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'''अदरक''' जिंजीबरेसी कुल का पौधा है। वनस्पति शास्त्र की [[भाषा]] में इसे ''जिंजिबर ऑफ़िसिनेल'' (Zingiber officinale) नाम दिया गया है। इस कुल में लगभग 47 जेनरा और 1150 जातियाँ (स्पीशीज़) पाई जाती हैं। इसका पौधा अधिकतर उष्णकटिबंधीय (ट्रापिकल्स) और शीतोष्ण कटिबंध (सबट्रापिकल) भागों में पाया जाता है। अदरक को [[अंग्रेज़ी]] में जिंजर, [[संस्कृत]] में आद्रक, [[हिंदी]] में अदरख, [[मराठी भाषा|मराठी]] में आदा के नाम से जाना जाता है। गीले स्वरूप में इसे अदरक तो सूखने पर इसे सौंठ (शुष्ठी) कहते हैं। यह [[भारत]] में [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]], [[बिहार]], [[चेन्नई]], [[कोचीन]], [[पंजाब]] और [[उत्तर प्रदेश]] में अधिक उत्पन्न होती है। अदरक का कोई बीज नहीं होता, इसके कंद के ही छोटे-छोटे टुकड़े ज़मीन में गाड़ दिए जाते हैं। यह एक पौधे की जड़ है। यह भारत में एक मसाले के रूप में प्रमुख है।  अदरक का पौधा [[चीन]], [[जापान]], मसकराइन और [[प्रशांत महासागर]] के [[द्वीप|द्वीपों]] में भी मिलता है। इसके पौधे में सिमपोडियल राइजोम पाया जाता है।
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===परिचय===
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==अदरक के गुण==
साधारण सी नजर आने वाली मटमैली गांठों वाली अदरक (Ginger) वाकई गुणों की खान है। इसका सेवन जुकाम-बुखार से लेकर जोड़ों के दर्द तक में तुरंत फायदा देता है। शरीर सात धातुओं से बना हुआ है। सातों धातुओं (रक्त, रक्त-मांस, मेद, मज्जा, अस्थि और सातवां धातु शुक्र या ओज) का निर्माण और इनमें संतुलन से ही शरीर स्वस्थ बना रहता है। सातवें धातु शुक्र अर्थात ओज के निर्माण और शरीर के स्वस्थ बने रहने में अदरक का बहुत बड़ा योगदान होता है। वनस्पति शास्त्र की भाषा में इसे जिंजिबर अफिसिनेल नाम दिया गया है। अदरक इसे अंग्रेजी में जिंजर, संस्कृत में आद्रक, हिंदी में अदरख, मराठी में आदा के नाम से जाना जाता है। गीले स्वरूप में इसे अदरक तो सूखने पर इसे सौंठ (शुष्ठी) कहते हैं। यह भारत में बंगाल, बिहार, चेन्नई, कोचीन, पंजाब और उत्तर प्रदेश में अधिक उत्पन्न होती है। अदरक का कोई बीज नहीं होता, इसके कंद के ही छोटे-छोटे टुकड़े जमीन में गाड़ दिए जाते हैं। यह एक पौधे की जड़ है। यह भारत में एक मसाला के रूप में प्रमुख है।
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साधारण सी नजर आने वाली मटमैली गांठों वाली अदरक (Ginger) वाकई गुणों की खान है। इसका सेवन जुकाम-बुखार से लेकर जोड़ों के दर्द तक में तुरंत फ़ायदा देता है। शरीर सात धातुओं से बना हुआ है। सातों धातुओं ([[रक्त]], रक्त-मांस, मेरू, मज्जा, अस्थि और सातवां धातु शुक्र या ओज) का निर्माण और इनमें संतुलन से ही शरीर स्वस्थ बना रहता है। सातवें धातु शुक्र अर्थात् ओज के निर्माण और शरीर के स्वस्थ बने रहने में अदरक का बहुत बड़ा योगदान होता है।<ref name="patrika">{{cite web |url=http://www.patrika.com/article.aspx?id=14788 |title=सर्दी की दवा अदरक |accessmonthday=12 दिसंबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=ए.एस.पी |publisher=पत्रिका डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
  
इसे रसोई के साथ-साथ दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। आप इसे फल-सब्जी मानें या फिर विलक्षण दवा कहें, अधिकतर घरों में अदरक का उपयोग तरह-तरह से किया जाता है। अदरक भोजन में मसाले के रूप में और ताजा अदरक अचार और चटनी सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। शरीर के स्वस्थ बने रहने में अदरक का बहुत बड़ा योगदान होता है। अदरक के फायदे अचूक हैं। अदरक के चिकित्सीय गुणों की जानकारी पुरातन चिकित्सा पद्धति में भी आसानी से देखी जा सकती है। अदरक न केवल मसाले के रूप में प्रयोग की जाती है बल्कि इसे हजारों वर्षों से भारतीय, अरबी व चीनी चिकित्सकों ने एक औषधि के रूप में स्वीकार किया है। आयुर्वेद के अनुसार अदरक गुरु, तीक्ष्ण, उष्णवीर्य, अग्नि प्रदीपक, कटु रसयुक्त, मल भेदक, भारी, गरम, उदराग्नि बढ़ाने वाला, विपाक में मधुर रसयुक्त, रूक्ष, वात-कफ नाशक होता है। बुजुर्गों की बात माने तो अदरक, हल्दी आदि औषधियों के सेवन से ठंड का समय स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। कमजोर जीवन शक्ति वाले लोग जुकाम, गले और फेफड़े से सम्बंधित रोगों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अदरक एक बेहतर दवा सिद्ध होती है। अदरक खाने के टेस्ट को बेहतर बनाने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है।  
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====दवा के रूप में====
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इसे रसोई के साथ-साथ दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। आप इसे फल-सब्जी मानें या फिर विलक्षण दवा कहें, अधिकतर घरों में अदरक का उपयोग तरह-तरह से किया जाता है। अदरक भोजन में मसाले के रूप में और ताजा अदरक [[अचार]] और [[चटनी]] सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। शरीर के स्वस्थ बने रहने में अदरक का बहुत बड़ा योगदान होता है। अदरक के फायदे अचूक हैं। अदरक के चिकित्सीय गुणों की जानकारी पुरातन चिकित्सा पद्धति में भी आसानी से देखी जा सकती है। अदरक न केवल मसाले के रूप में प्रयोग की जाती है बल्कि इसे हजारों वर्षों से भारतीय, अरबी व चीनी चिकित्सकों ने एक औषधि के रूप में स्वीकार किया है। आयुर्वेद के अनुसार अदरक गुरु, तीक्ष्ण, उष्णवीर्य, अग्नि प्रदीपक, कटु रसयुक्त, मल भेदक, भारी, गरम, उदराग्नि बढ़ाने वाला, विपाक में मधुर रसयुक्त, रूक्ष, वात-कफ नाशक होता है। बुजुर्गों की बात माने तो अदरक, [[हल्दी]] आदि औषधियों के सेवन से ठंड का समय स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। कमज़ोर जीवन शक्ति वाले लोग जुकाम, गले और फेफड़े से सम्बंधित रोगों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अदरक एक बेहतर दवा सिद्ध होती है। अदरक खाने के टेस्ट को बेहतर बनाने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है।  
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[[चित्र:Dry_Ginger_.jpg|thumb|left|अदरक या सोंठ]]
  
