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06:31, 23 मार्च 2012 का अवतरण

पंचकल्याणक पर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर में आस्था रखने वाले उनके भक्तों के द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार जैन धर्म के मानने वालों का प्रमुख त्योहार है। जैन धर्मावलम्बियों की यह मान्यता है कि यदि कोई इस महोत्सव में प्रत्यक्षदर्शी नहीं हो पाता, लेकिन अपने हृदय में इस पर्व की भावनात्मक कल्पना करता है तो उसके हृदय में तीर्थंकर विराजमान हो जाते हैं।

पर्व के प्रकार

जैनियों का विश्वास है कि तीर्थंकरों के प्रभाव से व्यक्ति की जीवन-यात्रा अर्थपूर्ण और सत्य के अधिक निकट हो जाती है। जैन धर्मियों के इस महोत्सव के कई प्रकार बताये गए हैं। इन प्रकारों में 24 तीर्थंकरों के जन्मोत्सव, सुमेरू पर्वत पर उनका अभिषेक, मोक्षगमन, काल्पनिक चरित्रों द्वारा भगवान महावीर के माता-पिता बनाना, यज्ञ नायक बनाना, धनपति कुबेर बनाना आदि मुख्य हैं।[1]

मान्यता

जैन धर्म के लोगों का सबसे अधिक प्रसिद्ध महोत्सव पंचकल्याणक में गर्भ कल्याणक के साथ संस्कारों की चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। जैन धर्म के लोगों का मानना है कि 24 तीर्थंकरों में से सभी के जीवन में पाँच प्रसिद्ध उन घटनाओं का उल्लेख मिलता है, जो कि जगत और मानव समाज के लिए बहुत ही कल्याणकारी हुए हैं, जिस कारण इस महोत्सव का आयोजन बड़े ही भव्य और उत्साहपूर्ण आनन्द के साथ होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पंचकल्याणक पर्व (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 23 मार्च, 2012।

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