|पुराणों]] में 'अखिलक्षत्रांतक' और 'एकच्छत्र' के रूप में वर्णित किया गया है। | |
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+ | *संभवत: ईसवी पूर्व 400 के लगभग महापद्मनन्द का शासन रहा था। | ||
+ | *महापद्मनन्द के पश्चात् उसके विभिन्न पुत्रों ने [[मगध]] राज्य पर शासन किया। | ||
+ | *उत्तरी-पश्चिमी भारत पर संभवतः ईसवी पूर्व 327 में [[सिकन्दर]] ने आक्रमण किया, परन्तु सिकन्दर की सेना [[पंजाब]] से आगे न बढ़ सकी। | ||
+ | *जब सिकन्दर की सेना को यह पता चल गया कि आगे मगध शासक की विस्तृत सेना है, तो सिकन्दर के सैनिकों ने [[व्यास नदी]] को पार कर आगे बढ़ने से मना कर दिया। | ||
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11:28, 5 मार्च 2018 के समय का अवतरण
महापद्मनन्द मगध का वीर और प्रतापी राजा था। उसने मगध के नन्द वंश की स्थापना की थी। महापद्मनन्द को 'उग्रसेन' नाम से भी जाना जाता है। उसका जन्म शिशुनाग वंश के अंतिम राजा महानंदी की दासी के गर्भ से हुआ था और उसने महानंदी की हत्या करके मगध की राजगद्दी पर अधिकार कर लिया था।
- एक विस्तृत राज्य की महत्त्वाकांक्षा के कारण राजा महापद्मनन्द ने समकालीन अनेक छोटे-बडे़ स्वतन्त्र राज्यों को विजित कर अपने शासन में शामिल किया था।
- इन सभी विजयों के कारण राजा महापद्मनन्द को पुराणों में 'अखिलक्षत्रांतक' और 'एकच्छत्र' के रूप में वर्णित किया गया है।
- महापद्मनन्द ने मिथिला, कलिंग, काशी, पांचाल, चेदि, कुरु, आदि विभिन्न राज्यों को अपने शासन के अंतर्गत कर शूरसेन राज्य को भी जीत कर अपने विशाल राज्य में सम्मिलित कर लिया था।
- संभवत: ईसवी पूर्व 400 के लगभग महापद्मनन्द का शासन रहा था।
- महापद्मनन्द के पश्चात् उसके विभिन्न पुत्रों ने मगध राज्य पर शासन किया।
- उत्तरी-पश्चिमी भारत पर संभवतः ईसवी पूर्व 327 में सिकन्दर ने आक्रमण किया, परन्तु सिकन्दर की सेना पंजाब से आगे न बढ़ सकी।
- जब सिकन्दर की सेना को यह पता चल गया कि आगे मगध शासक की विस्तृत सेना है, तो सिकन्दर के सैनिकों ने व्यास नदी को पार कर आगे बढ़ने से मना कर दिया।
इन्हें भी देखें: नंदवंश
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