अदरक को सदियों से सेहत की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके टुकड़ों पर सेंधा (काला) नमक और नींबू डाल कर खाने से जीभ और गला साफ होता है और भोजन के प्रति अरूचि मिटती है। हर रोज़ यदि भोजन से पहले अदरक का रस पीया जाए तो यह भोजन को पचा देता है और गले और जीभ के कैंसर से भी बचाता है। अदरक की चाय जुकाम, खांसी, कफ, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और यह स्वादिष्ट होती है। अदरक में जीवाणुओं के मारने के ठोस और कफ अवरोधी गुण पाए गए हैं। बड़ी आँत में पाए जाने वाली बैक्टीरिया का बढ़ना रोक देता है जिसके कारण गैस से राहत मिलती है। अदरक द्वारा यह प्रकिया रोकने से एशकेरिया कोलाई, स्तेफाईलोकाकस, स्ट्रेप्टो काकस और साल्मोनेला जीवाणुओं के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। अदरक में किसी भी चीज को संरक्षित करने के गुण प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। नाइजीरिया में हुए एक शोध के मुताबिक अदरक का सत्व सल्मोनेला नामक जीवाणुओं को खत्म करने में काफ़ी असरकारक है। अदरक को मेडिकल फील्ड में दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।  
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====सर्दी की दवा अदरक====
 
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अदरक को सदियों से सेहत की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके टुकड़ों पर सेंधा (काला) नमक और नींबू डाल कर खाने से जीभ और गला साफ़ होता है और भोजन के प्रति अरुचि मिटती है। हर रोज़ यदि भोजन से पहले अदरक का रस पीया जाए तो यह भोजन को पचा देता है और गले और जीभ के कैंसर से भी बचाता है। अदरक की चाय जुकाम, खांसी, कफ, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और यह स्वादिष्ट होती है। अदरक में [[जीवाणु|जीवाणुओं]] के मारने के ठोस और कफ अवरोधी गुण पाए गए हैं। [[बड़ी आँत]] में पाए जाने वाली जीवाणु का बढ़ना रोक देता है जिसके कारण गैस से राहत मिलती है। अदरक द्वारा यह प्रकिया रोकने से एशकेरिया कोलाई, स्तेफाईलोकाकस, स्ट्रेप्टो काकस और साल्मोनेला जीवाणुओं के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। अदरक में किसी भी चीज़ को संरक्षित करने के गुण प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। अदरक को चिकित्सा क्षेत्र में दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।  
कच्चे अदरक के अलावा इसके सूखे हुए रूप ‘सोंठ’ को भी उपयोग में लिया जाता है। इसे शहद में मिला कर लेना श्रेष्ठतम है। भोजन के एक महत्त्वपूर्ण अंग और औषधि, दोनों रूपों में अदरक या सोंठ का प्रयोग किया जाता है। सोंठ का उपयोग अदरक के अभाव में किया जाता है। वैसे तो स्वास्थ्य की दृष्टि से दोनों ही लाभदायक होते हैं, लेकिन सुखाने पर अदरक में मौजूद कई तैलीय तत्व नष्ट हो जाते हैं।
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====‘सोंठ’ का उपयोग====
 
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कच्चे अदरक के अलावा इसके सूखे हुए रूप ‘सोंठ’ को भी उपयोग में लिया जाता है। इसे [[शहद]] में मिला कर लेना श्रेष्ठतम है। भोजन के एक महत्त्वपूर्ण अंग और औषधि, दोनों रूपों में अदरक या सोंठ का प्रयोग किया जाता है। सोंठ का उपयोग अदरक के अभाव में किया जाता है। वैसे तो स्वास्थ्य की दृष्टि से दोनों ही लाभदायक होते हैं, लेकिन सुखाने पर अदरक में मौजूद कई तैलीय तत्व नष्ट हो जाते हैं।
अदरक में अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जैसे 100 ग्राम अदरक में कार्बोहाइड्रेट 12.3 ग्राम, प्रोटीम 24 ग्राम, वसा 0.8 ग्राम रेशा 2.50 ग्राम, कैल्शियम 20 मिलीग्राम, फास्फोरस 60 मि.ग्रा., आयरन 26 मि.ग्रा., विटामिन ए 40 आई.यू., नमी 80.9 ग्राम आदि तत्व पाए जाते हैं।
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==उपयोग==
 
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इसका पुष्प एक युग्मसंमित या असंमित इपिगाइनस होता है। यह औषधियों में प्रयुक्त होता है। इसका भूमिगत तना खाने के काम आता है। इसकी प्रकृति गरम होती है अत खाँसी, जुकाम जैसे रोगों में इसे [[चाय]] में डालकर प्रयोग किया जाता है। अदरक को सुखाकर सोंठ बनती है। यह पेट की बीमारियों को भी दूर करता है। सरदर्द में भी यह लाभकर सिद्ध होता है। इसे पीसकर मस्तक पर लगाने से सरदर्द लगभग ठीक हो जाता है। इसके राइजोम पर [[कवक]] की बीमारी पाई जाती है, जिसे ड्राइ राट कहते हैं।
===अदरक के स्वास्थ्य लाभ===
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====पौष्टिक तत्व====
यह रसोई घर या हर्बल दवाओं में भी पाया जाता है। विशिष्ट गुणों से भरपूर अदरक का इस्तेमाल कई बड़ी-छोटी बीमारियों में भी किया जाता है। यह कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है। औषधि के रूप में इसका प्रयोग गठिया, र्‌यूमेटिक आर्थराइटिस (आमवात, जोड़ों की बीमारियों) साइटिका और गर्दन व रीढ़ की हड्डियों की बीमारी (सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस) होने पर, भूख न लगना, मरोड़, अमीबिक पेचिश, खाँसी, जुकाम, दमा और शरीर में दर्द के साथ बुखार, कब्ज होना, कान में दर्द, उल्टियाँ होना, मोच आना, उदर शूल और मासिक धर्म में अनियमितता होना, एंटी-फंगल। इन सब रोगों में भी अदरक (सोंठ) को दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अदरक एक दर्द रिलीवर के रूप में पाया गया है। इस का प्रयोग दर्दनाक माहवारी, माइग्रेन, अपच और संक्रमण के लिए और अस्थमा के रूप में राहत प्रदान और जीवन शक्ति और दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। विभिन्न प्रकार के रूमेटिक रोगों में जहाँ कर्टिकोस्टेराईड तथा नान स्टेराइड दर्द नाशक दवाएं दी जाती हैं वहां अदरक का रस बहुत ही लाभ दायक है। अदरक कुष्ठ, पांडूरोग, रक्त पित्त, ज्वर दाह रोग आदि में उपयोगी औषधि है। अदरक का रस पेट के लिए तो लाभकारी है ही साथ में शरीर की सूजन, पीलिया, मूत्र विकार, दमा, जलोदर आदि रोगों में भी लाभकारी है। इसके सेवन से वायु विकार नष्ट हो जाते हैं। बालों के लिए भी उपयोगी है। अदरक का रस रूसी को भी नियंत्रित करता है। साथ ही, हार्ट बर्न की परेशानी भी दूर करता है। अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।
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अदरक में अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं- जैसे 100 ग्राम अदरक में [[कार्बोहाइड्रेट]] 12.3 ग्राम, [[प्रोटीन]] 24 ग्राम, [[वसा]] 0.8 ग्राम रेशा 2.50 ग्राम, [[कैल्शियम]] 20 मिलीग्राम, [[फास्फोरस]] 60 मि.ग्रा., [[आयरन]] 26 मि.ग्रा., [[विटामिन]] ए 40 आई.यू., नमी 80.9 ग्राम आदि तत्व पाए जाते हैं।
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==अदरक के स्वास्थ्य लाभ==
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[[चित्र:Ginger_Root.jpg|thumb|अदरक का पौधा]]
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अदरक रसोई घर या हर्बल दवाओं में भी पाया जाता है। विशिष्ट गुणों से भरपूर अदरक का इस्तेमाल कई बड़ी-छोटी बीमारियों में भी किया जाता है। यह कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है। औषधि के रूप में इसका प्रयोग गठिया, र्‌यूमेटिक आर्थराइटिस (आमवात, जोड़ों की बीमारियों) साइटिका और गर्दन व रीढ़ की हड्डियों की बीमारी (सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस) होने पर, भूख न लगना, मरोड़, अमीबिक पेचिश, खाँसी, जुकाम, दमा और शरीर में दर्द के साथ बुखार, [[कब्ज]] होना, कान में दर्द, उल्टियाँ होना, मोच आना, उदर शूल और मासिक धर्म में अनियमितता होना, एंटी-फंगल। इन सब रोगों में भी अदरक (सोंठ) को दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अदरक एक दर्द निवारक के रूप में भी पाया गया है। इस का प्रयोग दर्दनाक माहवारी, माइग्रेन, अपच और संक्रमण के लिए और अस्थमा के रूप में राहत प्रदान और जीवन शक्ति और दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। विभिन्न प्रकार के रूमेटिक रोगों में जहाँ कर्टिकोस्टेराईड तथा नान स्टेराइड दर्द नाशक दवाएं दी जाती हैं वहाँ अदरक का [[रस]] बहुत ही लाभ दायक है। अदरक कुष्ठ, [[पीलिया]], रक्त पित्त, ज्वर दाह रोग आदि में उपयोगी औषधि है। अदरक का रस पेट के लिए तो लाभकारी है ही साथ में शरीर की सूजन, पीलिया, मूत्र विकार, दमा, जलोदर आदि रोगों में भी लाभकारी है। इसके सेवन से वायु विकार नष्ट हो जाते हैं। बालों के लिए भी उपयोगी है। अदरक का रस रूसी को भी नियंत्रित करता है। अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।
  
