श्रेणी:बालकाण्ड
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- कनक थार भरि मंगलन्हि
- कपट नारि बर बेष बनाई
- कपट बिप्र बर बेष बनाएँ
- कपट बोरि बानी मृदल
- कपि आकृति तुम्ह कीन्हि हमारी
- कपिपति रीछ निसाचर राजा
- कबि कोबिद रघुबर
- कबि न होउँ नहिं चतुर कहावउँ
- कबिकुल वनु पावन जानी
- कबित बिबेक एक नहिं मोरें
- कबित रसिक न राम पद नेहू
- कर जोरि जनकु बहोरि
- कर त्रिसूल अरु डमरु बिराजा
- करत बतकही अनुज सन
- करतल बान धनुष अति सोहा
- करन चहउँ रघुपति गुन गाहा
- करब सदा लरिकन्ह पर छोहू
- करम धरम इतिहास अनेका
- करम लिखा जौं बाउर नाहू
- करहि जाइ तपु सैलकुमारी
- करहिं अनीति जाइ नहिं बरनी
- करहिं अहार साक फल कंदा
- करहिं आरती बारहिं बारा
- करहिं कूटि नारदहि सुनाई
- करहिं गान बहु तान तरंगा
- करहिं जोग जोगी जेहि लागी
- करहिं बिबिध बिधि भोग बिलासा
- करि आरति नेवछावरि करहीं
- करि छलु मूढ़ हरी बैदेही
- करि न जाइ सर मज्जन पाना
- करि पूजा नैबेद्य चढ़ावा
- करि पूजा भूपति अस भाषा
- करि प्रनाम रामहि त्रिपुरारी
- करि प्रनामु तिन्ह पाती दीन्ही
- करि प्रनामु पूजा कर जोरी
- करि बर बिनय ससुर सनमाने
- करि बिनती निज कथा सुनाई
- करि बिनती पद गहि दससीसा
- करि बिनय सिय रामहि
- करि भोजनु मुनिबर बिग्यानी
- करि मुनि चरन सरोज प्रनामा
- करेहु सदा संकर पद पूजा
- करौं काह मुख एक प्रसंसा
- करौं जाइ सोइ जतन बिचारी
- कलपभेद हरिचरित सुहाए
- कलि बिलोकि जग हित हर गिरिजा
- कलित करिबरन्हि परीं अँबारीं
- कस कीन्ह बरु बौराह
- कस्यप अदिति तहाँ पितु माता
- कस्यप अदिति महातप कीन्हा
- कह तापस नृप ऐसेइ होऊ
- कह दुइ कर जोरी अस्तुति
- कह नृप जे बिग्यान निधाना
- कह मुनि बिहसि गूढ़ मृदु बानी
- कह मुनि राम जाइ रिस कैसें
- कह मुनि सुनु नरनाथ प्रबीना
- कह मुनीस हिमवंत सुनु
- कह सिव जदपि उचित अस नाहीं
- कहँ कुंभज कहँ सिंधु अपारा
- कहउँ कथा सोइ सुखद सुहाई
- कहउँ राम गुन गाथ
- कहउँ सो मति अनुहारि
- कहत चले पहिरें पट नाना
- कहत राम जसु बिसद बिसाला
- कहत सुनत रघुपति गुन गाथा
- कहत सुनत सुमिरत सुठि नीके
- कहहिं ते बेद असंमत बानी
- कहहिं परसपर कोकिलबयनीं
- कहहिं परसपर बचन सप्रीती
- कहहिं परस्पर नारि बारि
- कहहिं बसिष्टु धरम इतिहासा
- कहहिं सुनहिं अस अधम
- कहहु कवन सुखु अस बरु पाएँ
- कहहु काहि यहु लाभु न भावा
- कहहु नाथ सुंदर दोउ बालक
- कहहु सखी अस को तनु धारी
- कहा एक मैं आजु निहारे
- कहा हमार न सुनेहु
- कहि अस ब्रह्मभवन मुनि गयऊ
- कहि जय जय जय रघुकुलकेतू
- कहि देखा हर जतन
- कहि न जाइ कछु हृदय गलानी
- कहि न सकत रघुबीर
- कहि न सकहिं सत सारद सेसू
- कहि मृदु बचन बिनीत
- कहिअ काह कहि जाइ न बाता
- कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा
- कहेहु नीक मोरेहूँ मन भावा
- का बरषा सब कृषी सुखानें
- काचे घट जिमि डारौं फोरी
- कानन्हि कनक फूल छबि देहीं
- काम कला कछु मुनिहि न ब्यापी
- काम कुसुम धनु सायक लीन्हे
- काम कोटि छबि स्याम सरीरा
- काम कोह कलिमल करिगन के
