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'''अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''International Day of Disabled Persons'') [[3 दिसम्बर]] को मनाया जाता है। दुनिया में आज हज़ारों- लाखों व्यक्ति विकलांगता का शिकार है। विकलांगता अभिशाप नहीं है क्योंकि शारीरिक अभावों को यदि प्रेरणा बना लिया जाये तो विकलांगता व्यक्तित्व विकास में सहायक हो जाती है। मेडम केलर कहती है कि विकलांगता हमारा प्रत्यक्षण है, देखने का तरीक़ा है। यदि सकारात्मक रहा जाये तो अभाव भी विशेषता बन जाते हैं। विकलांगता से ग्रस्त लोगों को मजाक बनाना, उन्हें कमज़ोर समझना और उनको दुसरो पर आश्रित समझना एक भूल और सामाजिक रूप से एक गैर जिम्मेदराना व्यव्हार है। हम इस बात को समझे कि उनका जीवन भी हमारी तरह है और वे अपनी कमज़ोरियों के साथ उठ सकते है। पंडित श्रीराम शर्मा जी ने एक सूत्र दिया है, ''किसी को कुछ देना है तो सबसे उत्तम है कि आत्म विश्वास जगाने वाला उत्साह व प्रोत्साहन दें।" पिछले दिनों [[भारत]] के वीर धवल खाडे ने विकलांगता के बावजूद [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में भारत को तैराकी का स्वर्ण जीता था। आपके आस पास ही कुछ ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्होंने अपनी विकलांगता के बाद भी बहुत से कौशल अर्जित किये है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक हाकिंस भी कृत्रिम यंत्रों के सहारे सुनते, पढ़ते है, लेकिन आज वह [[भौतिक विज्ञान]] के क्षेत्र में दुनिया के सबसे श्रेष्ठ वैज्ञानिक माने जाते हैं। दुनिया में अनेकों ऐसे उदाहरण मिलेंगे, जो बताते है कि सही राह मिल जाये तो अभाव एक विशेषता बनकर सबको चमत्कृत कर देती है।  
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'''अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''International Day of Disabled Persons'') [[3 दिसम्बर]] को मनाया जाता है। यह दिवस शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को देश की मुख्य धारा में लाने के लिए मनाया जाता है। वर्ष 2013 हेतु अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस का थीम- “बंधनों को तोड़ो, दरवाज़ों को खोलो- सभी का विकास समावेशी समाज में” था।
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==उद्देश्य==
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अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस का उद्देश्य आधुनिक समाज में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ हो रहे भेद-भाव को समाप्त किया जाना है। इस भेद-भाव में समाज और व्यक्ति दोनों की भूमिका रेखांकित होती रही है। [[भारत सरकार]] द्वारा किये गए प्रयास में, सरकारी सेवा में आरक्षण देना, योजनाओं में विकलांगो की भागीदारी को प्रमुखता देना, आदि को शामिल किया जाता रहा है।
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==मुख्य बिंदु==
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* सयुंक्त राष्ट्र संघ ने [[3 दिसंबर]] [[1991]] से प्रतिवर्ष अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस को मनाने की स्वीकृति प्रदान की थी।
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* सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस के रूप में घोषित किया था।
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* सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने सयुंक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर वर्ष 1983-92 को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस दशक घोषित किया था।
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* [[भारत]] में विकलांगों से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आधीन होता है।
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* संगम योजना का संबंध भारत में विकलांगों से संबंधित है।<ref>{{cite web |url=http://www.jagranjosh.com/current-affairs/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%AD%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A4%BE-1386147380-2 |title= अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस विश्वभर में मनाया गया|accessmonthday=16 मार्च |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जोश |language= हिंदी}}</ref>
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==समाज को संदेश==
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दुनिया में आज हज़ारों- लाखों व्यक्ति विकलांगता का शिकार है। विकलांगता अभिशाप नहीं है क्योंकि शारीरिक अभावों को यदि प्रेरणा बना लिया जाये तो विकलांगता व्यक्तित्व विकास में सहायक हो जाती है। मेडम केलर कहती है कि विकलांगता हमारा प्रत्यक्षण है, देखने का तरीक़ा है। यदि सकारात्मक रहा जाये तो अभाव भी विशेषता बन जाते हैं। विकलांगता से ग्रस्त लोगों को मजाक बनाना, उन्हें कमज़ोर समझना और उनको दूसरों पर आश्रित समझना एक भूल और सामाजिक रूप से एक गैर जिम्मेदराना व्यवहार है। हम इस बात को समझे कि उनका जीवन भी हमारी तरह है और वे अपनी कमज़ोरियों के साथ उठ सकते है। पंडित श्रीराम शर्मा जी ने एक सूत्र दिया है, किसी को कुछ देना है तो सबसे उत्तम है कि आत्म विश्वास जगाने वाला उत्साह व प्रोत्साहन दें। [[भारत]] के वीर धवल खाडे ने विकलांगता के बावजूद [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में भारत को तैराकी का स्वर्ण जीता था। आपके आस पास ही कुछ ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्होंने अपनी विकलांगता के बाद भी बहुत से कौशल अर्जित किये है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक हाकिंस भी कृत्रिम यंत्रों के सहारे सुनते, पढ़ते है, लेकिन आज वह [[भौतिक विज्ञान]] के क्षेत्र में दुनिया के सबसे श्रेष्ठ वैज्ञानिक माने जाते हैं। दुनिया में अनेकों ऐसे उदाहरण मिलेंगे, जो बताते है कि सही राह मिल जाये तो अभाव एक विशेषता बनकर सबको चमत्कृत कर देती है।  
 