 
;कैंसर प्रतिरोधी
 
;कैंसर प्रतिरोधी
इसमें एंटी-ओक्सिडेंट गुण भी होते है, इसके सेवन से कैंसर बचाव में सहायक एंजायम सक्रीय हो जाते है। इस गुण के कारण कैंसर से भी बचा जा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया कि अदरक पाउडर महिलाओं के गर्भाशय के डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) के कैंसर की कोशिकाओं में कैंसर कोशिका की मृत्यु कर देता है।  
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इसमें एंटी-ओक्सिडेंट गुण भी होते है, इसके सेवन से कैंसर बचाव में सहायक एंजाइम्स सक्रिय हो जाते है। इस गुण के कारण कैंसर से भी बचा जा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया कि अदरक पाउडर महिलाओं के गर्भाशय के डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) के कैंसर की कोशिकाओं में कैंसर कोशिका की मृत्यु कर देता है।  
  
 
;त्वचा को निखारे
 
;त्वचा को निखारे
अदरक त्वचा को आकर्षक व चमकदार बनाने में मदद करता है। सुबह ख़ाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाएं। इससे न केवल आपकी त्वचा में निखार आएगा बल्कि आप लंबे समय तक जवां दिखेंगे।
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अदरक त्वचा को आकर्षक व चमकदार बनाने में मदद करता है। सुबह ख़ाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाएं। इससे न केवल आपकी [[त्वचा]] में निखार आएगा बल्कि आप लंबे समय तक जवान दिखेंगे।
 
 
;मार्निग सिकनेस से निजात
 
अदरक गर्भवती महिलाओं को होने वाली मार्निग सिकनेस [चक्कर आना, उल्टियां होना आदि] निजात दिलाता है। मॉर्निंग सिकनेस को दूर करने में यह विटामिन बी 6 की तरह प्रभावशाली है।
 
  
 
;दर्द निवारक दवा  
 
;दर्द निवारक दवा  
बहुत कम लोग जानते हैं कि अदरक एक नेचरल पेन किलर है, इसलिए इसे आर्थराइटिस और दूसरी बीमारियों में उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अदरक दर्द भगाने की सबसे कारगर दवा है। 'फूड्स दैट फाइट पेन' पुस्तक के लेखक आर्थर नील बर्नार्ड के मुताबिक अदरक में दर्द मिटाने के प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के दर्दनिवारक दवा की तरह काम करता है। अदरक का अर्क मांसपेशियों की सूजन और दर्द कम कर देता है। और मांसपेशियों में दर्द, गठिया, सिर दर्द, माइग्रेन आदि अदरक का तेल की मालिश या अदरक का पेस्ट दर्द को कम कर के मांसपेशियों के दर्द और तनाव को कम करने में सहायक होता है।  
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बहुत कम लोग जानते हैं कि अदरक एक प्राकृतिक दर्द निवारक है, इसलिए इसे आर्थराइटिस और दूसरी बीमारियों में उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अदरक दर्द भगाने की सबसे कारगर दवा है। 'फूड्स दैट फाइट पेन' पुस्तक के लेखक आर्थर नील बर्नार्ड के मुताबिक़ अदरक में दर्द मिटाने के प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के दर्दनिवारक दवा की तरह काम करता है। अदरक का अर्क मांसपेशियों की सूजन और दर्द कम कर देता है। और मांसपेशियों में दर्द, गठिया, सिर दर्द, माइग्रेन आदि अदरक का तेल की मालिश या अदरक का पेस्ट दर्द को कम कर के मांसपेशियों के दर्द और तनाव को कम करने में सहायक होता है।  
 
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[[चित्र:Ginger.jpg|thumb|250px|left|अदरक]]
 
;पेट की समस्याओं में  
 
;पेट की समस्याओं में  
बदहजमी, पेट का दर्द, ऐंठन, दस्त, पेट फूलना और अन्य पेट और आंत्र समस्याओं में अदरक लाभकारी है। अदरक या अदरक का तेल अदरक की चाय भी पेट की समस्याओं में लाभकारी है। अदरक अपच के लिए और पाचन में सुधार करने में मदद करता है। इस का उपयोग भोजन की विषाक्तता के लिए आंत्र जीवाणु संक्रमण और पेचिश के उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है। अदरक की जड़ और इसका तेल मतली दस्त और उल्टी के ख़िलाफ़ भी प्रभावी होता है। अदरक का तेल चिंता अवसाद, मानसिक तनाव, थकान, चक्कर आना और बेचैनी को भी नियंत्रित करता है।
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बदहजमी, पेट का दर्द, ऐंठन, दस्त, पेट फूलना और अन्य पेट और [[आंत्र]] समस्याओं में अदरक लाभकारी है। अदरक या अदरक का तेल अदरक की चाय भी पेट की समस्याओं में लाभकारी है। अदरक अपच के लिए और [[पाचन]] में सुधार करने में मदद करता है। इस का उपयोग भोजन की विषाक्तता के लिए आंत्र जीवाणु संक्रमण और पेचिश के उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है। अदरक की जड़ और इसका तेल मतली दस्त और उल्टी के ख़िलाफ़ भी प्रभावी होता है। अदरक का तेल चिंता अवसाद, मानसिक तनाव, थकान, चक्कर आना और बेचैनी को भी नियंत्रित करता है।
  