- काम कोह मद मोह नसावन
- काम चरित नारद सब भाषे
- कामरूप खल जिनस अनेका
- कामरूप जानहिं सब माया
- कामरूप सुंदर तन धारी
- कारन कवन श्राप मुनि दीन्हा
- काल कवलु होइहि छन माहीं
- काल पाइ मुनि सुनु सोइ राजा
- कालकेतु निसिचर तहँ आवा
- कासीं मरत जंतु अवलोकी
- काहुँ न लखा सो चरित बिसेषा
- किंनर नाग सिद्ध गंधर्बा
- किंनर सिद्ध मनुज सुर नागा
- किए भृंग बहुरंग बिहंगा
- किएहुँ कुबेषु साधु सनमानू
- कीन्ह कवन पन कहहु कृपाला
- कीन्ह प्रनामु चरन धरि माथा
- कीन्ह बिबिध तप तीनिहुँ भाई
- कीन्हि प्रस्न जेहि भाँति भवानी
- कीन्हि सौच सब सहज
- कीन्हें प्राकृत जन गुन गाना
- कीरति भनिति भूति भलि सोई
- कीरति सरित छहूँ रितु रूरी
- कुंजर मनि कंठा कलित
- कुंडल मकर मुकुट सिर भ्राजा
- कुंद इंदु सम देह
- कुअँरि मनोहर बिजय
- कुअँरु कुअँरि कल भावँरि देहीं
- कुपथ कुतरक कुचालि
- कुपथ माग रुज ब्याकुल रोगी
- कुमुख अकंपन कुलिसरद
- कुमुदबंधु कर निंदक हाँसा
- कुल रीति प्रीति समेत
- कुल समेत रिपु मूल बहाई
- कुलिस कठोर निठुर सोइ छाती
- कुसल प्रस्न कहि बारहिं बारा
- कुसल प्रानप्रिय बंधु
- कृपा कोपु बधु बँधब गोसाई
- कृपासिंधु मुनि दरसन तोरें
- केकि कंठ दुति स्यामल अंगा
- केहरि कंधर चारु जनेऊ
- केहरि कंधर बाहु बिसाला
- केहरि कटि पट पीत धर
- केहि अवराधहु का तुम्ह चहहू
- कैकयसुता सुमित्रा दोऊ
- कैकेई कहँ नृप सो दयऊ
- को जान केहि आनंद बस
- को तुम्ह कस बन फिरहु अकेलें
- को बड़ छोट कहत अपराधू
- कोउ कह ए भूपति पहिचाने
- कोउ कह जौं भल अहइ बिधाता
- कोउ मुख हीन बिपुल मुख काहू
- कोटिन्ह काँवरि चले कहारा
- कोटिहुँ बदन नहिं बनै
- कोल कराल दसन छबि गाई
- कोल बिलोकि भूप बड़ धीरा
- कोलाहलु सुनि सीय सकानी
- कोसलपति समधी सजन
- कोसलपुर बासी नर नारि
- कोहबरहिं आने कुअँर
- कौतुकहीं कैलास पुनि
- कौसल्या जब बोलन जाई
- कौसल्यादि नारि प्रिय
- कौसिक कहा छमिअ अपराधू
- कौसिक सुनहु मंद यहु बालकु
ख
ग
- गई बहोर गरीब नेवाजू
- गईं समीप महेस
- गए देव सब निज निज धामा
- गए बिभीषन पास पुनि
- गएँ जाम जुग भूपति आवा
- गगन चढ़इ रज पवन प्रसंगा
- गननायक बर दायक देवा
- गयउ दूरि घन गहन बराहू
- गरजहिं गज घंटा धुनि घोरा
- गर्भ स्रवहिं अवनिप रवनि
- गलीं सकल अरगजाँ सिंचाईं
- गाथे महामनि मौर मंजुल
- गाधितनय मन चिंता ब्यापी
- गाधिसूनु कह हृदयँ हँसि
- गारीं मधुर स्वर देहिं सुंदरि
- गावहिं गीत मनोहर नाना
- गावहिं मंगल मंजुल बानीं
- गावहिं सुंदरि मंगल गीता
- गिरा अरथ जल बीचि
- गिरा अलिनि मुख पंकज रोकी
- गिरा मुखर तन अरध भवानी
- गिरि कानन जहँ तहँ भरि पूरी
- गिरि त्रिकूट एक सिंधु मझारी
- गिरि सरि सिंधु भार नहिं मोही
- गुंजत मंजु मत्त रस भृंगा
- गुनह लखन कर हम पर रोषू
- गुर पितु मातु महेस भवानी
- गुर बसिष्ठ कहँ गयउ हँकारा
- गुर रघुपति सब मुनि मन माहीं
- गुरजन लाज समाजु
- गुरहि प्रनामु मनहिं मन कीन्हा
- गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन
- गूढ़ गिरा सुनि सिय सकुचानी
- गृह गृह बाज बधाव