"लोकायतन" के अवतरणों में अंतर

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('''''लोकायतन' कवि पन्त''' का महाकाव्य है। [[सुमित्रानन्द...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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''''लोकायतन' कवि पन्त''' का [[महाकाव्य]] है। [[सुमित्रानन्दन पंत]] की कृति '''लोकायतन''' में भारतीय जीवन की, स्वतंत्रता के पहले और बाद की कथा को काव्य रूप दिया गया है। यह दो खण्डों में विभाजित है-
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#REDIRECT [[लोकायतन -सुमित्रानन्दन पंत]]
#बाह्य परिवेश
 
#अंतश्चैतन्य।
 
इस प्रबन्ध की पट भूमि बहुत ही व्यापक है जिसमें स्वाधीनता के पहले से लेकर उत्तर स्वप्न तक का विशाल भारतीय जीवन अंतर्भुक्त हो उठा है। पंत जी युग जीवन के यथार्थ के हर पहलू को समझते थे, देश-विदेश के समस्त परिवर्तनों को, बदले मूल्यों को, पुरातन और नवीन के संघर्षों को, भौतिकता और आध्यात्मिकता के [[छन्द|छन्दों]] को उन्होंने परखा था। प्रबन्ध को देखकर ऐसा लगता है कि यथार्थ दर्शन और आदर्श कल्पना, ये दोनों अध्ययन और जानकारी के परिणाम के रूप में उनमें संयुक्त हैं।
 
कवि की विचारधारा और लोक-जीवन के प्रति उसकी प्रतिबद्धता इस रचना में अभिव्यक्त हुई है। इस पर कवि को सोवियत रूस तथा [[उत्तर प्रदेश]] शासन से पुरस्कार प्राप्त हुआ है। 'लोकायतन' में '''गाँधीवाद'''  प्रभाव विद्यमान है।
 
 
 
 
 
 
 
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{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
 
[[Category:कवि]]
 
[[Category:साहित्य कोश]]
 
[[Category:आधुनिक साहित्य]]
 
[[Category:सुमित्रानंदन पंत]]
 
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