 
;दिल की बीमारियों में
 
;दिल की बीमारियों में
दिल की बीमारियों का इलाज में अदरक के तेल का उपयोग करें। अदरक में प्रोस्टाग्लैंडिन एव थ्रोंबाक्सेन के निर्माण को कम करने की क्षमता है जिससे रक्त का थक्का जमने की आशंका कम हो जाती है। अत: कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित करने में अदरक बहुत ही उपयोगी है। दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉल को बॉडी में एब्जॉर्व होने से रोकता है। अदरक कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी और रक्त थक्के में अवरोध दिल स्ट्रोक की घटनाओं को कम करने में सहायक हो सकता है। गरिष्ठ भोजन करने से प्लेटलेट रक्त-कणों की चिपचिपाहट बढ़ जाती है। भोजन में रोज 10 ग्राम अदरक लेने से प्लेटलेट कणों के चिपचिपेपन पर रोक लगी रहती है। अदरक के उपयोग से उच्च रक्तचाप में सुधार और शरीर में रक्त के प्रवाह के संचालन को संतुलित करता है। साथ ही मसल्स और ब्लड वैसल्स को भी रिलैक्स मिलता है।  
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दिल की बीमारियों का इलाज में अदरक के तेल का उपयोग करें। अदरक में प्रोस्टाग्लैंडिन एव थ्रोंबाक्सेन के निर्माण को कम करने की क्षमता है जिससे [[रक्त]] का थक्का जमने की आशंका कम हो जाती है। अत: कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित करने में अदरक बहुत ही उपयोगी है। दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉल को शरीर में अवशोषित होने से रोकता है। अदरक कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी और रक्त थक्के में अवरोध दिल स्ट्रोक की घटनाओं को कम करने में सहायक हो सकता है। गरिष्ठ भोजन करने से प्लेटलेट रक्त-कणों की चिपचिपाहट बढ़ जाती है। भोजन में रोज 10 ग्राम अदरक लेने से प्लेटलेट कणों के चिपचिपेपन पर रोक लगी रहती है। अदरक के उपयोग से उच्च रक्तचाप में सुधार और शरीर में रक्त के प्रवाह के संचालन को संतुलित करता है। साथ ही [[माँसपेशियाँ|मांसपेशियाँ]] और [[रक्त वाहिनियाँ|रक्त वाहिनियों]] को भी आराम मिलता है।  
  
 
;सांस की समस्याओं में  
 
;सांस की समस्याओं में  
यह सांस और ब्रोंकाइटिस, अस्थमा में कारगर है। सांस की समस्याओं जैसे बलगम दूर करने में सर्दी, खांसी, फ्लू, गले और फेफड़ों अदरक बहुत प्रभावी है। इसलिए भारत में चाय के साथ अदरक डाला जाता है। शहद और अदरक का सांस की समस्याओं के उपचार में स्वास्थ्य लाभ को अच्छी तरह से जाना जाता है। अपनी गर्म तासीर की वजह से अदरक हमेशा से सर्दी-जुकाम की बेहतरीन दवाई मानी गई है। अगर आपको सर्दी या जुकाम की प्रॉब्लम है, तो आप इसे चाय में उबालकर या फिर सीधे शहद के साथ ले सकते हैं।  
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यह सांस और ब्रोंकाइटिस, अस्थमा में कारगर है। सांस की समस्याओं जैसे बलगम दूर करने में सर्दी, खांसी, फ्लू, गले और फेफड़ों अदरक बहुत प्रभावी है। इसलिए [[भारत]] में [[चाय]] के साथ अदरक डाला जाता है। [[शहद]] और अदरक का सांस की समस्याओं के उपचार में स्वास्थ्य लाभ को अच्छी तरह से जाना जाता है। अपनी गर्म तासीर की वजह से अदरक हमेशा से सर्दी-जुकाम की बेहतरीन दवाई मानी गई है। अगर आपको सर्दी या जुकाम की समस्या है, तो आप इसे चाय में उबालकर या फिर सीधे शहद के साथ ले सकते हैं।  
  
# अदरक की चाय — पांच ग्राम अदरक कूटकर पाव भर पानी में पकाएं। आधा पाव पानी रहने पर चाय की पत्ती, दूध और चीनी मिलाकर पीएं। यह कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है। पीने में यह स्वादिष्ट होती है।
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==अदरक के सामान्य प्रयोग==
# शाक, चटनी और अचार — अदरक छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें। कुछ छुआरे के टुकड़े, किशमिश, धनिया, जीरा, इलायची, सेंधा नमक, पुदीना और काली मिर्च को थोड़े पानी मिलाकर पीस लें। हल्की आंच पर पकाएं, बाद में नीबू का रस डालें। इसे भोजन के साथ या वैसे ही चाटें, यह भूख को जागृत करने वाला होता है।
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भोजन के पूर्व इसके टुकड़ों पर सेंधा नमक बुरककर खाने से जीभ और गला साफ़ होता है और भोजन के प्रति अरुचि मिटती है।
# अदरक का शर्बत — एक पाव मिश्री को आधा किलो पानी में डालकर चाशनी बना लें। फिर पाव भर अदरक के रस में पकाएं। एक तार की चाशनी रह जाने पर उसमें दो माशा असली केसर डालकर बोतल में भर लें। इसे छोटे बच्चों को भी पिलाया जा सकता है। सुबह सेवन करने पर यह भूख जागृत करता है और सर्दी-जुकाम, खांसी और श्वास के रोगियों के लिए फायदेमंद है। बच्चों में अपच, दस्त आदि में लाभदायक है।
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# अदरक की चाय — पांच ग्राम अदरक कूटकर पाव भर पानी में पकाएं। आधा पाव पानी रहने पर [[चाय]] की पत्ती, [[दूध]] और [[चीनी]] मिलाकर पीएं। यह कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है। पीने में यह स्वादिष्ट होती है।
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# शाक, चटनी और अचार— अदरक छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें। कुछ छुआरे के टुकड़े, किशमिश, [[धनिया]], [[जीरा]], [[इलायची]], सेंधा नमक, [[पुदीना]] और [[काली मिर्च]] को थोड़े पानी मिलाकर पीस लें। हल्की आंच पर पकाएं, बाद में [[नीबू]] का रस डालें। इसे भोजन के साथ या वैसे ही चाटें, यह भूख को जागृत करने वाला होता है।
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# अदरक का शर्बत — एक पाव मिश्री को आधा किलो पानी में डालकर चाशनी बना लें। फिर पाव भर अदरक के रस में पकाएं। एक तार की चाशनी रह जाने पर उसमें दो माशा असली [[केसर]] डालकर बोतल में भर लें। इसे छोटे बच्चों को भी पिलाया जा सकता है। सुबह सेवन करने पर यह भूख जागृत करता है और सर्दी-जुकाम, खांसी और श्वास के रोगियों के लिए फ़ायदेमंद है। बच्चों में अपच, दस्त आदि में लाभदायक है।
 
# जुकाम में — तीन ग्राम अदरक, पचास ग्राम काली मिर्च, छह ग्राम मिश्री को कूटकर एक कप पानी में ओटा लें व चौथाई कप रहने पर चाय की तरह गरम पीएं। ज्वर, वायरल फीवर, डेंगू व ऋतु परिवर्तन पर होने वाले बुखार, गले में खराश में अदरक का रस दो चम्मच और एक चम्मच शहद, सौंठ, काली मिर्च पीसकर मिलाएं और हल्का गरम कर चटाएं। शरीर दर्द, कफ, खांसी व इन्फ्लुएंजा में शीघ्र लाभ होगा।
 
# जुकाम में — तीन ग्राम अदरक, पचास ग्राम काली मिर्च, छह ग्राम मिश्री को कूटकर एक कप पानी में ओटा लें व चौथाई कप रहने पर चाय की तरह गरम पीएं। ज्वर, वायरल फीवर, डेंगू व ऋतु परिवर्तन पर होने वाले बुखार, गले में खराश में अदरक का रस दो चम्मच और एक चम्मच शहद, सौंठ, काली मिर्च पीसकर मिलाएं और हल्का गरम कर चटाएं। शरीर दर्द, कफ, खांसी व इन्फ्लुएंजा में शीघ्र लाभ होगा।
# जोड़ों के दर्द में — एक सेर अदरक का तेल व रस और आधा सेर तिल के तेल को स्टील के भगोने में मंदी आंच पर पकाएं। पानी के पूरे जल जाने पर तेल शेष रह जाएगा। इसे ठंडा होने दें और बोतल में भरकर रख लें। जोड़ो के दर्द में मालिश करते समय इसमें 10 ग्राम हींग और दस ग्राम नमक भी मिलाएं, दर्द में शीघ्र ही फायदा होगा।
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# जोड़ों के दर्द में — एक किलोग्राम अदरक का तेल व रस और आधा किलो तिल के तेल को स्टील के भगोने में मंदी आंच पर पकाएं। पानी के पूरे जल जाने पर तेल शेष रह जाएगा। इसे ठंडा होने दें और बोतल में भरकर रख लें। जोड़ो के दर्द में मालिश करते समय इसमें 10 ग्राम हींग और दस ग्राम [[नमक]] भी मिलाएं, दर्द में शीघ्र ही फ़ायदा होगा।<ref name="patrika"/>
  
 
===अदरक के औषधीय प्रयोग===
 
===अदरक के औषधीय प्रयोग===
# भोजन से पूर्व अदरक की कतरन में नमक डालकर खाने से खुलकर भूख लगती है, रुचि पैदा होती है, कफ व वायु के रोग नहीं होते एवं कंठ व जीभ की शुध्दि होती है।
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[[चित्र:Ginger-1.jpg|thumb|250px|अदरक]]
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# भोजन से पूर्व अदरक की कतरन में नमक डालकर खाने से खुलकर भूख लगती है, खाने में रुचि पैदा होती है, कफ व वायु के रोग नहीं होते एवं कंठ व जीभ की शुद्धि होती है।
 
# अदरक और प्याज का रस समान मात्रा में पीने से उल्टी (वमन) होना बंद हो जाता है।
 
# अदरक और प्याज का रस समान मात्रा में पीने से उल्टी (वमन) होना बंद हो जाता है।
 
# सर्दियों में अदरक को गुड़ में मिलाकर खाने से सर्दी कम लगती है तथा शरीर में गर्मी पैदा होती है। सर्दी लगकर होने वाली खांसी का कफ वाली खांसी की यह अचूक दवा है।
 
# सर्दियों में अदरक को गुड़ में मिलाकर खाने से सर्दी कम लगती है तथा शरीर में गर्मी पैदा होती है। सर्दी लगकर होने वाली खांसी का कफ वाली खांसी की यह अचूक दवा है।
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# सर्दी के कारण होने वाले दांत व दाढ़ के दर्द में अदरक के टुकड़े दबाकर रस चूसने से लाभ होता है।
 
# सर्दी के कारण होने वाले दांत व दाढ़ के दर्द में अदरक के टुकड़े दबाकर रस चूसने से लाभ होता है।
 
# एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर कुल्ले करने से मुंह से दुर्गंध आनी बंद हो जाती है।
 
# एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर कुल्ले करने से मुंह से दुर्गंध आनी बंद हो जाती है।
# सर्दी के कारण सिरदर्द हो तो सोंठ को घी या पानी में घिसकर सिर पर लेप करने से आराम मिलता है।
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# सर्दी के कारण सिरदर्द हो तो सोंठ को [[घी]] या पानी में घिसकर सिर पर लेप करने से आराम मिलता है।
# पेट दर्द में एक ग्राम पिसी हुई सोंठ, थोड़ी सी हींग और सेंधा नमक की फंकी गरम पानी के साथ लेने से फायदा होता है।
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# पेट दर्द में एक ग्राम पिसी हुई सोंठ, थोड़ी सी हींग और सेंधा नमक की फंकी गरम पानी के साथ लेने से फ़ायदा होता है।
 
# आधा कप उबलते हुए गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर एक-एक घंटे के अंतराल पर पीने से पानी की तरह हो रहे पतले दस्त पूरी तरह बंद हो जाते हैं।
 
# आधा कप उबलते हुए गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर एक-एक घंटे के अंतराल पर पीने से पानी की तरह हो रहे पतले दस्त पूरी तरह बंद हो जाते हैं।
# अदरक का रस और पानी बराबर मात्रा में पीने से हृदय रोग में लाभ होता है।
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# अदरक का रस और पानी बराबर मात्रा में पीने से [[हृदय]] रोग में लाभ होता है।
# सोंठ का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से अर्श (बवासीर) मस्से में लाभ होता है।
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# सोंठ का चूर्ण [[छाछ]] में मिलाकर पीने से अर्श ([[बवासीर]]) मस्से में लाभ होता है।
# पाचन की समस्या होने पर रोजाना सुबह अदरक का एक टुकड़ा खाएं। ऐसा करने से आपको बदहजमी नहीं होगी। इसके अलावा सीने की जलन दूर करने में भी अदरक मददगार साबित होता है।
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# [[पाचन]] की समस्या होने पर रोजाना सुबह अदरक का एक टुकड़ा खाएं। ऐसा करने से आपको बदहजमी नहीं होगी। इसके अलावा सीने की जलन दूर करने में भी अदरक मददगार साबित होता है।
# शरीर में वसा का स्तर कम करने में भी अदरक काफ़ी मददगार है।
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# शरीर में [[वसा]] का स्तर कम करने में भी अदरक काफ़ी मददगार है।
# यदि आपको खांसी के साथ कफ की भी शिकायत है तो रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिएं। यह प्रक्रिया क़रीब 15 दिनों तक अपनाएं। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा।
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# यदि आपको खांसी के साथ कफ की भी शिकायत है तो रात को सोते समय [[दूध]] में अदरक डालकर उबालकर पिएं। यह प्रक्रिया क़रीब 15 दिनों तक अपनाएं। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा।
 
# ताजे अदरक को पीसकर कप़ड़े में डाल लें और निचोड़कर रस निकालकर रोगी को पीने को दें।  
 
# ताजे अदरक को पीसकर कप़ड़े में डाल लें और निचोड़कर रस निकालकर रोगी को पीने को दें।  
# अदरक का काढ़ा व चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।  
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# अदरक का काढ़ा व चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है। काढ़ा बनाने के लिए सूखे अदरक का चूर्ण बनाकर 15 ग्राम (लगभग तीन चाय के चम्मच) एक प्याला पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिला दें।
# काढ़ा बनाने के लिए सूखे अदरक का चूर्ण बनाकर 15 ग्राम (लगभग तीन चाय के चम्मच) एक प्याला पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिला दें।
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# चूर्ण बनाने के लिए सौंठ की ऊपर की परत को छीलकर फेंक दें और शेष भाग को पीसकर चूर्ण बना लें। इसको यदि छान लिया जाए तो चूर्ण में रेशे अलग हो जाते हैं। उन्हें फेंक दें। यह चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोगी को खाने के लिए दिया जाता है। लेप बनाते या पीसते समय अदरक के साथ थोड़ा पानी मिला लें।  
# चूर्ण बनाने के लिए सौंठ की ऊपर की परत को छीलकर फेंक दें और शेष भाग को पीसकर चूर्ण बना लें। इसको यदि छान लिया जाए तो चूर्ण में रेशे अलग हो जाते हैं। उन्हें फेंक दें। यह चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोगी को खाने के लिए दिया जाता है।
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# ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों व पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन व दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है। लेप को यदि गर्म करके लगाया जाए तो इसका असर जल्दी होता है।
# लेप बनाते या पीसते समय अदरक के साथ थोड़ा पानी मिला लें।  
 
# ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों व पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन व दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है।  
 
# लेप को यदि गर्म करके लगाया जाए तो इसका असर जल्दी होता है।
 
 
# अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया क़रीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। इससे रोगी को खाँसी और कफ दोनों आराम भी महसूस होगा। रोगी को अदरक वाला दूध पिलाने के बाद पानी न पीने दें।  
 
# अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया क़रीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। इससे रोगी को खाँसी और कफ दोनों आराम भी महसूस होगा। रोगी को अदरक वाला दूध पिलाने के बाद पानी न पीने दें।  
 
# रोजमर्रा बनाई जाने वाली सब्जियों में अदरक का उपयोग अच्छा होता है। इससे शरीर के होने वाले वात रोगों से मुक्ति मिलती है।
 
# रोजमर्रा बनाई जाने वाली सब्जियों में अदरक का उपयोग अच्छा होता है। इससे शरीर के होने वाले वात रोगों से मुक्ति मिलती है।
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# जिन लोगों को आधी सीसी का दर्द हो वह एक नीम्बू का रस और आधा चम्मच अदरक का रस ले आराम मिलेगा।
 
# जिन लोगों को आधी सीसी का दर्द हो वह एक नीम्बू का रस और आधा चम्मच अदरक का रस ले आराम मिलेगा।
  
===हानिकारक प्रभाव===
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==हानिकारक प्रभाव==
जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो कुष्ठ, रक्तपित्त, पीलिया, ज्वर, घाव, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। खून की उल्टी होने पर गर्मी के मौसम में और खून की उल्टी होने पर अदरक का सेवन नहीं करना चाहिएपौ और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। अदरक एक दिन में पांच से दस ग्राम, सोंठ का चूर्ण एक से तीन ग्राम, रस पांच से दस से मिलीलीटर, रस और शर्बत दस से तीस मिलीलीटर तक ही सेवन करना चाहिए।   
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जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो और कुष्ठ, रक्तपित्त, पीलिया, ज्वर, घाव, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। ख़ून की उल्टी होने पर गर्मी के मौसम में और ख़ून की उल्टी होने पर अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। अदरक एक दिन में पांच से दस ग्राम, सोंठ का चूर्ण एक से तीन ग्राम, रस पांच से दस से मिलीलीटर, रस और शर्बत दस से तीस मिलीलीटर तक ही सेवन करना चाहिए।   
  
  
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{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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{{औषधीय पौधे}}
 
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10:07, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

अदरक

अदरक जिंजीबरेसी कुल का पौधा है। वनस्पति शास्त्र की भाषा में इसे जिंजिबर ऑफ़िसिनेल (Zingiber officinale) नाम दिया गया है। इस कुल में लगभग 47 जेनरा और 1150 जातियाँ (स्पीशीज़) पाई जाती हैं। इसका पौधा अधिकतर उष्णकटिबंधीय (ट्रापिकल्स) और शीतोष्ण कटिबंध (सबट्रापिकल) भागों में पाया जाता है। अदरक को अंग्रेज़ी में जिंजर, संस्कृत में आद्रक, हिंदी में अदरख, मराठी में आदा के नाम से जाना जाता है। गीले स्वरूप में इसे अदरक तो सूखने पर इसे सौंठ (शुष्ठी) कहते हैं। यह भारत में बंगाल, बिहार, चेन्नई, कोचीन, पंजाब और उत्तर प्रदेश में अधिक उत्पन्न होती है। अदरक का कोई बीज नहीं होता, इसके कंद के ही छोटे-छोटे टुकड़े ज़मीन में गाड़ दिए जाते हैं। यह एक पौधे की जड़ है। यह भारत में एक मसाले के रूप में प्रमुख है। अदरक का पौधा चीन, जापान, मसकराइन और प्रशांत महासागर के द्वीपों में भी मिलता है। इसके पौधे में सिमपोडियल राइजोम पाया जाता है।

अदरक के गुण

साधारण सी नजर आने वाली मटमैली गांठों वाली अदरक (Ginger) वाकई गुणों की खान है। इसका सेवन जुकाम-बुखार से लेकर जोड़ों के दर्द तक में तुरंत फ़ायदा देता है। शरीर सात धातुओं से बना हुआ है। सातों धातुओं (रक्त, रक्त-मांस, मेरू, मज्जा, अस्थि और सातवां धातु शुक्र या ओज) का निर्माण और इनमें संतुलन से ही शरीर स्वस्थ बना रहता है। सातवें धातु शुक्र अर्थात् ओज के निर्माण और शरीर के स्वस्थ बने रहने में अदरक का बहुत बड़ा योगदान होता है।[1]

दवा के रूप में

इसे रसोई के साथ-साथ दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। आप इसे फल-सब्जी मानें या फिर विलक्षण दवा कहें, अधिकतर घरों में अदरक का उपयोग तरह-तरह से किया जाता है। अदरक भोजन में मसाले के रूप में और ताजा अदरक अचार और चटनी सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। शरीर के स्वस्थ बने रहने में अदरक का बहुत बड़ा योगदान होता है। अदरक के फायदे अचूक हैं। अदरक के चिकित्सीय गुणों की जानकारी पुरातन चिकित्सा पद्धति में भी आसानी से देखी जा सकती है। अदरक न केवल मसाले के रूप में प्रयोग की जाती है बल्कि इसे हजारों वर्षों से भारतीय, अरबी व चीनी चिकित्सकों ने एक औषधि के रूप में स्वीकार किया है। आयुर्वेद के अनुसार अदरक गुरु, तीक्ष्ण, उष्णवीर्य, अग्नि प्रदीपक, कटु रसयुक्त, मल भेदक, भारी, गरम, उदराग्नि बढ़ाने वाला, विपाक में मधुर रसयुक्त, रूक्ष, वात-कफ नाशक होता है। बुजुर्गों की बात माने तो अदरक, हल्दी आदि औषधियों के सेवन से ठंड का समय स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। कमज़ोर जीवन शक्ति वाले लोग जुकाम, गले और फेफड़े से सम्बंधित रोगों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अदरक एक बेहतर दवा सिद्ध होती है। अदरक खाने के टेस्ट को बेहतर बनाने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है।

अदरक या सोंठ

सर्दी की दवा अदरक

अदरक को सदियों से सेहत की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके टुकड़ों पर सेंधा (काला) नमक और नींबू डाल कर खाने से जीभ और गला साफ़ होता है और भोजन के प्रति अरुचि मिटती है। हर रोज़ यदि भोजन से पहले अदरक का रस पीया जाए तो यह भोजन को पचा देता है और गले और जीभ के कैंसर से भी बचाता है। अदरक की चाय जुकाम, खांसी, कफ, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और यह स्वादिष्ट होती है। अदरक में जीवाणुओं के मारने के ठोस और कफ अवरोधी गुण पाए गए हैं। बड़ी आँत में पाए जाने वाली जीवाणु का बढ़ना रोक देता है जिसके कारण गैस से राहत मिलती है। अदरक द्वारा यह प्रकिया रोकने से एशकेरिया कोलाई, स्तेफाईलोकाकस, स्ट्रेप्टो काकस और साल्मोनेला जीवाणुओं के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। अदरक में किसी भी चीज़ को संरक्षित करने के गुण प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। अदरक को चिकित्सा क्षेत्र में दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।

‘सोंठ’ का उपयोग

कच्चे अदरक के अलावा इसके सूखे हुए रूप ‘सोंठ’ को भी उपयोग में लिया जाता है। इसे शहद में मिला कर लेना श्रेष्ठतम है। भोजन के एक महत्त्वपूर्ण अंग और औषधि, दोनों रूपों में अदरक या सोंठ का प्रयोग किया जाता है। सोंठ का उपयोग अदरक के अभाव में किया जाता है। वैसे तो स्वास्थ्य की दृष्टि से दोनों ही लाभदायक होते हैं, लेकिन सुखाने पर अदरक में मौजूद कई तैलीय तत्व नष्ट हो जाते हैं।

उपयोग

इसका पुष्प एक युग्मसंमित या असंमित इपिगाइनस होता है। यह औषधियों में प्रयुक्त होता है। इसका भूमिगत तना खाने के काम आता है। इसकी प्रकृति गरम होती है अत खाँसी, जुकाम जैसे रोगों में इसे चाय में डालकर प्रयोग किया जाता है। अदरक को सुखाकर सोंठ बनती है। यह पेट की बीमारियों को भी दूर करता है। सरदर्द में भी यह लाभकर सिद्ध होता है। इसे पीसकर मस्तक पर लगाने से सरदर्द लगभग ठीक हो जाता है। इसके राइजोम पर कवक की बीमारी पाई जाती है, जिसे ड्राइ राट कहते हैं।

पौष्टिक तत्व

अदरक में अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं- जैसे 100 ग्राम अदरक में कार्बोहाइड्रेट 12.3 ग्राम, प्रोटीन 24 ग्राम, वसा 0.8 ग्राम रेशा 2.50 ग्राम, कैल्शियम 20 मिलीग्राम, फास्फोरस 60 मि.ग्रा., आयरन 26 मि.ग्रा., विटामिन ए 40 आई.यू., नमी 80.9 ग्राम आदि तत्व पाए जाते हैं।

अदरक के स्वास्थ्य लाभ

अदरक का पौधा

अदरक रसोई घर या हर्बल दवाओं में भी पाया जाता है। विशिष्ट गुणों से भरपूर अदरक का इस्तेमाल कई बड़ी-छोटी बीमारियों में भी किया जाता है। यह कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है। औषधि के रूप में इसका प्रयोग गठिया, र्‌यूमेटिक आर्थराइटिस (आमवात, जोड़ों की बीमारियों) साइटिका और गर्दन व रीढ़ की हड्डियों की बीमारी (सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस) होने पर, भूख न लगना, मरोड़, अमीबिक पेचिश, खाँसी, जुकाम, दमा और शरीर में दर्द के साथ बुखार, कब्ज होना, कान में दर्द, उल्टियाँ होना, मोच आना, उदर शूल और मासिक धर्म में अनियमितता होना, एंटी-फंगल। इन सब रोगों में भी अदरक (सोंठ) को दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अदरक एक दर्द निवारक के रूप में भी पाया गया है। इस का प्रयोग दर्दनाक माहवारी, माइग्रेन, अपच और संक्रमण के लिए और अस्थमा के रूप में राहत प्रदान और जीवन शक्ति और दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। विभिन्न प्रकार के रूमेटिक रोगों में जहाँ कर्टिकोस्टेराईड तथा नान स्टेराइड दर्द नाशक दवाएं दी जाती हैं वहाँ अदरक का रस बहुत ही लाभ दायक है। अदरक कुष्ठ, पीलिया, रक्त पित्त, ज्वर दाह रोग आदि में उपयोगी औषधि है। अदरक का रस पेट के लिए तो लाभकारी है ही साथ में शरीर की सूजन, पीलिया, मूत्र विकार, दमा, जलोदर आदि रोगों में भी लाभकारी है। इसके सेवन से वायु विकार नष्ट हो जाते हैं। बालों के लिए भी उपयोगी है। अदरक का रस रूसी को भी नियंत्रित करता है। अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।

कैंसर प्रतिरोधी

इसमें एंटी-ओक्सिडेंट गुण भी होते है, इसके सेवन से कैंसर बचाव में सहायक एंजाइम्स सक्रिय हो जाते है। इस गुण के कारण कैंसर से भी बचा जा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया कि अदरक पाउडर महिलाओं के गर्भाशय के डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) के कैंसर की कोशिकाओं में कैंसर कोशिका की मृत्यु कर देता है।

त्वचा को निखारे

अदरक त्वचा को आकर्षक व चमकदार बनाने में मदद करता है। सुबह ख़ाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाएं। इससे न केवल आपकी त्वचा में निखार आएगा बल्कि आप लंबे समय तक जवान दिखेंगे।

दर्द निवारक दवा

बहुत कम लोग जानते हैं कि अदरक एक प्राकृतिक दर्द निवारक है, इसलिए इसे आर्थराइटिस और दूसरी बीमारियों में उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अदरक दर्द भगाने की सबसे कारगर दवा है। 'फूड्स दैट फाइट पेन' पुस्तक के लेखक आर्थर नील बर्नार्ड के मुताबिक़ अदरक में दर्द मिटाने के प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के दर्दनिवारक दवा की तरह काम करता है। अदरक का अर्क मांसपेशियों की सूजन और दर्द कम कर देता है। और मांसपेशियों में दर्द, गठिया, सिर दर्द, माइग्रेन आदि अदरक का तेल की मालिश या अदरक का पेस्ट दर्द को कम कर के मांसपेशियों के दर्द और तनाव को कम करने में सहायक होता है।

अदरक
पेट की समस्याओं में

बदहजमी, पेट का दर्द, ऐंठन, दस्त, पेट फूलना और अन्य पेट और आंत्र समस्याओं में अदरक लाभकारी है। अदरक या अदरक का तेल अदरक की चाय भी पेट की समस्याओं में लाभकारी है। अदरक अपच के लिए और पाचन में सुधार करने में मदद करता है। इस का उपयोग भोजन की विषाक्तता के लिए आंत्र जीवाणु संक्रमण और पेचिश के उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है। अदरक की जड़ और इसका तेल मतली दस्त और उल्टी के ख़िलाफ़ भी प्रभावी होता है। अदरक का तेल चिंता अवसाद, मानसिक तनाव, थकान, चक्कर आना और बेचैनी को भी नियंत्रित करता है।

दिल की बीमारियों में

दिल की बीमारियों का इलाज में अदरक के तेल का उपयोग करें। अदरक में प्रोस्टाग्लैंडिन एव थ्रोंबाक्सेन के निर्माण को कम करने की क्षमता है जिससे रक्त का थक्का जमने की आशंका कम हो जाती है। अत: कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित करने में अदरक बहुत ही उपयोगी है। दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉल को शरीर में अवशोषित होने से रोकता है। अदरक कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी और रक्त थक्के में अवरोध दिल स्ट्रोक की घटनाओं को कम करने में सहायक हो सकता है। गरिष्ठ भोजन करने से प्लेटलेट रक्त-कणों की चिपचिपाहट बढ़ जाती है। भोजन में रोज 10 ग्राम अदरक लेने से प्लेटलेट कणों के चिपचिपेपन पर रोक लगी रहती है। अदरक के उपयोग से उच्च रक्तचाप में सुधार और शरीर में रक्त के प्रवाह के संचालन को संतुलित करता है। साथ ही मांसपेशियाँ और रक्त वाहिनियों को भी आराम मिलता है।

सांस की समस्याओं में

यह सांस और ब्रोंकाइटिस, अस्थमा में कारगर है। सांस की समस्याओं जैसे बलगम दूर करने में सर्दी, खांसी, फ्लू, गले और फेफड़ों अदरक बहुत प्रभावी है। इसलिए भारत में चाय के साथ अदरक डाला जाता है। शहद और अदरक का सांस की समस्याओं के उपचार में स्वास्थ्य लाभ को अच्छी तरह से जाना जाता है। अपनी गर्म तासीर की वजह से अदरक हमेशा से सर्दी-जुकाम की बेहतरीन दवाई मानी गई है। अगर आपको सर्दी या जुकाम की समस्या है, तो आप इसे चाय में उबालकर या फिर सीधे शहद के साथ ले सकते हैं।

