आइज़ैक न्यूटन

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आइज़ैक न्यूटन

आइज़ैक न्यूटन (अंग्रेज़ी: Isaac Newton, जन्म: 25 दिसम्बर, 1642 – मृत्यु: 20 मार्च, 1727) एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिर्विद एवं दार्शनिक थे। न्यूटन का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कोई भी विद्यार्थी जब विज्ञान की दुनिया में कदम रखता है तो जिस वैज्ञानिक से सबसे पहले वह परिचित होता है वही वैज्ञानिक है सर आइज़ैक न्यूटन। न्यूटन के सिद्धांतों ने संसार को नए रूप में देखने के परदे खोल दिए और आधुनिक भौतिकी व इंजीनियरिंग की बुनियाद रखी। न्यूटन इंग्लैंड के वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की।

गति के नियम

यांत्रिक भौतिकी की शुरुआत न्यूटन के गति के तीन नियमों से होती है। साइकिल से लेकर रॉकेट तक के निर्माण में कहीं न कहीं ये नियम जुड़े रहते हैं। वैज्ञानिक तर्कशास्त्र की आधारशिला उसने चार नियमों द्वारा रखी, जो इस प्रकार हैं : (1) किसी प्राकृतिक घटना के पीछे एक और केवल एक पूर्णतः सत्य कारण होता है। (2) एक तरह की घटनाओं के लिए एक ही प्रकार के कारण होते हैं। (3) वस्तुओं के गुण सार्वत्रिक रूप से हर जगह समान होते हैं। (4) किसी घटना से निकाले गए निष्कर्ष तब तक सत्य मानने चाहिए जब तक कोई अन्य घटना उन्हें ग़लत न सिद्ध कर दे।

न्यूटन ने बताया कि चीज़ों के पृथ्वी पर गिरने, चंद्रमा के पृथ्वी के परितः परिक्रमण, और ग्रहों के सूर्ये के परितः परिक्रमण के पीछे एक ही कारक है जो गुरुत्वाकर्षण का सर्वव्याप्त बल है.साथ ही पहली बार द्रव्यमान और भार के बीच अन्तर बताया। प्रकाश के क्षेत्र में काम करते हुए न्यूटन ने बताया कि सफ़ेद प्रकाश दरअसल कई रंगों के प्रकाश का मिश्रण होता है। और साथ ही ये भी बताया कि प्रकाश बहुत सूक्ष्म कणिकाओं का तेज़ प्रवाह होता है। हालांकि हाइगेन्स तथा अन्य वैज्ञानिकों ने कणिका सिद्धांत को नकारते हुए तरंग सिद्धांत पर बल दिया। किंतु आज के परिपेक्ष्य में प्लांक की परिकल्पना तथा प्रकाश विधुत प्रभाव ने न्यूटन सिद्धांत को काफ़ी हद तक सही ठहरा दिया है।


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