==भारत में विकलांगता==
 
==भारत में विकलांगता==
 
[[भारत]] विकासशील देशों की गिनती में आता है। [[विज्ञान]] के इस युग में हमने कई ऊंचाइयों को छुआ है। लेकिन आज भी हमारे देश, हमारे समाज में कई लोग है जो हीन दृष्टी झेलने को मजबूर है। वो लोग जो किसी दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा का शिकार हो जाते है अथवा जो जन्म से ही विकलांग होते है, समाज भी उन्हें हीन दृष्टि से देखता है। जबकि ये लोग सहायता एवं सहानुभूति के योग्य होते है। विश्व विकलांग दिवस पर कई तरह के आयोजन किये जाते है, रैलियां निकाली जाती है, विभिन्न कार्यक्रम किये जाते हैं लेकिन कुछ समय बाद ये सब भुला दिया जाता है, लोग अपने-अपने कामों में लग जाते है और विकलांग-जन एक बार फिर हताश हो जाते है। विकलांगता शारीरिक अथवा मानसिक हो सकती है किन्तु सबसे बड़ी विकलांगता हमारे समाज की उस सोच में है जो विकलांग-जनों से हीन भाव रखती है और जिसके कारण एक असक्षम व्यक्ति असहज महसूस करता है।<ref>{{cite web |url=http://www.bhaiyyudada.org/blog/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8.html |title=विश्व विकलांग दिवस |accessmonthday=16 मार्च |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=Bhaiyyudada blog |language=हिंदी }}</ref>
 
[[भारत]] विकासशील देशों की गिनती में आता है। [[विज्ञान]] के इस युग में हमने कई ऊंचाइयों को छुआ है। लेकिन आज भी हमारे देश, हमारे समाज में कई लोग है जो हीन दृष्टी झेलने को मजबूर है। वो लोग जो किसी दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा का शिकार हो जाते है अथवा जो जन्म से ही विकलांग होते है, समाज भी उन्हें हीन दृष्टि से देखता है। जबकि ये लोग सहायता एवं सहानुभूति के योग्य होते है। विश्व विकलांग दिवस पर कई तरह के आयोजन किये जाते है, रैलियां निकाली जाती है, विभिन्न कार्यक्रम किये जाते हैं लेकिन कुछ समय बाद ये सब भुला दिया जाता है, लोग अपने-अपने कामों में लग जाते है और विकलांग-जन एक बार फिर हताश हो जाते है। विकलांगता शारीरिक अथवा मानसिक हो सकती है किन्तु सबसे बड़ी विकलांगता हमारे समाज की उस सोच में है जो विकलांग-जनों से हीन भाव रखती है और जिसके कारण एक असक्षम व्यक्ति असहज महसूस करता है।<ref>{{cite web |url=http://www.bhaiyyudada.org/blog/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8.html |title=विश्व विकलांग दिवस |accessmonthday=16 मार्च |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=Bhaiyyudada blog |language=हिंदी }}</ref>
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.niticentral.com/hindi/2013/12/03/hardships-prove-milestones-from-them-164082.html विकलांगता पर भारी जीने का जज्बा ( आज विश्व विकलांगता दिवस) ]
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*[http://www.onlymyhealth.com/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-1291368658 विश्व विकलांग दिवस]
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*[http://hindi.pardaphash.com/news/691487/691487.html विश्व विकलांग दिवस पर एक विशेष रिपोर्ट]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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08:06, 16 मार्च 2014 का अवतरण

अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस
अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस का प्रतीक चिह्न
विवरण अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस का उद्देश्य आधुनिक समाज में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ हो रहे भेद-भाव को समाप्त किया जाना है।
तिथि 3 दिसम्बर
स्वीकृति सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 3 दिसंबर 1991 से प्रतिवर्ष अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस को मनाने की स्वीकृति प्रदान की थी।
अन्य जानकारी प्रसिद्ध वैज्ञानिक हाकिंस भी कृत्रिम यंत्रों के सहारे सुनते, पढ़ते थे, लेकिन आज वह भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के सबसे श्रेष्ठ वैज्ञानिक माने जाते हैं।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट

अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस (अंग्रेज़ी: International Day of Disabled Persons) 3 दिसम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को देश की मुख्य धारा में लाने के लिए मनाया जाता है। वर्ष 2013 हेतु अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस का थीम- “बंधनों को तोड़ो, दरवाज़ों को खोलो- सभी का विकास समावेशी समाज में” था।

उद्देश्य

अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस का उद्देश्य आधुनिक समाज में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ हो रहे भेद-भाव को समाप्त किया जाना है। इस भेद-भाव में समाज और व्यक्ति दोनों की भूमिका रेखांकित होती रही है। भारत सरकार द्वारा किये गए प्रयास में, सरकारी सेवा में आरक्षण देना, योजनाओं में विकलांगो की भागीदारी को प्रमुखता देना, आदि को शामिल किया जाता रहा है।

मुख्य बिंदु

  • सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 3 दिसंबर 1991 से प्रतिवर्ष अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस को मनाने की स्वीकृति प्रदान की थी।
  • सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस के रूप में घोषित किया था।
  • सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने सयुंक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर वर्ष 1983-92 को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस दशक घोषित किया था।
  • भारत में विकलांगों से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आधीन होता है।
  • संगम योजना का संबंध भारत में विकलांगों से संबंधित है।[1]

समाज को संदेश

दुनिया में आज हज़ारों- लाखों व्यक्ति विकलांगता का शिकार है। विकलांगता अभिशाप नहीं है क्योंकि शारीरिक अभावों को यदि प्रेरणा बना लिया जाये तो विकलांगता व्यक्तित्व विकास में सहायक हो जाती है। मेडम केलर कहती है कि विकलांगता हमारा प्रत्यक्षण है, देखने का तरीक़ा है। यदि सकारात्मक रहा जाये तो अभाव भी विशेषता बन जाते हैं। विकलांगता से ग्रस्त लोगों को मजाक बनाना, उन्हें कमज़ोर समझना और उनको दूसरों पर आश्रित समझना एक भूल और सामाजिक रूप से एक गैर जिम्मेदराना व्यवहार है। हम इस बात को समझे कि उनका जीवन भी हमारी तरह है और वे अपनी कमज़ोरियों के साथ उठ सकते है। पंडित श्रीराम शर्मा जी ने एक सूत्र दिया है, किसी को कुछ देना है तो सबसे उत्तम है कि आत्म विश्वास जगाने वाला उत्साह व प्रोत्साहन दें। भारत के वीर धवल खाडे ने विकलांगता के बावजूद राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को तैराकी का स्वर्ण जीता था। आपके आस पास ही कुछ ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्होंने अपनी विकलांगता के बाद भी बहुत से कौशल अर्जित किये है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक हाकिंस भी कृत्रिम यंत्रों के सहारे सुनते, पढ़ते है, लेकिन आज वह भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के सबसे श्रेष्ठ वैज्ञानिक माने जाते हैं। दुनिया में अनेकों ऐसे उदाहरण मिलेंगे, जो बताते है कि सही राह मिल जाये तो अभाव एक विशेषता बनकर सबको चमत्कृत कर देती है।

भारत में विकलांगता

भारत विकासशील देशों की गिनती में आता है। विज्ञान के इस युग में हमने कई ऊंचाइयों को छुआ है। लेकिन आज भी हमारे देश, हमारे समाज में कई लोग है जो हीन दृष्टी झेलने को मजबूर है। वो लोग जो किसी दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा का शिकार हो जाते है अथवा जो जन्म से ही विकलांग होते है, समाज भी उन्हें हीन दृष्टि से देखता है। जबकि ये लोग सहायता एवं सहानुभूति के योग्य होते है। विश्व विकलांग दिवस पर कई तरह के आयोजन किये जाते है, रैलियां निकाली जाती है, विभिन्न कार्यक्रम किये जाते हैं लेकिन कुछ समय बाद ये सब भुला दिया जाता है, लोग अपने-अपने कामों में लग जाते है और विकलांग-जन एक बार फिर हताश हो जाते है। विकलांगता शारीरिक अथवा मानसिक हो सकती है किन्तु सबसे बड़ी विकलांगता हमारे समाज की उस सोच में है जो विकलांग-जनों से हीन भाव रखती है और जिसके कारण एक असक्षम व्यक्ति असहज महसूस करता है।[2]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस विश्वभर में मनाया गया (हिंदी) जागरण जोश। अभिगमन तिथि: 16 मार्च, 2014।
  2. विश्व विकलांग दिवस (हिंदी) Bhaiyyudada blog। अभिगमन तिथि: 16 मार्च, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख