"क़स्बा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "{{मानव समाज}}" to "{{मानव का आवासीय भूगोल}}")
छो (Adding category Category:भारत का भूगोल (को हटा दिया गया हैं।))
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*क़स्बा ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को कहा जाता है जो सामान्यतया स्थानीय विशिष्ट व्यक्ति का केन्द्र होता है।
+
क़स्बा ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को कहा जाता है जो सामान्यतया स्थानीय विशिष्ट व्यक्ति का केन्द्र होता है। यह गाँव (ग्राम) से बड़ा और शहर से छोटा होता है। यह [[अरबी भाषा]] का शब्द है।
*यह गाँव (ग्राम) से बड़ा और शहर से छोटा होता है।
+
*[[उपनिवेश काल]] में क़स्बों को सामान्यत: ग्रामीण इलाक़ों के विपरीत परिभाषित किया जाता था।
*यह [[अरबी भाषा]] का शब्द है।
 
*उपनिवेश काल में क़स्बों को सामान्यत: ग्रामीण इलाक़ों के विपरीत परिभाषित किया जाता था।
 
 
*वे विशिष्ट प्रकार की आर्थिक गतिविधियों और संस्कृतियों के प्रतिनिधि बन कर उभरे।  
 
*वे विशिष्ट प्रकार की आर्थिक गतिविधियों और संस्कृतियों के प्रतिनिधि बन कर उभरे।  
 
*लोग ग्रामीण अंचलों में खेती, जंगलों में संग्रहण या पशुपालन के द्वारा जीवन निर्वाह करते थे।  
 
*लोग ग्रामीण अंचलों में खेती, जंगलों में संग्रहण या पशुपालन के द्वारा जीवन निर्वाह करते थे।  
पंक्ति 14: पंक्ति 12:
  
  
{{संदर्भ ग्रंथ}}
+
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{मानव का आवासीय भूगोल}}
 
{{मानव का आवासीय भूगोल}}
[[Category:इतिहास_कोश]][[Category:मानव समाज]][[Category:शासन_व्यवस्था]]
+
[[Category:इतिहास_कोश]] [[Category:शासन_व्यवस्था]]
 +
[[Category:मानव का आवासीय भूगोल]]
 +
[[Category:मानव समाज]]
 +
[[Category:भारत का भूगोल]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

09:17, 30 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

क़स्बा ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को कहा जाता है जो सामान्यतया स्थानीय विशिष्ट व्यक्ति का केन्द्र होता है। यह गाँव (ग्राम) से बड़ा और शहर से छोटा होता है। यह अरबी भाषा का शब्द है।

  • उपनिवेश काल में क़स्बों को सामान्यत: ग्रामीण इलाक़ों के विपरीत परिभाषित किया जाता था।
  • वे विशिष्ट प्रकार की आर्थिक गतिविधियों और संस्कृतियों के प्रतिनिधि बन कर उभरे।
  • लोग ग्रामीण अंचलों में खेती, जंगलों में संग्रहण या पशुपालन के द्वारा जीवन निर्वाह करते थे।
  • इसके विपरीत क़स्बों में शिल्पकार, व्यापारी, प्रशासक तथा शासक रहते थे।
  • क़स्बों का ग्रामीण जनता पर प्रभुत्व होता था और वे खेती से प्राप्त करों और अधिशेष के आधार पर फलते-फूलते थे।
  • अक्सर क़स्बों और शहरों की क़िलेबन्दी की जाती थी जो ग्रामीण क्षेत्रों से इनकी पृथकता को चिह्नित करती थी। फिर भी क़स्बों और गाँवों के बीच की पृथकता अनिश्चित होती थी।
  • किसान तीर्थ करने के लिए लम्बी दूरियाँ तय करते थे और क़स्बों से होकर गुज़रते थे; वे अकाल के समय क़स्बों में जमा भी हो जाते थे।
  • इसके अतिरिक्त लोगों और माल का क़स्बों से गाँवों की ओर विपरीत गमन भी था।
  • जब क़स्बों पर आक्रमण होते थे तो लोग अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में शरण लेते थे।
  • व्यापारी और फेरीवाले क़स्बों से माल गाँव ले जाकर बेचते थे, जिसके द्वारा बाज़ारों का फैलाव और उपभोग की नयी शैलियों का सृजन होता था।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख