"धूमकेतु" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Adding category Category:धूमकेतु (को हटा दिया गया हैं।))
छो
 
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:comets.jpg|thumb|300px|धूमकेतु <br />Comet]]  
+
[[चित्र:comets.jpg|thumb|धूमकेतु <br />Comet]]  
*[[सौरमण्डल]] के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु (Comet)या [[पुच्छल तारा]] कहलाते हैं।  
+
*[[सौरमण्डल]] के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे [[अरब संख्या|अरबों]] पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु (Comet) या पुच्छल तारा कहलाते हैं।  
*Comet शब्द, ग्रीक शब्द komētēs से बना है जिसका अर्थ होता है hairy one बालों वाला। यह इसी तरह दिखते हैं इसलिये यह नाम पड़ा।
+
*Comet शब्द, ग्रीक शब्द komētēs से बना है जिसका अर्थ होता है Hairy one बालों वाला। यह इसी तरह दिखते हैं इसलिये यह नाम पड़ा।
*धूमकेतु या पुच्छल तारे (Comet), चट्टान (Rock), धूल (Dust) और जमी हुई गैसों (gases) के बने होते हैं। सूर्य के समीप आने पर, गर्मी के कारण, जमी हुई गैसें और धूल के कण [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] से विपरीत दिशा में फैल जाते हैं और सूर्य की रोशनी परिवर्तित कर चमकने लगती हैं। इस समय इनकी आकृति को दो मुख्य भागों, सिर तथा पूँछ में बांट सकते हैं। सिर का केंद्र अति चमकीला होता है। यह इसका नाभिक (nucleus) कहलाता है। सूर्य की विपरीत दिशा में बर्फ और धूल का चमकीला हिस्सा पूँछ की तरह से लगता है। इसे कोमा (coma) कहा जाता है। यह हमेशा सूर्य से विपरीत दिशा में रहता है। धूमकेतु की इस पूँछ के [[किरण|किरणें]] इसे पुच्छल तारा भी कहते हैं।
+
*धूमकेतु या पुच्छल तारे ( Comet ), चट्टान ( Rock ), धूल ( Dust ) और जमी हुई [[गैस|गैसों]] ( Gases ) के बने होते हैं। सूर्य के समीप आने पर, गर्मी के कारण, जमी हुई गैसें और धूल के कण [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] से विपरीत दिशा में फैल जाते हैं और सूर्य की रोशनी परिवर्तित कर चमकने लगती हैं। [[चित्र:Comet.jpg|thumb|left|धूमकेतु<br />Comet]] इस समय इनकी आकृति को दो मुख्य भागों, सिर तथा पूँछ में बांट सकते हैं। सिर का केंद्र अति चमकीला होता है। यह इसका [[नाभिक]] ( Nucleus ) कहलाता है। सूर्य की विपरीत दिशा में बर्फ़ और धूल का चमकीला हिस्सा पूँछ की तरह से लगता है। इसे कोमा ( Coma ) कहा जाता है। यह हमेशा सूर्य से विपरीत दिशा में रहता है। धूमकेतु की इस पूँछ के कारण इसे पुच्छल तारा भी कहते हैं।
*सूर्य से दूर जाने पर धूल और बर्फ पुन: इसके नाभिक में जम जाती है। हर बार जब यह सूर्य के पास आता है तो कुछ न कुछ इनकी धूल और बर्फ बिखर जाती है जिसके कारण इनकी पूंछ छोटी होती जाती है और अक्सर यह पूंछ विहीन हो जाते हैं। यह धूमकेतु सूर्य के समीप आने पर भी पूँछ को प्रकट नहीं करते हैं। ऎसे धूमकेतुओं को पुच्छहीन धूमकेतु कहते हैं। इस समय यह छुद्र ग्रह, ग्रहिका (Asteroid) की तरह लगते हैं।
+
*सूर्य से दूर जाने पर धूल और बर्फ़ पुन: इसके नाभिक में जम जाती है। हर बार जब यह सूर्य के पास आता है तो कुछ न कुछ इनकी धूल और बर्फ़ बिखर जाती है जिसके कारण इनकी पूंछ छोटी होती जाती है और अक्सर यह पूंछ विहीन हो जाते हैं। यह धूमकेतु सूर्य के समीप आने पर भी पूँछ को प्रकट नहीं करते हैं। ऎसे धूमकेतुओं को पुच्छहीन धूमकेतु कहते हैं। इस समय यह छुद्र ग्रह, ग्रहिका ( Asteroid ) की तरह लगते हैं।
*धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है। पृथ्वी की तरह धूमकेतु सूरज के चारो और चक्कर लगाते हैं। इस तरह के कई धूमकेतु हैं पर सबसे प्रसिद्ध है हैली का धूमकेतु (Halley's comet)। कई लोग कहते हैं कि बेथलहम का तारा हैली का धूमकेतु था। [[हैली धूमकेतु]] का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अन्तिम बार [[1986]] में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986+76=2062 में दिखाई देगा।
+
*धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है। [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की तरह धूमकेतु सूरज के चारो और चक्कर लगाते हैं। इस तरह के कई धूमकेतु हैं पर सबसे प्रसिद्ध है हैली का धूमकेतु ( Halley's Comet )। कई लोग कहते हैं कि बेथलहम का तारा हैली का धूमकेतु था। [[हैली धूमकेतु]] का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अन्तिम बार [[1986]] में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986 + 76 = 2062 में दिखाई देगा।
  
 +
 +
{{seealso|ल्यूलिन धूमकेतु|हैली धूमकेतु}}
  
 
{{प्रचार}}
 
{{प्रचार}}
पंक्ति 17: पंक्ति 19:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{सौरमण्डल}}
 
{{सौरमण्डल}}
 +
{{धूमकेतु}}
 +
[[Category:सौरमण्डल]]
 +
[[Category:खगोल विज्ञान]]
 +
[[Category:धूमकेतु]][[Category:खगोल_कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
[[Category:सौरमण्डल]][[Category:खगोल_कोश]]
 
[[Category:खगोल विज्ञान]]
 
[[Category:धूमकेतु]]
 

06:53, 7 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

धूमकेतु
Comet
  • सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु (Comet) या पुच्छल तारा कहलाते हैं।
  • Comet शब्द, ग्रीक शब्द komētēs से बना है जिसका अर्थ होता है Hairy one बालों वाला। यह इसी तरह दिखते हैं इसलिये यह नाम पड़ा।
  • धूमकेतु या पुच्छल तारे ( Comet ), चट्टान ( Rock ), धूल ( Dust ) और जमी हुई गैसों ( Gases ) के बने होते हैं। सूर्य के समीप आने पर, गर्मी के कारण, जमी हुई गैसें और धूल के कण सूर्य से विपरीत दिशा में फैल जाते हैं और सूर्य की रोशनी परिवर्तित कर चमकने लगती हैं।
    धूमकेतु
    Comet
    इस समय इनकी आकृति को दो मुख्य भागों, सिर तथा पूँछ में बांट सकते हैं। सिर का केंद्र अति चमकीला होता है। यह इसका नाभिक ( Nucleus ) कहलाता है। सूर्य की विपरीत दिशा में बर्फ़ और धूल का चमकीला हिस्सा पूँछ की तरह से लगता है। इसे कोमा ( Coma ) कहा जाता है। यह हमेशा सूर्य से विपरीत दिशा में रहता है। धूमकेतु की इस पूँछ के कारण इसे पुच्छल तारा भी कहते हैं।
  • सूर्य से दूर जाने पर धूल और बर्फ़ पुन: इसके नाभिक में जम जाती है। हर बार जब यह सूर्य के पास आता है तो कुछ न कुछ इनकी धूल और बर्फ़ बिखर जाती है जिसके कारण इनकी पूंछ छोटी होती जाती है और अक्सर यह पूंछ विहीन हो जाते हैं। यह धूमकेतु सूर्य के समीप आने पर भी पूँछ को प्रकट नहीं करते हैं। ऎसे धूमकेतुओं को पुच्छहीन धूमकेतु कहते हैं। इस समय यह छुद्र ग्रह, ग्रहिका ( Asteroid ) की तरह लगते हैं।
  • धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है। पृथ्वी की तरह धूमकेतु सूरज के चारो और चक्कर लगाते हैं। इस तरह के कई धूमकेतु हैं पर सबसे प्रसिद्ध है हैली का धूमकेतु ( Halley's Comet )। कई लोग कहते हैं कि बेथलहम का तारा हैली का धूमकेतु था। हैली धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अन्तिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986 + 76 = 2062 में दिखाई देगा।


इन्हें भी देखें: ल्यूलिन धूमकेतु एवं हैली धूमकेतु


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख