"अनित्य" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "Category:बौद्ध धर्म कोश" to "Category:बौद्ध धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
{{बौद्ध धर्म}} | {{बौद्ध धर्म}} | ||
[[Category:बौद्ध धर्म]] | [[Category:बौद्ध धर्म]] | ||
− | [[Category:बौद्ध धर्म कोश]] | + | [[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] |
__INDEX__ | __INDEX__ |
13:44, 21 मार्च 2014 का अवतरण
अनित्य एक संस्कृत शब्द है जिसका अभिप्राय बौद्ध धर्म में अस्थायित्व का सिद्धांत अथवा सारे अस्तित्व का एक मूलभूत लक्षण।
- अनित्य, अनत्त (आत्म की अनुपस्थिति) और दु:ख आपस में मिलकर त्रिलक्षण या संपूर्ण अस्तित्व के तीन लक्षणों का निर्माण करते हैं।
- बाल्यावस्था, युवावस्था, परिपक्वता और वृद्धावस्था की सार्वभौमिक स्थितियों में मानव शरीर में होने वाले परिवर्तन अनुभव के द्वारा देखे जा सकते हैं, इसी तरह मानसिक घटनाएं क्षणिक हैं, जो बसती हैं और विलीन हो जाती हैं अस्थायित्व सिद्धांत की पहचान बोधित्व प्राप्ति की ओर बौद्ध आध्यात्मिक के पहले चरणों में से एक है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