अदरक के सामान्य प्रयोग

भोजन के पूर्व इसके टुकड़ों पर सेंधा नमक बुरककर खाने से जीभ और गला साफ़ होता है और भोजन के प्रति अरुचि मिटती है।

  1. अदरक की चाय — पांच ग्राम अदरक कूटकर पाव भर पानी में पकाएं। आधा पाव पानी रहने पर चाय की पत्ती, दूध और चीनी मिलाकर पीएं। यह कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है। पीने में यह स्वादिष्ट होती है।
  2. शाक, चटनी और अचार— अदरक छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें। कुछ छुआरे के टुकड़े, किशमिश, धनिया, जीरा, इलायची, सेंधा नमक, पुदीना और काली मिर्च को थोड़े पानी मिलाकर पीस लें। हल्की आंच पर पकाएं, बाद में नीबू का रस डालें। इसे भोजन के साथ या वैसे ही चाटें, यह भूख को जागृत करने वाला होता है।
  3. अदरक का शर्बत — एक पाव मिश्री को आधा किलो पानी में डालकर चाशनी बना लें। फिर पाव भर अदरक के रस में पकाएं। एक तार की चाशनी रह जाने पर उसमें दो माशा असली केसर डालकर बोतल में भर लें। इसे छोटे बच्चों को भी पिलाया जा सकता है। सुबह सेवन करने पर यह भूख जागृत करता है और सर्दी-जुकाम, खांसी और श्वास के रोगियों के लिए फ़ायदेमंद है। बच्चों में अपच, दस्त आदि में लाभदायक है।
  4. जुकाम में — तीन ग्राम अदरक, पचास ग्राम काली मिर्च, छह ग्राम मिश्री को कूटकर एक कप पानी में ओटा लें व चौथाई कप रहने पर चाय की तरह गरम पीएं। ज्वर, वायरल फीवर, डेंगू व ऋतु परिवर्तन पर होने वाले बुखार, गले में खराश में अदरक का रस दो चम्मच और एक चम्मच शहद, सौंठ, काली मिर्च पीसकर मिलाएं और हल्का गरम कर चटाएं। शरीर दर्द, कफ, खांसी व इन्फ्लुएंजा में शीघ्र लाभ होगा।
  5. जोड़ों के दर्द में — एक किलोग्राम अदरक का तेल व रस और आधा किलो तिल के तेल को स्टील के भगोने में मंदी आंच पर पकाएं। पानी के पूरे जल जाने पर तेल शेष रह जाएगा। इसे ठंडा होने दें और बोतल में भरकर रख लें। जोड़ो के दर्द में मालिश करते समय इसमें 10 ग्राम हींग और दस ग्राम नमक भी मिलाएं, दर्द में शीघ्र ही फ़ायदा होगा।[1]

अदरक के औषधीय प्रयोग

अदरक
  1. भोजन से पूर्व अदरक की कतरन में नमक डालकर खाने से खुलकर भूख लगती है, खाने में रुचि पैदा होती है, कफ व वायु के रोग नहीं होते एवं कंठ व जीभ की शुद्धि होती है।
  2. अदरक और प्याज का रस समान मात्रा में पीने से उल्टी (वमन) होना बंद हो जाता है।
  3. सर्दियों में अदरक को गुड़ में मिलाकर खाने से सर्दी कम लगती है तथा शरीर में गर्मी पैदा होती है। सर्दी लगकर होने वाली खांसी का कफ वाली खांसी की यह अचूक दवा है।
  4. अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े मुंह में रखकर चूसने से हिचकियां आनी बंद हो जाती हैं।
  5. सर्दी के कारण होने वाले दांत व दाढ़ के दर्द में अदरक के टुकड़े दबाकर रस चूसने से लाभ होता है।
  6. एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर कुल्ले करने से मुंह से दुर्गंध आनी बंद हो जाती है।
  7. सर्दी के कारण सिरदर्द हो तो सोंठ को घी या पानी में घिसकर सिर पर लेप करने से आराम मिलता है।
  8. पेट दर्द में एक ग्राम पिसी हुई सोंठ, थोड़ी सी हींग और सेंधा नमक की फंकी गरम पानी के साथ लेने से फ़ायदा होता है।
  9. आधा कप उबलते हुए गरम पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर एक-एक घंटे के अंतराल पर पीने से पानी की तरह हो रहे पतले दस्त पूरी तरह बंद हो जाते हैं।
  10. अदरक का रस और पानी बराबर मात्रा में पीने से हृदय रोग में लाभ होता है।
  11. सोंठ का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से अर्श (बवासीर) मस्से में लाभ होता है।
  12. पाचन की समस्या होने पर रोजाना सुबह अदरक का एक टुकड़ा खाएं। ऐसा करने से आपको बदहजमी नहीं होगी। इसके अलावा सीने की जलन दूर करने में भी अदरक मददगार साबित होता है।
  13. शरीर में वसा का स्तर कम करने में भी अदरक काफ़ी मददगार है।
  14. यदि आपको खांसी के साथ कफ की भी शिकायत है तो रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिएं। यह प्रक्रिया क़रीब 15 दिनों तक अपनाएं। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा।
  15. ताजे अदरक को पीसकर कप़ड़े में डाल लें और निचोड़कर रस निकालकर रोगी को पीने को दें।
  16. अदरक का काढ़ा व चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है। काढ़ा बनाने के लिए सूखे अदरक का चूर्ण बनाकर 15 ग्राम (लगभग तीन चाय के चम्मच) एक प्याला पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिला दें।
  17. चूर्ण बनाने के लिए सौंठ की ऊपर की परत को छीलकर फेंक दें और शेष भाग को पीसकर चूर्ण बना लें। इसको यदि छान लिया जाए तो चूर्ण में रेशे अलग हो जाते हैं। उन्हें फेंक दें। यह चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोगी को खाने के लिए दिया जाता है। लेप बनाते या पीसते समय अदरक के साथ थोड़ा पानी मिला लें।
  18. ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों व पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन व दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है। लेप को यदि गर्म करके लगाया जाए तो इसका असर जल्दी होता है।
  19. अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया क़रीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। इससे रोगी को खाँसी और कफ दोनों आराम भी महसूस होगा। रोगी को अदरक वाला दूध पिलाने के बाद पानी न पीने दें।
  20. रोजमर्रा बनाई जाने वाली सब्जियों में अदरक का उपयोग अच्छा होता है। इससे शरीर के होने वाले वात रोगों से मुक्ति मिलती है।
  21. शरीर के विषैले तत्व और पेट के कीडों को भी खत्म करने में अदरक का रस अभूत पूर्व कार्य करता है।
  22. अदरक और शहद का रस बराबर मात्रा में लेने से आराम मिलता है।
  23. जिन लोगों को आधी सीसी का दर्द हो वह एक नीम्बू का रस और आधा चम्मच अदरक का रस ले आराम मिलेगा।

हानिकारक प्रभाव

जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो और कुष्ठ, रक्तपित्त, पीलिया, ज्वर, घाव, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। ख़ून की उल्टी होने पर गर्मी के मौसम में और ख़ून की उल्टी होने पर अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। अदरक एक दिन में पांच से दस ग्राम, सोंठ का चूर्ण एक से तीन ग्राम, रस पांच से दस से मिलीलीटर, रस और शर्बत दस से तीस मिलीलीटर तक ही सेवन करना चाहिए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 सर्दी की दवा अदरक (हिन्दी) (ए.एस.पी) पत्रिका डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 12 दिसंबर, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

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