वांगला नृत्य

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वांगला नृत्य (अंग्रेज़ी: Wangala Dancej) भारत के मेघालय में गारो समुदाय का एक पारंपरिक नृत्य है, जो वांगला महोत्सव के दौरान किया जाता है। यह भरपूर फसल के लिए देवताओं को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है।

  • यह नृत्य पुरुष और महिला नर्तकों के एक समूह द्वारा किया जाता है, जो पारंपरिक गारो संगीत की धुन पर लयबद्ध पैटर्न में चलते हैं।
  • नर्तक जीवंत पारंपरिक परिधानों में सजे होते हैं, जिनमें बांस और पंखों से बने विस्तृत हेडपीस भी शामिल होते हैं।
  • "सिजू" नामक एक पवित्र स्तंभ नृत्य के लिए पृष्ठभूमि के रूप में कार्य करता है और इसे व्यापक रूप से गारो लोगों की ताकत और एकजुटता का प्रतीक माना जाता है। स्तंभ को फूलों और पत्तियों से सजाया गया है, और इसके आधार पर देवताओं को बलि दी जाती है।[1]
  • वांगला नृत्य एक फसल उत्सव है जो मुख्य देवता सालजोंग, उर्वरता के देवता सूर्य को समर्पित है। आमतौर पर यह दो दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह एक सप्ताह तक भी रहता है।
  • यह नृत्य उत्सव सर्दियों की शुरुआत से पहले गारो जनजाति के लोगों द्वारा मैदानी क्षेत्रो में मेहनत करते हुए व्यतीत की गई लंबी अवधि के समापन को भी दर्शाता है।
  • मेघालय में गारो जनजाति के लिये यह त्योहार उनकी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने का एक तरीका है और वे इस प्रकार के समारोहों में अपनी परंपरा का प्रदर्शन करते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मेघालय के लोक नृत्य: (हिंदी) pratidintime.com। अभिगमन तिथि: 11 मई, 2024।

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